Last Updated:June 05, 2025, 18:46 IST
Bengaluru stampede: बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में आरसीबी की जीत का जश्न भगदड़ में बदल गया, जिसमें 11 फैन्स की मौत हो गई. कर्नाटक सरकार और आरसीबी ने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख देने का ऐलान किया ह...और पढ़ें

बेंगलुरु भगदड़ में जान गंवाने वाले आरसीबी फैन्स के परिजनों का गुस्सा फूटा. (News18)
हाइलाइट्स
बेंगलुरु भगदड़ में 11 फैन्स की मौत हुई.कर्नाटक सरकार और आरसीबी ने 10 लाख मुआवजे का ऐलान किया.पीड़ित परिवार सरकार और फ्रेंचाइजी से संतुष्ट नहीं हैं.नई दिल्ली. बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की आईपीएल में पहली खिताबी जीत का जश्न बुधवार को भगदड़ में बदल गया, जिसमें 11 आरसीबी फैन्स की मौत हो गई. साथ ही दर्जनों लोगों ने अपनी जान गंवाई. पुलिसकर्मियों और फैन्स के दौरान भगदड़ का शिकार हुए फैन्स को गोद में उठाकर ले जाने की मार्मिक तस्वीरें हर किसी ने देखी. कर्नाटक सरकार की तरफ से मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख देने का ऐलान किया गया है. साथ ही इतनी ही रकम आरसीबी फ्रेंचाइजी मृतकों को देने की बात कह चुकी है. एक मृतक के पिता ने गुस्से में कहा कि मैं एक करोड़ रुपये देने को तैयार हूं, क्या वो मेरे बेटे को वापस लौटा सकते हैं?
मामले की गंभीरता को देखते हुए आज कर्नाटक हाईकोर्ट ने आरसीबी विक्ट्री परेड में हुई भगदड़ पर स्वयं संज्ञान लिया है. कर्नाटक सरकार से इसे लेकर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया है. फ्रेंचाइजी ने इस घटना के बाद RCB Cares नामक एक फंड की स्थापना भी की है. हालांकि पीड़ित परिवार सरकार और फ्रेंचाइजी की तरफ से बाद में उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं हैं. उनका मानना है कि समय रहते व्यवस्थाएं की जानी चाहिए थी, ताकि उनके बच्चों की जान इस तरह ना जाती.
बेटा का फोन किसी और ने उठाया…
इस घटना में जान गंवाने वाला मनोज प्रेसिडेंसी कॉलेज में BBA के छात्र थे. उनके पिता देवराज एन टी एक पानी पूरी विक्रेता हैं. पिता ने टीवी पर भगदड़ की खबर देखी और बेटे को फोन किया, लेकिन किसी और ने फोन उठाया. देवराज को बेटे की मृत्यु की खबर ने तोड़ दिया. उन्होंने कहा, “मैं 50 लाख, 1 करोड़ भी दूंगा, क्या मेरा बेटा वापस आएगा?”
डॉक्टर बनना चाहती थी दिव्यांशी
14 वर्षीय दिव्यांशी बी एस कोहली की दीवानी थी. वो चिन्नास्वामी स्टेडियम में RCB की IPL में जीत के जश्न में उन्हें करीब से देखना चाहती थी. उनकी मां अश्विनी यू एल ने बताया, “इस इच्छा उसकी जिंदगी ले गई.” येलहंका में रहने वाली कक्षा 9 की छात्रा दिव्यांशी डांसर थी और पशु चिकित्सक बनना चाहती थी. अश्विनी ने कहा, “वह बहुत समझदार थी, मुझे जीवन की चुनौतियों से निपटने की प्रेरणा देती थी.” कोहली के साथ-साथ सचिन, कपिल देव और अन्य खिलाड़ियों की उपलब्धियों की जानकार थी. भगदड़ में उसकी मृत्यु ने परिवार को तोड़ दिया.
यह पागलपन था…
एक पीड़ित की मां ने कहा, “यह पागलपन था… कोई योजना नहीं थी, कोई सुरक्षा नहीं थी.” इस त्रासदी ने बड़े सार्वजनिक आयोजनों में सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की गंभीरता को उजागर किया है. अब समय है कि सरकार और आयोजक इस घटना से सबक लें और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए ठोस कदम उठाएं. यह हादसा हमें याद दिलाता है कि जश्न मनाते समय भी सुरक्षा और जिम्मेदारी को नहीं भूला जा सकता. हर जीवन अनमोल है और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी की खुशी किसी और के लिए दुख का कारण न बने.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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