कौन हैं कांग्रेस के वो लगड़े घोड़ें, जिन्हें राहुल गांधी करेंगे रिटायर?

1 day ago

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ‘संगठन सृजन अभियान’ की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए एक ऐसी बात कही, जिसने मध्य प्रदेश कांग्रेस के गलियारों में हलचल मचा दी है. राहुल गांधी ने कांग्रेस में बड़े बदलाव की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि ‘रेस के घोड़े’ को रेस में, ‘बारात के घोड़े’ को बारात में भेजा जाए, और ‘लंगड़े घोड़े’ को रिटायर कर दिया जाए. उन्होंने सख्त लहजे में कहा, ‘लंगड़े घोड़े को अब घास चरने भेज दो, पानी पियो, रिलैक्स करो, लेकिन बाकी घोड़ों को तंग मत करो, वरना कार्रवाई होगी.’

राहुल गांधी के इस बयान के बाद सियासी हलकों में अटकलों का बाजार गर्म है कि उनका यह तंज किन नेताओं पर था. वह किन्हें लंगड़े घोड़े बताकर उन्हें रिटायर करने की बात कह रहे थे. क्या मध्य प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेताओं दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की ओर उनका इशारा था? आइए राहुल गांधी के इस बयान के मायने समझते हैं…

राहुल गांधी ने भोपाल में आयोजित बैठक में कांग्रेस के संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पास नेतृत्व की कोई कमी नहीं है और पार्टी के पास 10-10 चेहरे हैं. लेकिन, संगठन में अनुशासनहीनता और भितरघात को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि कुछ नेता बीजेपी के दबाव में या अपनी निजी हताशा के कारण बयानबाजी करते हैं, जो पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाता है. राहुल ने यह भी कहा कि कुछ नेता तो बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं, जिन्हें ‘स्लीपर सेल’ की तरह बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा.

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उनके इस बयान ने मध्य प्रदेश कांग्रेस में एक नए बदलाव की शुरुआत का संकेत दिया है. राहुल गांधी ने जिला और ब्लॉक स्तर के नेताओं को संगठन की रीढ़ बताते हुए कहा कि अब जिला अध्यक्षों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही स्थानीय निकाय चुनावों से लेकर विधानसभा चुनावों तक टिकट वितरण होगा. साथ ही, यह भी देखा जाएगा कि उनके क्षेत्र में कांग्रेस के वोट बढ़े या घटे. इस रणनीति का उद्देश्य 2028 के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी को मजबूत करना और पिछले 23 साल से सत्ता से दूर कांग्रेस को मध्य प्रदेश में वापस लाना है.

दिग्विजय सिंह और कमलनाथ पर क्यों उठ रहे सवाल?

राहुल गांधी ने अपने भाषण में किसी का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया, लेकिन सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि कहीं उनका निशाना मध्य प्रदेश कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ पर तो नहीं था. इसके पीछे कई कारण हैं…

मध्य प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा, जहां बीजेपी ने 230 सीटों में से 163 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस केवल 66 सीटों पर सिमट गई. 2024 के लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी ने मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटें जीत लीं, जिसमें कमलनाथ का गढ़ छिंदवाड़ा भी शामिल था, जहां उनके बेटे नकुलनाथ हार गए. लगातार मिल रही इस पराजय के लिए दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की रणनीति और नेतृत्व पर सवाल उठे हैं.

पार्टी में गुटबाजी

मध्य प्रदेश कांग्रेस में लंबे समय से गुटबाजी की समस्या रही है. दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच तनातनी की खबरें अक्सर सामने आती रही हैं. दोनों नेताओं के समर्थक अलग-अलग खेमों में बंटे हुए हैं, जिसका असर संगठन की एकजुटता पर पड़ता है. राहुल गांधी ने अपने भाषण में गुटबाजी को खत्म करने की सख्त हिदायत दी और कहा कि कोई भी फैसला ऊपर से थोपा नहीं जाएगा, बल्कि सभी को मिलकर काम करना होगा.

