Last Updated:June 15, 2025, 13:59 IST
Congress Stands on Israel Iran War: इजरायल-ईरान जंग पर कांग्रेस ने इजरायल की निंदा की है, जबकि मोदी सरकार ने कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है. जयराम रमेश ने कूटनीति और संवाद पर जोर दिया है.

इजरायल ईरान जंग को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार से अलग रुख अपनाया है. ऐसा क्यों?
हाइलाइट्स
कांग्रेस ने इजरायल की निंदा की, शत्रुता बंद करने की मांग की.मोदी सरकार ने इजरायल-ईरान जंग पर स्पष्ट बयान नहीं दिया.कांग्रेस ने भारत को मध्यस्थ बनने की अपील की.Congress Stands on Israel Iran War: इजरायल और ईरान के बीच जारी जंग ने क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है. इस बीच देश के घरेलू राजनीति में भी इस मसले पर एक नई बहस शुरू हो गई है. सरकार ने इस जंग में दोनों पक्षों से संयम बरतने की बात कही है वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इजरायल की इन कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की है, जो इसे ईरान की संप्रभुता पर हमला और उसके अधिकारों का हनन करार दे रही है. कांग्रेस का यह रुख मौजूदा मोदी सरकार की नीति से अलग दिखाई दे रहा है, जिसने इस मुद्दे पर अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि इजरायल की हवाई हमले और गुप्त हत्याएं क्षेत्र में अस्थिरता को बढ़ाएंगी और भविष्य में संघर्ष के बीज बोएंगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंसा के बजाय कूटनीति, संवाद और अंतरराष्ट्रीय सहयोग ही एकमात्र टिकाऊ रास्ता है. कांग्रेस ने मांग की कि शत्रुता तुरंत बंद हो, क्योंकि सैन्य दुस्साहस पहले से ही कमजोर क्षेत्र को व्यापक युद्ध में धकेल सकता है, जिसका मानवीय और आर्थिक नुकसान भयावह होगा.
भारत को मध्यस्थ बनने की जरूरत
कांग्रेस का यह स्टैंड तब सामने आया है जब पश्चिम एशिया में लाखों भारतीय नागरिक रहते और काम करते हैं. यह चीज इस मसले को राष्ट्रीय हित से जोड़ता है. जयराम रमेश ने कहा कि भारत का ईरान के साथ सभ्यता का गहरा रिश्ता और इजरायल के साथ रणनीतिक संबंध उसे एक अनोखी स्थिति में लाते हैं. इस स्थिति का इस्तेमाल भारत को मध्यस्थ बनकर तनाव कम करने और शांति बहाल करने के लिए करना चाहिए. उन्होंने मोदी सरकार से अपील की कि वह स्पष्ट रूप से बोले, जिम्मेदारी से काम करे और हर कूटनीतिक चैनल का इस्तेमाल तनाव कम करने के लिए करे.
दूसरी ओर, मोदी सरकार ने इस घटना पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिसे कांग्रेस ने आलोचना का विषय बनाया है. कांग्रेस का कहना है कि भारत की चुप्पी और कूटनीतिक हस्तक्षेप की कमी से देश की वैश्विक छवि और क्षेत्र में उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का दोस्ताना रिश्ता दोनों देशों से उसे शांति प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाने का मौका देता है, लेकिन इसके लिए स्पष्ट नीति की जरूरत है.
हालांकि, सरकार के सूत्रों का कहना है कि वह स्थिति का आकलन कर रही है और जल्द ही अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी. लेकिन कांग्रेस का तीखा रुख और सरकार से अलग स्टैंड लेना इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस को तेज कर सकता है. पश्चिम एशिया में शांति भारत के लिए न केवल भू-राजनीतिक चिंता है, बल्कि वहां रह रहे भारतीयों की सुरक्षा भी इसकी प्राथमिकता होनी चाहिए, जैसा कि कांग्रेस ने जोर देकर कहा.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
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