Last Updated:November 09, 2025, 22:34 IST
Justice Surya Kant News: जस्टिस सूर्यकांत ने एसआईएफओसीसी बैठक में कहा कि न्यायपालिका एआई उपकरणों से मदद लेती है, पर तकनीक मानव विवेक का स्थान नहीं ले सकती. उन्होंने कहा नालसा की नई पहल की भी सराहना की. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मानवीय विवेक का प्रतिबिंब है, जो सहानुभूति, नैतिक तर्क और संदर्भ की समझ से आकार लेता है, जिसका स्थान मशीनें नहीं ले सकतीं.
भारत के मनोनीत प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत. (फाइल फोटो)नई दिल्ली. भारत के मनोनीत प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत ने रविवार को कहा कि देश में न्यायपालिका ने अनुसंधान, प्रतिलेखन और डेटा विश्लेषण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित उपकरणों की खोज शुरू कर दी है, लेकिन इस मार्गदर्शक सिद्धांत के साथ कि प्रौद्योगिकी को मानव मस्तिष्क की विवेकशीलता को बढ़ाना चाहिए, न कि उसका स्थान लेना चाहिए. जस्टिस सूर्यकांत ने वाणिज्यिक अदालतों के स्थायी अंतरराष्ट्रीय मंच (एसआईएफओसीसी) की छठी पूर्ण बैठक के समापन समारोह को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि कानून का भविष्य इस बात पर निर्भर है कि क्या प्रौद्योगिकी को एक ऐसे उपकरण के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है, जिसमें बिना मानवता को त्यागे न्याय मूल में रहे.
उन्होंने कहा कि न्याय प्रदान करने में पहुंच, दक्षता और विश्लेषणात्मक परिशुद्धता में सुधार लाने में एआई की अपार संभावनाएं हैं और वाणिज्यिक एवं अपीलीय न्यायालयों में एआई के जिम्मेदाराना उपयोग के लिए एक व्यावहारिक ढांचा विकसित करने का विचार व्यावहारिक एवं आवश्यक है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “आखिरकार, कानून महज एक ‘एल्गोरिदम’ नहीं है, बल्कि यह मानवीय विवेक का प्रतिबिंब है, जो सहानुभूति, नैतिक तर्क और संदर्भ की समझ से आकार लेता है, जिसका स्थान मशीनें नहीं ले सकतीं.”
‘न्याय तक पहुंच की धारणा कोई अमूर्त आदर्श नहीं, बल्कि एक अधिकार’
भारत के भावी सीजेआई सूर्यकांत ने रविवार को कहा कि ‘न्याय तक पहुंच’ की धारणा एक अमूर्त आदर्श नहीं है, बल्कि एक अधिकार है, जिसे संस्थागत ताकत, पेशेवर क्षमता और करुणाभाव के जरिये लगातार पोषित किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति कांत ने “कानूनी सहायता वितरण तंत्र को मजबूत बनाने” पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) की नई पहल कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली की सराहना की. उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत और प्रायः खंडित प्रतिनिधित्व से रक्षा की संरचित और जवाबदेह प्रणाली की ओर बदलाव का प्रतीक है.
न्यायमूर्ति कांत ने कहा, “इस सम्मेलन के दौरान, जो बात सबसे स्पष्ट रूप से उभरकर आई है, वह यह है कि ‘न्याय तक पहुंच’ की धारणा एक अमूर्त आदर्श नहीं है, बल्कि एक ऐसा अधिकार है, जिसे संस्थागत शक्ति, व्यावसायिक क्षमता और सहानुभूतिपूर्ण सहभागिता के जरिये लगातार पोषित किया जाना चाहिए.” उन्होंने कहा, “इस सप्ताहांत आयोजित प्रत्येक विचार-विमर्श ने इस बड़े मिशन के एक पहलू को उजागर किया है, तथा साथ मिलकर उन्होंने इस बात की एक आकर्षक तस्वीर पेश की है कि हम कितनी दूर तक आ चुके हैं तथा हमें अभी और कितना आगे जाना है.”
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 09, 2025, 22:28 IST

3 hours ago
