Last Updated:June 26, 2025, 18:03 IST
KARGIL STORIES: एयर डिफेंस किसी भी देश की ताकत का सबसे बड़ा हथियार है, जो दुश्मन के मिसाइल या ड्रोन हमले से रक्षा करता है.सेना की एयर डिफेंस गन L-70 और Zu-23mm ने ऑपरेशन सिंदूर में खूब निशाने साधे.यह पहली बार न...और पढ़ें

जब एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम ने उड़ा दिए थे पाकिस्तानी बंकर
हाइलाइट्स
कारगिल युद्ध में एंटी एयरक्राफ्ट गनों का डायरेक्ट फायरिंग में उपयोग हुआ.L-70 और Zu-23mm गनों ने पाकिस्तानी बंकरों को ध्वस्त किया.ऑपरेशन सिंदूर में 600 से ज्यादा पाकिस्तानी ड्रोन गिराए गए.KARGIL STORIES: भारतीय एंटी एयरक्राफ्ट गन LoC से लेकर LAC तक तैनात हैं. इनकी खरीद किसी भी दुश्मन के एयरक्राफ्ट या हेलिकॉप्टर को निशाना बनाने के लिए की गई थी. कारगिल के दौरान पाक की तरफ से एयरफोर्स का इस्तेमाल नहीं किया गया था, ना ही तब ड्रोन की तकनीक थी. ऐसे में सवाल उठता है कि इस वॉर में एयर डिफेंस गन का क्या इस्तेमाल हुआ. लेकिन हकीकत जानकर आप चौंक जाएंगे कि इनका इस्तेमाल डायरेक्ट फायरिंग में किया गया. यानी हवा में टार्गेट साधने के बजाए जमीन से जमीन पर फायर करने में इसका इस्तेमाल किया गया. जब पहाड़ों की ऊंचाई पर बंकरों में छिपे पाकिस्तानी सैनिक भारतीय सेना पर अटैक कर रहे थे, तो इन गनों का इस्तेमाल उन बंकरों को ध्वस्त करने में किया गया. इसके लिए Zu-23mm और L-70 का भरपूर इस्तेमाल किया गया. इनका रेट ऑफ फायर इतना जबरदस्त था कि जिस भी बंकर को निशाना बनाया, उसे पूरी तरह से बर्बाद कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, इन एंटी-एयरक्राफ्ट गनों ने 10 हजार से भी ज्यादा राउंड फायर किए थे.
अपग्रेड गन मचा रही हैं गदर
एयर डिफेंस किसी भी देश की ताकत का सबसे बड़ा हथियार है, जो दुश्मन के मिसाइल या ड्रोन हमले से रक्षा करता है. कारगिल के दौरान इन गन की तकनीक भी पुरानी ही थी. सेना की एंटी एयरक्राफ्ट गनों को मौजूदा तकनीकी चुनौतियों को देखते हुए भारतीय सेना ने पूरी तरह से अपग्रेड किया है. अब इन गनों के टार्गेट पर सिर्फ दुश्मन के लो फ्लाइंग फाइटर या हेलिकॉप्टर नहीं, बल्कि हर तरह के लो लेवल एरियल खतरे, जिनमें लॉटरिंग म्यूनेशन और ड्रोन शामिल हैं इस अपग्रेड की ताकत ऑपरेशन सिंदूर में सबने देखी. L-70 और Zu-23mm ने एक भी पाकिस्तानी ड्रोन अटैक को सफल नहीं होने दिया. 600 से ज्यादा ड्रोन को मार गिराया. एंटी एयरक्राफ्ट की मौजूदा तैनाती बात करे तो LoC से लेकर IB तक लगभग 1000 से ज्यादा एयर डिफेंस गन या एंटी एयरक्राफ्ट गन मौजूद हैं. इसके अलावा बड़े टार्गेट को नष्ट करने के लिए 750 से ज्यादा शॉर्ट रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैनात हैं. यह पहली बार नहीं है जब एयर डिफेंस गन ने पाकिस्तानी फौज के होश उड़ा दिए. 25 साल पहले कारगिल की जंग में भी इन गनों ने कमाल दिखाया था.
L-70 एंटी एयरक्राफ्ट अपग्रेड
L-70 गन की बात करें तो यह गन 70 के दशक में स्वीडन से ली गई थी. इसका रेट ऑफ फायर एक मिनट में 300 राउंड से ज्यादा है. इसकी रेंज 3 से 4 किलोमीटर है और इसे रडार के जरिए भी ऑपरेट किया जा सकता है. हाल ही में इन गनों को आज की तकनीक जैसे कि दिन और रात दोनों समय ऑपरेट करने के लिए हाई रिजॉल्यूशन सेंसर, कैमरे और रडार सिस्टम से अपग्रेड किया गया है. इसका इस्तेमाल डायरेक्ट फायरिंग के लिए भी किया जा सकता है.
Zu-23mm का वार दमदार
80 के दशक की शुरुआत में Zu-23mm रूस से ली गई थी. यह एक डबल बैरल गन है. हर बैरल से 1600 से 2000 राउंड प्रति मिनट फायर कर सकती है. यानी एक गन 4000 राउंड फायर कर सकती है. यह गन मैनुअल इस्तेमाल की जाती है. 2 से 2.5 किलोमीटर में आने वाले किसी भी संभावित टार्गेट को छलनी कर देती है. अब जल्द नई एयर डिफेंस गन Zu-23mm की जगह लेगी.
एयर डिफेंस मिसाइल इग्ला ने भी ध्वस्त किए बंकर
कारगिल वॉर में एंटी एयरक्राफ्ट गन के अलावा एयर डिफेंस मिसाइल ने भी खूब निशाने साधे. इसका इस्तेमाल जमीन से हवा में मार करने के लिए किया जाता है. भारतीय सेना के पास मौजूद शोल्डर फायर शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस मिसाइल ने पाकिस्तानी बंकरों को जमींदोज कर दिया था. पहली बार इसका इस्तेमाल पाकिस्तान के बंकर को निशाना बनाने के लिए किया गया था. अगर इसकी खासियत की बात करें तो यह मैनपैड यानी एक सैनिक इसे आसानी से ऑपरेट कर सकता है. कंधे पर रखकर इसे फायर किया जाता है. इसकी रेंज 5-6 किलोमीटर है. 1990 के दशक से यह भारतीय सेना का हिस्सा है. इसी साल इग्ला S के एडवांस वर्जन की खरीद सेना ने की है.