Last Updated:October 24, 2025, 15:53 IST
Russian Oil Imports Advantages Disadvantages: रूस से तेल खरीदना कितना फायदे या घाटे का सौदा? कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इसे विस्तार से समझाया है. यह हमारी आजाद डिप्लोमेसी के लिए भी कितना जरूरी है, ये भी बताया है.
भारत अब भी रूस से 10 लाख बैरल सस्ता तेल खरीद रहा है.कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने रूस से डिस्काउंटेड तेल खरीदने के भारत के फैसले का पुरजोर समर्थन किया. उन्होंने चेताया कि अगर अमेरिकी सैंक्शंस के दबाव में आकर रूस से तेल मंगाना भारत ने बंद किया तो यह रणनीतिक तौर पर बड़ी भूल होगी. मनीष तिवारी ने जनवरी 2021 से जून 2025 तक के भारत के चार सबसे बड़े कच्चे तेल आपूर्तिकर्ता देशों से तेल मंगाने के आंकड़े शेयर किए. ग्राफ में साफ दिख रहा कि फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले रूस भारत के कुल तेल आयात का महज 1% था, लेकिन युद्ध के बाद डिस्काउंट मिलने पर यह आंकड़ा आसमान छू गया. और यह भारत के लिए काफी फायदेमंद सौदा साबित हुआ.
मनीष तिवारी ने एक्स पर लिखा, फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने से ठीक पहले भारत इराक से रोज 12.3 लाख बैरल,
सऊदी अरब से 8.83 लाख बैरल तेल मंगाता था. लेकिन रूस से सिर्फ 68 हजार बैरल- यानी कुल इंपोर्ट का 1% से भी कम भारत रूस से तेल लेता था. मतलब, हमारा तेल का जुगाड़ मिडिल ईस्ट पर टिका था.
फरवरी 2022 से अब तक भारत ने किससे कितना खरीदा तेल. इस ग्राफ से आप आसानी से समझ सकते हैं.
फिर डिस्काउंट धमाका
फिर आया मार्च 2022 और भारत को मिला डिस्काउंट का धमाका. रूस यूक्रेन जंग शुरू होते ही अमेरिका-यूरोप ने रूस पर सैंक्शंस ठोके. रूसी तेल की कीमत गिरी. ब्रेंट क्रूड 100 डॉलर पर था जबकि ऑफर में रूस 70-75 डॉलर में दे रहा था. भारत ने सोचा, अरे, सस्ता है, ले लो… और ले लिया. 2023 तक रूस भारत का नंबर-1 तेल सप्लायर बन गया. ग्राफ में भी आप इसे देख सकते हो, लाल लाइन रूस की है, जो आसमान छू रही है. अब यह आंकड़ा 10 लाख बैरल से ऊपर निकल गया है. यानी इराक, सऊदी, यूएई सब पीछे छूट गए हैं.
Buying Russian Oil at discounted prices from March 2002 onwards was a BIG MISTAKE .
Now not buying from Russia under the threat of US Sanctions would be a GRAVER ERROR:
It would severely undermine India’s strategic autonomy.
कितना पैसा बचा
कुछ लोग कहते हैं कि रूस से खरीदकर हमने अमेरिका को नाराज कर दिया. अब हमें रूस से तेल खरीदना बंद कर देना चाहिए. लेकिन ये ठीक नहीं. पहले तो समझिए पैसा कितना बचा. 2022-23 में भारत ने रूस से 30-35 डॉलर प्रति बैरल का डिस्काउंट लिया. इससे लगभग 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हुई. लोग पूछेंगे कि ये पैसा कहां गया? मनीष तिवारी ने बताया कि यह पैसा पेट्रोल-डीजल सस्ता रखने में इस्तेमाल हुआ. सब्सिडी में खर्च हुआ और इन्फ्रास्ट्रक्चर में लगा. अगर वही तेल सऊदी या इराक से लिया होता तो हर महीने 2000-3000 करोड़ रुपये ज्यादा चुकाना पड़ता.
स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी बची
मनीष तिवारी ने लिखा यह भारत की स्ट्रेटजिक ऑटोनॉमी के लिए भी बेस्ट था. भारत ने साफ कहा, हमारा तेल, हमारी मर्जी. न अमेरिका की धमकी मानी, न रूस की दोस्ती के लिए मजबूरी. ये है सच्ची आजादी. यानी न किसी के गुलाम, न किसी के डर में.
अगर अब रूस छोड़ दिया, तो कल कोई और देश बोलेगा- ये मत खरीदो, वो मत बेचो. फिर कहां जाएंगे? पहले सऊदी, इराक, UAE मिलकर कीमत तय करते थे. फिर रूस आया तो ऑयल मार्केट में कंपटीशन बढ़ा और कीमतें कम हुईं. अब सऊदी को भी डिस्काउंट देना पड़ रहा है. ये गेम चेंजर है. भारत अब खरीददार नहीं, खिलाड़ी बन गया है.
क्या फायदा- क्या नुकसान
मनीष तिवारी ने कहा, अब इस स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी को छोड़ना और बड़ी गलती होगी. क्योंकि मान लीजिए, अगर अमेरिका ने धमकी दी कि और टैरिफ लगा देंगे और हम डर गए, रूस से तेल लेना छोड़ दिया तो क्या होगा ? हर साल 20-30 डॉलर प्रति बैरल कीमतें बढ़ेंगी, जिसकी वजह से हजारों करोड़ रुपये भारत को ज्यादा चुकाने होंगे. सालाना तौर पर देखें तो 5-6 अरब डॉलर का नुकसान होगा. आपका पेट्रोल डीजल 5 से 6 रुपये महंगा हो सकता है. लेकिन सबसे बड़ी बात, इससे स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी जीरो हो जाएगी. दुनिया के सामने यह मैसेज जाएगा कि हम झुक गए.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
October 24, 2025, 15:53 IST

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