किरायेदार शर्तें तय नहीं कर सकता; SC ने 50 साल से बैठे शख्‍स को किया बेदखल

1 hour ago

Last Updated:December 26, 2025, 18:08 IST

Supreme Court on Landlord Tenant Dispute: महानगरों में दशकों पुरानी दुकानों और मकानों पर काबिज किरायेदार अक्सर वैकल्पिक जगह का तर्क देते रहे हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट अदालत ने साफ कर दिया कि जरूरत तय करने का अधिकार केवल मकान मालिक का है. मुंबई के कामाठीपुरा इलाके से जुड़ा यह मामला केवल एक दुकान का विवाद नहीं है. यह फैसला भविष्य में हजारों ऐसे मामलों की दिशा तय कर सकता है. कोर्ट ने कानून, तर्क और संवेदनशीलता तीनों को साथ रखते हुए निर्णय सुनाया.

Tenant Landlord Supreme court

सुप्रीम कोर्ट ने करीब पचास वर्षों से दुकान पर काबिज किरायेदार को बेदखली का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि लंबी अवधि अपने आप में अधिकार नहीं बन जाती. यदि मकान मालिक वास्तविक जरूरत साबित कर दे तो किरायेदार का दावा कमजोर पड़ता है. न्यायालय ने माना कि संपत्ति पर मालिकाना हक सर्वोपरि है. यह टिप्पणी पुराने किरायेदारी विवादों में मील का पत्थर मानी जा रही है.

मकान मालिक ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि दुकान बेटी-बहू के व्यवसाय के लिए चाहिए. ट्रायल कोर्ट ने इस आवश्यकता को वास्तविक और ईमानदार माना.<br />कोर्ट ने कहा कि पारिवारिक व्यवसाय भी वैध आवश्यकता है. जरूरत का मूल्यांकन मालिक की सामाजिक और आर्थिक स्थिति से होता है. यह तर्क न्यायिक कसौटी पर पूरी तरह खरा उतरा.

Supreme Court Verdict on Landlord Tenant Verdict

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट की कार्यशैली पर सवाल उठाए. पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट ने पुनरीक्षण अधिकार की सीमा लांघी. दो निचली अदालतों के समान निष्कर्ष को पलटना उचित नहीं था. बिना गंभीर अवैधता के साक्ष्यों की दोबारा जांच गलत मानी गई. यह टिप्पणी न्यायिक अनुशासन को रेखांकित करती है.

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Landlord Tenant Dispute

किरायेदार ने ऊपरी मंजिलों को वैकल्पिक जगह बताया था. सुप्रीम कोर्ट ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि किरायेदार मालिक को निर्देश नहीं दे सकता. व्यावसायिक जरूरत के लिए ग्राउंड फ्लोर अधिक उपयुक्त माना गया. यह सिद्धांत 2016 के फैसले से भी मेल खाता है.

Tenant Landlord Dispute

किरायेदार ने दूसरे कमरे में बिजली कनेक्शन लेने का मुद्दा उठाया. अदालत ने कहा कि इससे वास्तविक जरूरत कमजोर नहीं होती. मुकदमे के दौरान हुए बदलाव निर्णायक नहीं होते. जरूरत का मूल्यांकन मुकदमा दायर करने की तारीख से होता है. यह स्पष्टता भविष्य के मामलों में अहम होगी.

Supreme Court Verdict on Tenant Landlord dispute

कोर्ट ने किरायेदार की लंबी अवधि को ध्यान में रखा. बेदखली के लिए 30 जून 2026 तक का समय दिया गया. अदालत ने संतुलन बनाते हुए सख्त शर्तें भी लगाईं. किराया बकाया भरना और मासिक भुगतान अनिवार्य किया गया. तीसरे पक्ष का अधिकार न बनाने का हलफनामा भी जरूरी है.

Landlord tenant Dispute

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश के उल्लंघन पर कड़ा रुख अपनाया. शर्तें न मानने पर तत्काल निष्पादन की छूट दी गई. मकान मालिक को बिना देरी कार्रवाई का अधिकार मिलेगा. यह फैसला मालिकों के अधिकारों को मजबूती देता है. किरायेदारी कानून में संतुलन का स्पष्ट संदेश देता है.

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First Published :

December 26, 2025, 18:06 IST

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