Last Updated:December 14, 2025, 22:45 IST
चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले EVM को लेकर हर तरह का शक दूर करना चाहता है. इसलिए अब ईवीएम की जांच की जाएगी. इसके लिए पांच बाहरी राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति की गई है. पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने पर जोर दिया है.
बंगाल चुनाव से पहले ईवीएम की होगी जांच.एक ओर ईवीएम पर सवाल उठाए जा रहे हैं तो दूसरी ओर चुनाव आयोग ने एक बड़ा फैसला लिया है. पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) की फर्स्ट लेवल चेकिंग (FLC) के लिए पांच नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की है. खास बात यह है कि ये पांचों अधिकारी पश्चिम बंगाल के बाहर के राज्यों से बुलाए गए हैं. चुनाव आयोग ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की विश्वसनीयता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए ‘फर्स्ट लेवल चेकिंग’ एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए ही इन पांच विशेष दूतों को तैनात किया गया है.
चुनाव आयोग ने जिन पांच नोडल अधिकारियों को नियुक्त किया है, वे देश के अलग-अलग राज्यों के वरिष्ठ चुनाव अधिकारी हैं. आयोग का उद्देश्य इन नियुक्तियों के जरिए यह सुनिश्चित करना है कि राज्य में चुनाव पूर्व की प्रक्रियाओं में पूरी तरह से पारदर्शिता और तटस्थता बनी रहे. अरुणाचल प्रदेश की डिप्टी सीईओ शायनिया कायेम मिजे, महाराष्ट्र के डिप्टी सीईओ योगेश गोसावी, मेघालय के एडिशनल सीईओ पीके बोरो, मिजोरम की ज्वाइंट सीईओ एथेल रोथांगपुई और चुनाव आयोग में अंडर सेक्रेटरी कनिष्क कुमार को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है. ये सभी अधिकारी पश्चिम बंगाल के अलग-अलग एफएलसी वेन्यू (FLC Venues) पर ऑब्जर्वर के रूप में तैनात रहेंगे और ईवीएम की जांच प्रक्रिया अपनी देखरेख में पूरी करवाएंगे.
क्यों बुलाए गए बाहर से अधिकारी?
पश्चिम बंगाल के चुनाव अक्सर राजनीतिक रूप से संवेदनशील और हिंसक घटनाओं के लिए चर्चा में रहते हैं. ऐसे में स्थानीय प्रशासन या अधिकारियों पर पक्षपात के आरोप न लगें, इसलिए चुनाव आयोग ने एहतियातन दूसरे राज्यों के अधिकारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी है. इसे ‘चेक एंड बैलेंस’ की नीति के तौर पर देखा जा रहा है. आयोग का संदेश साफ है कि चुनाव की नींव यानी ईवीएम की जांच से लेकर मतदान तक सब कुछ निष्पक्ष होना चाहिए.
क्या होती है ‘फर्स्ट लेवल चेकिंग’ (FLC)?
विधानसभा चुनाव से पहले ईवीएम और वीवीपैट (VVPAT) मशीनों की तकनीकी जांच की जाती है, जिसे एफएलसी कहा जाता है. यह प्रक्रिया चुनाव की घोषणा से काफी पहले शुरू हो जाती है. इस दौरान भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) के इंजीनियर मशीनों की जांच करते हैं. राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी इस दौरान मौजूद रहने के लिए बुलाया जाता है ताकि वे खुद देख सकें कि मशीनें ठीक से काम कर रही हैं या नहीं. खराब पाई जाने वाली मशीनों को तुरंत हटा दिया जाता है. यह पूरी प्रक्रिया अब इन 5 बाहरी नोडल अधिकारियों की निगरानी में होगी.EVM पर अब दिखेगी उम्मीदवार की फोटो
आगामी बंगाल चुनाव में एक और बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. चुनाव आयोग ने ऐसे नियम पेश किए हैं जिनके तहत अब ईवीएम पर प्रत्येक उम्मीदवार की तस्वीर भी प्रदर्शित की जाएगी. हालांकि पहले भी मतपत्रों और ईवीएम पर चुनाव चिन्ह के साथ नाम होता था, लेकिन फोटो का स्पष्ट प्रदर्शन मतदाताओं के लिए एक बड़ी सुविधा होगी. इससे एक ही नाम के दो उम्मीदवारों के बीच भ्रम की स्थिति कम होगी और मतदाता अपने पसंदीदा प्रत्याशी को चेहरे से पहचान कर वोट कर सकेंगे.
बूथों की संख्या में भारी इजाफा
2021 के विधानसभा चुनावों की तुलना में इस बार मतदान केंद्रों की संख्या में भी बढ़ोतरी होने जा रही है. 2021 के आंकड़े: पिछले विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में 80,000 से अधिक बूथ बनाए गए थे. 2026 का अनुमान: चुनाव आयोग के एक अधिकारी के अनुसार, हाल ही में हुई गणना (Enumeration) के बाद बूथों की संख्या में 10,000 से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है. यानी इस बार 90,000 से ज्यादा बूथों पर मतदान हो सकता है. बूथों की संख्या बढ़ने का सीधा मतलब है कि ईवीएम की जरूरत भी बढ़ेगी. इसीलिए आयोग समय रहते मशीनों की उपलब्धता और उनकी जांच पूरी कर लेना चाहता है.आयोग का कड़ा संदेश
चुनाव आयोग की यह सक्रियता बताती है कि वह पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर कितना गंभीर है. पिछले कुछ चुनावों में ईवीएम को लेकर उठते रहे सवालों और राजनीतिक दलों के आरोपों के बीच, आयोग ने पारदर्शिता को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया है. बाहरी राज्यों के अधिकारियों की नियुक्ति कर आयोग ने यह संकेत दे दिया है कि वह स्थानीय दबाव से मुक्त होकर निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है. आने वाले दिनों में ये पांचों नोडल अधिकारी बंगाल के विभिन्न जिलों का दौरा करेंगे और अपनी रिपोर्ट सीधे चुनाव आयोग को सौंपेंगे. यह कदम न केवल प्रशासनिक कसावट लाएगा बल्कि मतदाताओं और राजनीतिक दलों के बीच विश्वास बहाली का भी काम करेगा.
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Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
Location :
Kolkata,West Bengal
First Published :
December 14, 2025, 22:45 IST

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