Last Updated:July 05, 2025, 23:03 IST
Udaipur Files Film: फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' के ट्रेलर पर विवाद, मुस्लिम संगठनों ने प्रतिबंध की मांग की. मौलाना अरशद मदनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, सेंसर बोर्ड पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया.

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. उदयपुर की घटना पर आधारित फिल्म “उदयपुर फाइल्स” का ट्रेलर जारी होते ही इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग ज़ोर पकड़ने लगी है. इस फिल्म के ट्रेलर में नूपुर शर्मा का वह विवादित बयान भी शामिल है, जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उनको पार्टी से निकाल दिया था.
मुस्लिम संगठनों के अनुसार, फिल्म के ट्रेलर में पैग़म्बर मुहम्मद साहब के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की गई है, जो देश के अमन-चैन को बिगाड़ सकती है. फिल्म में देवबंद को कट्टरवाद का अड्डा बताया गया है और वहां के उलेमा के विरुद्ध ज़हर उगला गया है. यह फिल्म एक विशेष धार्मिक समुदाय को बदनाम करती है, जिससे समाज में नफ़रत फैल सकती है और नागरिकों के बीच सम्मान तथा सामाजिक सौहार्द्र को गहरा नुक़सान हो सकता है.
फिल्म में ‘ज्ञानवापी मस्जिद’ जैसे मामलों का भी उल्लेख है, जो वर्तमान में वाराणसी की ज़िला अदालत और सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं. ये बातें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 में दिए गए नागरिक अधिकारों का उल्लंघन हैं. फिल्म को सेंसर बोर्ड से प्रमाणपत्र जारी होने के बाद 11 जुलाई शुक्रवार को रिलीज किया जाना है.
इस पर रोक लगाने के लिए जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दिल्ली के साथ-साथ बंबई और गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका में केंद्र सरकार, सेंसर बोर्ड, जॉनी फायर फॉक्स मीडिया प्रा. लि. और एक्स कार्प्स को पक्षकार बनाया गया है, जो फिल्म के निर्माण और वितरण से जुड़े हैं.
संविधान की धारा 226 के अंतर्गत दाखिल की गई यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील फ़ुजैल अय्यूबी द्वारा तैयार की गई है, जिसका डायरी नंबर है: Diary No. E-4365978/2025. याचिका में कहा गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग करते हुए फिल्म में ऐसे दृश्य दिखाए गए हैं जिनका इस्लाम, मुसलमानों और देवबंद से कोई लेना-देना नहीं है. ट्रेलर से साफ़ झलकता है कि यह फिल्म मुस्लिम-विरोधी भावनाओं से प्रेरित है.
मौलाना अरशद मदनी ने इस नफरत फैलाने वाली फिल्म पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह फिल्म देश में अमन और सांप्रदायिक सौहार्द को आग लगाने के लिए बनाई गई है. इसके ज़रिए एक वर्ग विशेष, उसके उलेमा और धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों की छवि को नुक़सान पहुंचाने की एक साज़िश रची गई है. उन्होंने आश्चर्य जताया कि सेंसर बोर्ड ने अपने सभी नियम-कायदों को दरकिनार करते हुए इस फिल्म को कैसे मंजूरी दे दी.
मौलाना ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि इस फिल्म के पीछे कुछ ताक़तें और लोग हैं जो एक विशेष समुदाय की छवि को खराब कर देश की बहुसंख्यक आबादी के बीच उनके खिलाफ ज़हर भरना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म को पास कर एक आपराधिक साज़िश में भागीदारी की है. ऐसा लगता है कि यह बोर्ड भी अब सांप्रदायिक शक्तियों के हाथों की कठपुतली बन गया है.
उन्होंने आगे कहा कि यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी सेंसर बोर्ड कई विवादास्पद फिल्मों को मंजूरी दे चुका है, जिससे साफ़ होता है कि एक बड़ी साज़िश के तहत इस प्रकार की फिल्मों का निर्माण किया जा रहा है. मौलाना मदनी ने कहा कि सेंसर बोर्ड ने सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 की धारा 5B और उसके तहत 1991 में जारी सार्वजनिक प्रदर्शन की शर्तों का उल्लंघन किया है. फिल्म का 2 मिनट 53 सेकंड का जो ट्रेलर जारी किया गया है, वह ऐसे डायलॉग्स और दृश्यों से भरा है जो देश में सांप्रदायिक सौहार्द को नुक़सान पहुंचा सकते हैं.
जावेद मंसूरीवरिष्ठ संवाददाता
जावेद मंसूरी News 18 इंडिया में बतौर सीनियर करेस्पोंडेंट कार्यरत हैं. पत्रकारिता में 10 साल का अनुभव है. ABP न्यूज़ से अपने सफर की शुरुआत करने वाले जावेद मंसूरी ने जून 2012 से मार्च 2019 तक ABP न्यूज़ में काम किय...और पढ़ें
जावेद मंसूरी News 18 इंडिया में बतौर सीनियर करेस्पोंडेंट कार्यरत हैं. पत्रकारिता में 10 साल का अनुभव है. ABP न्यूज़ से अपने सफर की शुरुआत करने वाले जावेद मंसूरी ने जून 2012 से मार्च 2019 तक ABP न्यूज़ में काम किय...
और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi