लालू की उलझन: ओवैसी को साथ लें या दूर रखें? सीमांचल में मुस्लिम वोटों का खेल

6 hours ago

Last Updated:July 05, 2025, 22:50 IST

RJD AIMIM Alliance In Bihar: बिहार चुनाव से पहले RJD के सामने बड़ा सवाल- AIMIM को गठबंधन में शामिल करें या नहीं? AIMIM ने लालू यादव को चुनावी साथ देने का प्रस्ताव भेजा है. सीमांचल में मुस्लिम वोट बैंक की रणनीति...और पढ़ें

 ओवैसी को साथ लें या दूर रखें? सीमांचल में मुस्लिम वोटों का खेल

'ओवैसी फैक्टर' ने महागठबंधन को फिर उलझाया, क्या होगी लालू की रणनीति?

हाइलाइट्स

लालू यादव के सामने AIMIM को साथ लेने का सवालसीमांचल में मुस्लिम वोट बैंक की रणनीति तय करने में लालू फंसेAIMIM ने सीमांचल में 5 सीटें जीती, महागठबंधन पर असर

पटना: बिहार की सियासत एक बार फिर से करवट ले रही है. चुनाव नजदीक हैं. एनडीए के खिलाफ महागठबंधन की गोटियां बिछ रही हैं. लेकिन एक नाम है जो इस जोड़-तोड़ को बार-बार बिगाड़ देता है: असदुद्दीन ओवैसी. एआईएमआईएम के बिहार अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने हाल ही में लालू प्रसाद यादव को चिट्ठी लिखी. उन्होंने साफ-साफ कहा कि भाजपा को हराने के लिए हमें साथ आना चाहिए. लेकिन सवाल ये है कि क्या लालू यादव ओवैसी की पार्टी को गले लगाएंगे? मामला बेहद पेचिदा है. एआईएमआईएम भले ही भाजपा के खिलाफ है, लेकिन आरजेडी समेत महागठबंधन की कई पार्टियों को लगता है कि ओवैसी की पार्टी लड़ाई को और उलझा देती है. खासकर सीमांचल में.

ओवैसी की AIMIM को साथ लें या नहीं? लालू के सामने सवाल

लालू यादव की पार्टी की नींव यादव और मुस्लिम वोटरों पर टिकी है. जबकि ओवैसी की पकड़ मुस्लिम इलाकों में मजबूत होती जा रही है. अगर एआईएमआईएम को साथ लिया गया, तो मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा लालू को छोड़ ओवैसी के खाते में जा सकता है. ये सियासी जोखिम लालू या तेजस्वी शायद न लेना चाहें.

लेकिन अगर आरजेडी ओवैसी का ऑफर ठुकरा देती है, तो उसकी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है. 2020 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने सीमांचल की 5 सीटें जीत ली थीं. ये वो सीटें थीं, जो कांग्रेस और आरजेडी जीतने का सपना देख रहे थे.

ओवैसी ने बिहार में 18 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 14 सीमांचल में थे. इनमें से 5 ने जीत दर्ज की. अमौर, बायसी, कोचाधामन, बहादुरगंज और जोकीहाट में पार्टी ने कब्जा जमाया. ये नतीजे यह दिखाने के लिए काफी थे कि एआईएमआईएम अब सीमांचल की सियासत में ‘सीरियस प्लेयर’ बन चुकी है.

लेकिन 2022 में ही ओवैसी के चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए. लालू यादव ने तब इसका स्वागत किया, लेकिन यह भी साफ कर दिया कि वह ओवैसी पर भरोसा नहीं करते.

बीजेपी की ‘बी-टीम’ होने का शक

अब फिर से ओवैसी दरवाजा खटखटा रहे हैं. लेकिन आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने दो टूक कहा, ‘एआईएमआईएम भाजपा की बी-टीम की तरह काम करती है.’ उन्होंने कहा कि फैसला लालू और तेजस्वी लेंगे, लेकिन बिहार में इस बार कोई वोट बंटवारा नहीं होगा. तेजस्वी की लहर सब पर भारी पड़ेगी.

उधर, एआईएमआईएम भी जवाबी हमला करने में पीछे नहीं है. प्रवक्ता वारिस पठान कहते हैं, ‘हर बार हमें बी-टीम कहते हैं, लेकिन कोई सबूत नहीं देते. हमने हरियाणा में चुनाव नहीं लड़ा, फिर वहां कांग्रेस क्यों हारी?’

पठान का कहना है कि पार्टी का मकसद सिर्फ भाजपा को हराना है और सेक्युलर वोटों का बंटवारा रोकना है. अगर आम आदमी पार्टी लड़े तो कोई सवाल नहीं पूछता, लेकिन एआईएमआईएम को लेकर हर बार अंगुली उठाई जाती है.

लालू अगर नहीं माने तो…

तो सवाल उठता है अगर लालू यादव ओवैसी का प्रस्ताव ठुकरा दें तो? वारिस पठान साफ कहते हैं, ‘अगर गठबंधन नहीं होता, तब भी हम चुनाव लड़ेंगे. कोई हमें रोक नहीं सकता.’ उन्होंने संकेत दिया कि पार्टी अब सिर्फ मुस्लिम चेहरों तक सीमित नहीं रहेगी. पार्टी ने पूर्वी चंपारण की ढाका सीट से राजपूत नेता राणा रंजीत को उम्मीदवार बनाया है. और भी गैर-मुस्लिम उम्मीदवार जल्द सामने आ सकते हैं.

सीमांचल से बाहर भी एआईएमआईएम ने जोर लगाना शुरू कर दिया है. पार्टी अब बाढ़, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, पलायन और मानव तस्करी जैसे मुद्दों को उठाने लगी है. खासकर उन इलाकों में, जहां अब तक कोई ध्यान नहीं देता था.

बिहार का सियासी शतरंज अब फिर से सज रहा है. एआईएमआईएम अगर महागठबंधन का हिस्सा नहीं भी बनी, तो भी सीमांचल की सियासत को उलट-पलट सकती है. और अगर साथ आई, तो मुस्लिम वोटों का समीकरण पूरी तरह से बदल जाएगा.

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

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लालू की उलझन: ओवैसी को साथ लें या दूर रखें? सीमांचल में मुस्लिम वोटों का खेल

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