Last Updated:October 24, 2025, 15:32 IST
Carbide-Gun Eye injury: दिवाली पर यूट्यूब पर देखकर बनाया देसी पटाखा यानि कार्बाइड गन की वजह से सैकड़ों बच्चों और बड़ों की आंखों की रोशनी को गंभीर नुकसान पहुंचा है. एम्स के आरपी सेंटर की चीफ डॉ. राधिका टंडन का कहना है कि आंखों को हुआ यह नुकसान अब पूरी तरह ठीक नहीं हो सकता है, वहीं कुछ लोगों की आंखों की रोशनी कभी वापस भी नहीं मिलेगी.
कार्बाइड गन से फूट गईं सैकड़ों आंखें. Diwali Carbide-Gun Eye injury: दिवाली वैसे तो रोशनी का त्यौहार है लेकिन इस दिवाली में सैकड़ों बच्चों और लोगों की आंखों में अंधेरा छा गया है. खुशी-खुशी दिवाली का त्यौहार मना रहे इन लोगों को पता भी नहीं था कि जिस चीज से ये खेल रहे हैं वही इनके जीवन से रोशनी का नामो-निशान मिटा देगी. इनमें से ज्यादातर बच्चों ने यूट्यूब के ट्यूटोरियल्स से सीखकर घर पर ही देसी पटाखा यानि कार्बाइड गन बनाई थी. इसी गन और पटाखों को जलाने से हुए हादसे में सैकड़ों आंखों को गंभीर नुकसान हुआ है. सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि दिल्ली सहित कई राज्यों में कार्बाइड गन आंखों की दुश्मन बनकर सामने आई है.
एम्स के आरपी सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंसेज की चीफ डॉ. राधिका टंडन ने बताया कि इस दिवाली पर काफी भयावह हालात देखने को मिले हैं. अन्य सालों के मुकाबले इस बार करीब 20 गुना ज्यादा मरीज आंखों की गंभीर चोट के साथ आरपी सेंटर की इमरजेंसी में पहुंचे हैं. दिवाली के दिन और दिवाली के बाद रोजाना करीब 100-100 मरीज आए हैं. वहीं रोजाना करीब 20-25 लोगों का ऑपरेशन करना पड़ा है.
डॉ. टंडन ने बताया कि इतनी भारी संख्या में पहली बार मरीज आए हैं, उससे पहले दिवाली पर रोजाना करीब 6-7 मरीज ही आते थे. जबकि सामान्य दिनों में यह संख्या और भी कम थी. इस बार सिर्फ पटाखे या बारूद से ही बच्चों और मरीजों की आंखों को नुकसान नहीं पहुंचा है बल्कि देखा गया है कि यूट्यूब के ट्यूटोरियल देखकर घर पर बनाई गई कार्बाइड गन ने भी काफी नुकसान पहुंचाया है. अकेले आरपी सेंटर नई दिल्ली की इमरजेंसी में ही कार्बाइड गन से आंख फूटने के लिए करीब 10 मामले आए हैं. जबकि एम्स के अन्य सेंटरों पर भी ऐसे कई मरीज आए हैं.
डॉ. राधिका कहती हैं कि कार्बाइड गन में हुए ब्लास्ट से आंखों को गंभीर नुकसान हुआ है. इन मरीजों का कॉर्निया, पलक, सेल्स को नुकसान पहुंचा है. जबकि कुछ केसेज में तो आंख पूरी फट गई है. फिलहाल इन मरीजों की सर्जरी की गई है और इलाज दिया जा रहा है.
क्या वापस आ पाएगी रोशनी
डॉ. टंडन कहती हैं कि इस दिवाली पर जिन भी बच्चों की आंखों को गंभीर नुकसान हुआ है और आंख के अंदरूनी हिस्से में ब्लास्ट या कैमिकल से असर पड़ा है, उसका इलाज भले ही हो रहा है लेकिन आंख पहले की तरह बिल्कुल ठीक नहीं हो सकती है. थोड़ा बहुत सुधार हो सकता है लेकिन आगे चलकर आंख में कॉर्निया की समस्या, काला मोतिया, मोतियाबिंद या अन्य कठिनाइयां देखने को मिल सकती हैं. वहीं विजन पर सबसे ज्यादा असर पड़ने वाला है. यहां तक कि कैमिकल से होने वाले नुकसान को कॉर्निया ट्रांसप्लांट से भी पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है क्योंकि कैमिकल से सिर्फ कॉर्निया ही नहीं जलता बल्कि आंखों की नर्व और सेल्स भी जल जाती हैं, जिन्हें रिपेयर करना मुश्किल है.
priya gautamSenior Correspondent
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्...और पढ़ें
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्...
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Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
October 24, 2025, 15:32 IST

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