Last Updated:October 23, 2025, 13:13 IST
Pakistan invasion Jammu and Kashmir: 23 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी कबायली लश्करों ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया था. महाराजा हरि सिंह ने दिल्ली को तार भेजकर मदद मांगी, जिससे इतिहास की दिशा बदल गई.

Pakistan invasion Jammu and Kashmir: 1947 में भारत-पाकिस्तान के बीच सिर्फ बंटवारे की लकीरें ही नहीं खिचीं थीं, बल्कि 565 रियासतों को अपने पसंद के मुल्क के साथ विलय का विकल्प भी दिया गया था. इन्हीं रियासतों में एक रियासत हिमालय में बसी जम्मू और कश्मीर भी थी. करीब 84 हजार वर्ग मील में फैली इस रियासत के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह उस वक्त इस नतीजे पर नहीं पहुंच पाए थे कि वह किस तरफ जाएं. दूसरी तरफ, पाकिस्तानी हुकूमत के मन में यह बात बार-बार कौंध रही थी कि हिंदू राजा होने की वजह से हरी सिंह भारत का हाथ थाम सकते हैं.
लिहाजा, कश्मीर को जबरन हासिल करने के लिए पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन गुलमर्ग’ की साजिश रचना शुरू कर दी. इसी बीच, पुंछ जिले में द्वितीय विश्व युद्ध के 60 हजार पूर्व मुस्लिम सैनिकों ने विद्रोह का बिगुल फूंक दिया. ये सभी पूर्व सैनिक उन पर लगे भारी भरकम टैक्स और हथियार छीने जाने का विरोध कर रहे थे. इस मौके का पाकिस्तान ने पूरा फायदा उठाना चाहा. पाकिस्तान ने इन विद्रोहियों को 4 हजार से अधिक राइफलें, रेडियो सेट सहित दूसरी सैन्य सामग्री उपलब्ध कराई. देखते ही देखते पुंछ विद्रोह की आग में जलने लगा.
पाकिस्तान ने एक्टिव किया अपना ऑपरेशन गुलमर्ग
पुंछ शहर में राज्य सेना की तमाम चौकियों पर विद्रोहियों ने कब्जा करना शुरू कर दिया. इन चौकियों पर तैनात सैन्यकर्मियों और अधिकारियों की हत्या कर दी गई. देखते ही देखते मीरपुर और कोटली में भी विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया. उधर, पाकिस्तान को लगा कि कश्मीर पर कब्जे का इससे बेहतर मौका उसे नहीं मिल सकता है. लिहाजा, पाकिस्तानी सेना ने वजीरिस्तान, बनू, वाना, पेशावर, कोहाट, थाल और नौशेरा से 20 लश्कर भर्ती किए. प्रत्येक लश्कर में 1,000 पठान कबीले थे. इनको ब्रिगेड मुख्यालयों पर हथियार दिए गए.
इन लश्करों को 18 अक्टूबर तक एबटाबाद पहुंचना था और 22 को सीमा पार कर कश्मीर पर हमला करना था. पाकिस्तान ‘ऑपरेशन गुलमर्ग’ को एक्टिव करता, इससे पहले एक भारतीय अधिकारी मेजर ओएस कलकट को इस साजिश की भनक लग चुकी थी. 22 अक्टूबर 1947 की सुबह मुजफ्फराबाद सेक्टर की तरफ से पाकिस्तानी पठानों के लश्कर ने जम्मू-कश्मीर की पश्चिमी सीमा पर धावा बोल दिया. धावा बोलने वाले 4 हजार पठानों के लश्कर को मुस्लिम लीग नेशनल गार्ड प्रमुख खुर्शेद अंवर लीड कर रहा था.
पाकिस्तानी कबीलों ने पूंछ में मचाया कोहराम
सीमा पार करते ही दुश्मन ने मुजफ्फराबाद के आसपास राज्य सेना की चौकियों को ढहा दिया. इसी बीच, पाक सेना के बहकावे पर राज्य सेना मुस्लिम सैनिकों ने विद्रोह कर दिया और अपने साथियों की हत्या कर डाली. डोमेल ब्रिज पर भीषण लड़ाई हुई, लेकिन विद्रोही सेना ने रास्ता खोल दिया. पाकिस्तानी सेना की साजिश थी कि वह श्रीनगर पर कब्जा कर पहले एयरपोर्ट को बर्बाद करेंगे. फिर पुंछ के बागियों के साथ मिलकर जम्मू की तरफ मार्च कर जाएंगे. इन्हीं मंसूबों के साथ दस लश्कर कश्मीर घाटी की तरफ भेजे गए थे.
इसके अलावा, दस लश्कर पूंछ-भिंबर-रावलकोट से आगे बढ़ रहे थे. बारामूला पहुंचते ही पाकिस्तानी सेना लूटपाट पर उतारू हो गई. पाकिस्तानी सेना के साथ आगे बढ़ रहे पठान कबीलों ने हिंदू और सिखों की दुकानों को आग के हवाले कर दिया. महिलाओं की अस्मत लूटी और रास्ते में जो सामने आया उसका सिर कलम करते चले गए. दुश्मन से अब श्रीनगर सिर्फ 30 मील दूर था राज्य की सेना ने लगभग हार मान ली थी. महाराजा जम्मू भागने को मजबूर हो गए थे.
23 अक्टूबर: भारत से लगाई मदद की गुहार
23 अक्टूबर तक कबीलों के साथ पाकिस्तानी सेना बारामूला में ही लूटपाट मचाती रही. इसी बीच, महाराजा हरि सिंह ने दिल्ली तार भेजकर मदद मांगी. लेकिन, भारत ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर की शर्त रख दी. अब तक राज्य सेना की बटालियन मुजफ्फराबाद में ढेर हो चुकी थी. गिलगित में स्काउट्स ने ब्रिटिश अधिकारी मेजर विलियम ब्राउन के नेतृत्व में बगावत कर पाकिस्तान में शामिल होने की घोषणा कर दी थी. इस दिन कोई बड़ा युद्ध तो नहीं हुआ, लेकिन रणनीतिक ठहराव ने इतिहास बदल दिया. 23 अक्टूबर को राजा हरि सिंह द्वारा भेजा गया तार अगले दिन यानी 24 अक्टूबर 1947 को दिल्ली पहुंचा. इसके बाद क्या हुआ, पढ़िए सीरीज की अगली स्टोरी.
Anoop Kumar MishraAssistant Editor
Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें
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Location :
Jammu and Kashmir
First Published :
October 23, 2025, 13:13 IST