जेल से डिश तक: कोलकाता के बेहतरीन कटलेट बना रही हैं महिला कैदी

12 hours ago

Last Updated:October 24, 2025, 16:03 IST

West Bengal News: कोलकाता की महिला कैदियों ने ‘अभिन्नो’ पहल के तहत जेल गेट के बाहर स्टॉल लगाकर कटलेट और स्नैक्स बेचना शुरू किया है. यह पहल आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक पुनर्वास की मिसाल बन रही है.

 कोलकाता के बेहतरीन कटलेट बना रही हैं महिला कैदीकोलकाता की अलीपुर महिला जेल में ‘अभिन्नो’ नाम की पहल से कैदी महिलाएं अब खुद बनाए स्नैक्स और हस्तशिल्प बेच रही हैं. (AI फोटो)

कोलकाता: हर दोपहर अलीपुर महिला सुधार गृह के ऊंचे दरवाजों के बाहर जब आलू के पकौड़े और कटलेट की खुशबू हवा में घुलती है, तो राह चलते लोग वहीं रुक जाते हैं. स्वादिष्ट स्नैक्स खरीदने वाले ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता होता कि इन्हें बनाने और पैक करने वाले हाथ उन्हीं दीवारों के पीछे रहते हैं… जेल की सलाखों के भीतर.

इन महिलाओं के लिए यह छोटा-सा स्टॉल सिर्फ रोजगार नहीं, बल्कि ‘जिंदगी को दोबारा जीने’ का एक जरिया है. जेल की बंद दीवारों के भीतर से निकलकर समाज से दोबारा जुड़ने, आत्म-सम्मान पाने और अपनी पहचान लौटाने की कोशिश का नाम है- ‘अभिन्नो’ (Integrated).

पुनर्वास की नई पहल ‘अभिन्नो’
पश्चिम बंगाल सुधार सेवाएं विभाग द्वारा जुलाई में शुरू की गई इस अनोखी पहल का मकसद है. कैदियों को आत्मनिर्भर बनाना और सम्मान के साथ समाज में वापसी का रास्ता देना. इस कार्यक्रम के तहत कैदी खुद बनाए गए खाने, हस्तशिल्प और कपड़ों जैसी वस्तुएं सीधे जेल के बाहर बनाए गए स्टॉल पर बेचते हैं.

राज्य के सुधार सेवा मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा ने बताया, “अभिन्नो केवल रोजगार नहीं, बल्कि सम्मानजनक पुनर्वास की दिशा में कदम है. कैदियों की कमाई कैदी कल्याण कोष में जाती है और रिहाई के बाद उन्हें वेतन के रूप में दी जाती है.”

स्वाद और आत्मनिर्भरता की कहानी
अलीपुर महिला सुधार गृह से शुरू हुआ यह प्रयोग अब राज्यभर की जेलों में रोल मॉडल बनता जा रहा है. 25 महिला कैदी इस पहल का हिस्सा हैं, जिनमें से आठ रोज स्टॉल संभालती हैं. वे खाना बनाती हैं, परोसती हैं, हस्तशिल्प बेचती हैं और हिसाब-किताब रखती हैं.

सुबह-सुबह आटा गूंथना, सब्जियां काटना, घुघनी, समोसा, कटलेट और केक तैयार करना… सब कुछ जेल के अंदर शुरू होता है. दोपहर होते-होते ऑफिस और कॉलेज के ग्राहक लाइन में खड़े होते हैं.

एक महिला कैदी ने कहा, “जेल में हम समय की सख्त पाबंदी में रहते हैं, लेकिन यहां काम करते हुए आजादी का अहसास होता है. बाहर नहीं जाते, लेकिन लोग हमसे मिलने आते हैं.”

समाज से जुड़ने की पहल
‘अभिन्नो’ का ख्याल तब आया जब जेल अधिकारियों ने सोचा कि कैदियों की स्किल्स को स्थायी आजीविका में कैसे बदला जाए. आईजी (प्रिज़न्स) देबाशीष चक्रवर्ती ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस आइडिया को तुरंत मंजूरी दी और नाम भी खुद रखा ‘अभिन्नो’.

पहले अलीपुर, प्रेसिडेंसी, डुमडुम और सूरी जेलों में इसे शुरू किया गया. सफलता के बाद अब इसे राज्य की सभी प्रमुख जेलों में लाने की योजना है. विभाग इसे आगे एक कोऑपरेटिव ब्रांड के रूप में रजिस्टर करने की तैयारी में है, ताकि कैदियों के बने उत्पाद सरकारी कैंटीन और कैफे में भी बिक सकें.

सिर्फ खाना नहीं, हुनर भी
इन स्टॉलों पर सिर्फ खाना नहीं, बल्कि कपड़े, जूट के आइटम, डिटर्जेंट, मोमबत्तियां और हैंडमेड वस्त्र भी बिकते हैं. कोरोना महामारी के दौरान इन्हीं कैदियों ने मास्क और PPE किट बनाकर सुर्खियां बटोरी थीं. एनजीओ ‘जंगलमहल उद्योग’ इन कैदियों को स्किल ट्रेनिंग दे रहा है.

एक अधिकारी ने कहा, “हर प्रोडक्ट के साथ उनकी कहानी जुड़ी है. यह सिर्फ सुधार नहीं, आत्मसम्मान की यात्रा है.”

जेल के बाहर नई पहचान
जो लोग पहले जेल गेट के पास आने से भी कतराते थे, अब वहीं चाय और समोसा खाने रुकते हैं. एक कॉलेज छात्र ने कहा, “खाना बेहतरीन है और लोग बेहद विनम्र. यह सोच ही नहीं सकते थे कि ये जेल के अंदर से आते हैं.” पश्चिम बंगाल सरकार की यह पहल न सिर्फ जेल सुधार की नई मिसाल बन रही है, बल्कि यह दिखा रही है कि मौका मिले तो हर इंसान में सुधार की क्षमता होती है.

Sumit Kumar

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें

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First Published :

October 24, 2025, 16:01 IST

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