Last Updated:June 26, 2025, 17:15 IST
Punjab Nangal bridge: पंजाब के नंगल में स्वां नदी पर बना अस्थायी पुल बारिश में हटा दिया गया, जिससे ग्रामीणों को अब रोज 15-20 किमी का चक्कर लगाना पड़ रहा है. छात्र, कामकाजी और मरीज सबसे ज्यादा परेशान हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स
स्वां नदी पर अस्थायी पुल बारिश में सुरक्षा कारणों से हटाया गया.पुल हटने से गांव वालों को रोज़ 15-20 किलोमीटर घूमना पड़ा.ग्रामीणों ने स्थायी पुल की मांग को लेकर आवाज उठाई है.पंजाब: सोचिए कि आप रोज स्कूटर से स्कूल या काम पर जाते हों. सुबह जल्दी उठते हैं, तैयार होते हैं और 10-15 मिनट में अपनी मंज़िल पर पहुंच जाते हैं. लेकिन एक दिन ऐसा आता है जब रास्ता ही नहीं बचता. कुछ ऐसा ही हुआ है पंजाब के नंगल इलाके में, जहां भल्लारी और खेड़ा कालोमोट गांवों को जोड़ने वाला पुल बारिश के कारण हटा दिया गया है.
यह पुल अस्थायी था, यानी लकड़ी और लोहे की मदद से हर साल गांव वाले और दानदाता मिलकर बनाते थे. लेकिन हर साल जैसे ही मानसून आता है, तेज़ बहाव और खतरे को देखते हुए इसे हटा दिया जाता है. यही पुल इन गांवों को नंगल शहर से जोड़ता था.
10 मिनट का सफर बन गया 1 घंटे का टेंशन
पुल के हटते ही गांव वालों की दिक्कतें बढ़ गई हैं. अब उन्हें नंगल पहुंचने के लिए 15 से 20 किलोमीटर का लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है. जो बच्चा पहले 10 मिनट में स्कूल पहुंच जाता था, अब उसे एक घंटा लग रहा है. कई लोग समय से स्कूल या दफ्तर नहीं पहुंच पा रहे. रोज़मर्रा की ज़िंदगी पूरी तरह से उलट-पुलट हो गई है.
दोपहिया से सफर करने वालों की सबसे बड़ी मुसीबत
यह पुल खासतौर पर दोपहिया वाहन जैसे बाइक और स्कूटर के लिए बना था. गांव के लोग इन्हीं से नंगल आते-जाते थे—कभी सब्ज़ी लेने, कभी डॉक्टर को दिखाने या कभी किसी नौकरी के लिए. पुल हटने के बाद अब उन्हें बहुत लंबा और खराब रास्ता लेना पड़ रहा है, जिससे समय और पेट्रोल दोनों बर्बाद हो रहे हैं.
गांव वालों की गुहार: हमें चाहिए पक्का पुल
गांव के पूर्व सरपंच हरपाल सिंह कहते हैं कि यह पुल उनके गांवों की ‘जीवनरेखा‘ था. हर साल इसे बनाना और फिर तोड़ना अब थकाने वाला हो चुका है. अब लोग चाहते हैं कि सरकार इस जगह पर एक पक्का पुल बनाए, ताकि हर साल बरसात में रास्ता बंद न हो और बच्चों की पढ़ाई, कामकाजी लोगों की नौकरी और ज़रूरतमंदों का इलाज बाधित न हो.