कमलनाथ के बीजेपी में जाने की अटकलें

2024 में लोकसभा चुनाव के बाद कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ के बीजेपी में शामिल होने की अफवाहें जोरों पर थीं. हालांकि, कमलनाथ ने इन खबरों का खंडन किया, लेकिन उनकी खामोशी और दिल्ली में बीजेपी नेताओं के साथ कथित मुलाकातों ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में संदेह पैदा किया. राहुल गांधी के ‘बीजेपी के लिए काम करने वाले’ नेताओं पर तंज को कमलनाथ से जोड़कर देखा जा रहा है.

दिग्विजय सिंह की सक्रियता पर सवाल

दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं. हाल के वर्षों में वह अपनी सक्रियता को लेकर चर्चा में रहे हैं. कुछ कार्यकर्ताओं का मानना है कि उनकी रणनीति अब उतनी प्रभावी नहीं रही, जितनी पहले थी. राहुल गांधी का ‘लंगड़ा घोड़ा’ वाला बयान उन नेताओं की ओर इशारा हो सकता है, जो संगठन में बदलाव की गति को धीमा कर रहे हैं.

राहुल गांधी के बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. कई यूजर्स ने इसे कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर सीधा हमला बताया, जबकि कुछ का मानना है कि यह बयान उन सभी पुराने नेताओं के लिए था, जो अब संगठन में नई ऊर्जा नहीं ला पा रहे. एक एक्स पोस्ट में कहा गया, ‘राहुल गांधी का ‘लंगड़े घोड़ों’ वाला इशारा किन नेताओं के लिए था?’ एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर राहुल गांधी का तंज, क्या अब मध्य प्रदेश कांग्रेस में बड़ा बदलाव होगा?’

मध्य प्रदेश कांग्रेस में बदलाव की शुरुआत

राहुल गांधी का यह दौरा और उनका बयान मध्य प्रदेश कांग्रेस में बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है. ‘संगठन सृजन अभियान’ के तहत पार्टी का फोकस अब जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने और नए नेतृत्व को उभारने पर है. राहुल ने कहा कि मध्य प्रदेश में 55 भविष्य के नेता तैयार किए जाएंगे, जो पार्टी का भविष्य संवारेंगे. इसके लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा, और पुराने नेताओं को ‘रिटायर’ करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है.

कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का क्या होगा भविष्य?

कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों ही मध्य प्रदेश कांग्रेस के स्तंभ रहे हैं. कमलनाथ ने 2018 में डेढ़ साल के लिए सरकार बनाई थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के कारण उनकी सरकार गिर गई थी. वहीं, दिग्विजय सिंह लंबे समय से पार्टी के रणनीतिकार रहे हैं, लेकिन उनकी उम्र और हाल के चुनावी परिणामों ने उनके प्रभाव पर सवाल उठाए हैं. राहुल गांधी के बयान के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या इन दोनों नेताओं को अब संगठन में साइडलाइन किया जाएगा, या उन्हें कोई नई जिम्मेदारी दी जाएगी, जैसे कि कमलनाथ को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भूमिका दी जा सकती है.

राहुल गांधी का ‘लंगड़ा घोड़ा’ बयान मध्य प्रदेश कांग्रेस में एक नए युग की शुरुआत का संकेत है. यह स्पष्ट है कि पार्टी अब पुराने ढर्रे से हटकर नई रणनीति और नए नेतृत्व पर ध्यान दे रही है. हालांकि, दिग्विजय सिंह और कमलनाथ जैसे दिग्गजों पर सीधे तौर पर निशाना साधा गया हो, यह कहना मुश्किल है, लेकिन उनके प्रभाव में कमी और संगठन में बदलाव की मांग साफ नजर आ रही है. आने वाले दिन मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिए निर्णायक होंगे, जब यह तय होगा कि कौन ‘रेस का घोड़ा’ है, कौन ‘बारात का घोड़ा’ और कौन ‘लंगड़ा घोड़ा’ रिटायर होगा.

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