Last Updated:July 22, 2025, 11:13 IST
Why Jagdeep Dhankhar Resign :देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार रात स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. धनखड़ के इस्तीफे पर विपक्ष सवाल उठा रहा है. धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस...और पढ़ें

नई दिल्ली. देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अपने पद इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया. संसद सत्र शुरू होने के पहले दिन ही धनखड़ के इस्तीफे पर विपक्ष सवाल उठा रहा है. इस्तीफे के पीछे उन्होंने स्वास्थ्य कारणों को वजह बताया है. 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक का था. धनखड़ ने 10 दिन पहले ही इस्तीफे के संकेत दे दिए थे. बीच कार्यकाल में इस्तीफा देने वाले वो तीसरे उपराष्टपति हैं. इससे पहले वीवी गिरि, भैरों सिंह शेखावत ने भी कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दे दिया था. आर वेंकटरमन 1987 जब भारत के राष्ट्रपति चुने गए तो उस समय वह उपराष्ट्रपति थे. उन्होंने शपथ ग्रहण से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
10 दिन पहले ही दे दिए थे इस्तीफे के संकेत
10 जुलाई को एक कार्यक्रम में कहा था, ‘ईश्वर की कृपा रही तो अगस्त, 2027 में रिटायर हो जाऊंगा.’ तब किसी ने इस बात का अंदाज नहीं लगाया था कि 10 दिन बाद ही वह उपराष्टपति पद छोड़ देंगे. उन्होंने यह टिप्पणी जेएनयू के एक कर्यक्रम में कही थी. उन्होंने हल्के फुल्के अंदाज में कहा था, ‘मैं सही समय पर अगस्त 2027 में रिटायर हो जाऊंगा. यह सब ईश्वर की इच्छा पर निर्भर करता है.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की खबर के बाद उनके पैतृक गांव किठाना गांव के लोग स्तब्ध हैं. धनखड़ के भतीजे हरेंद्र धनखड़ ने बताया कि किसी को भी इस अचानक दिए गए इस्तीफे को लेकर विश्वास नहीं हो रहा है. उन्होंने बताया कि यह सच है कि इन दिनों धनखड़ की तबीयत नासाज थी. उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ काफी चिंतित रहती थीं लेकिन इस्तीफा भी देंगे, ऐसा कोई सोच भी नहीं सकता था. उन्होंने बताया कि इसी महीने के पहले सप्ताह में जब उप राष्ट्रपति की पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ गांव आई थी. तब वे तीन दिन तक गांव में रूकी थी. उन्होंने बातों ही बातों में यह जरूर बताया था कि अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का पहले की बजाय ज्यादा ख्याल रखना पड़ेगा क्योंकि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है.
मार्च में हुआ था हार्ट का ऑपरेशन
मार्च में उनका हार्ट का ऑपरेशन हुआ था. वहीं पिछले महीने उत्तराखंड में उन्हें सीने में दर्द की शिकायत हुई थी. गांव में उनके इस्तीफे की खबर के बाद निराशा का माहौल है. धनखड़ ने हमेशा किठाना गांव के विकास की सोच रखी. उप राष्ट्रपति बनने के बाद गांव में ऐतिहासिक कार्य करवाने में धनखड़ का योगदान रहा. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का झुंझुनूं को लेकर प्रेम रहा है. उपराष्ट्रपति बनने के बाद वे सात बार झुंझुनूं आए.
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