इस गांव में 83% निवासी मुसलमान, कहीं भी कुछ हो, यहां दरवाजे पर दस्‍तक तय

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Last Updated:December 13, 2025, 08:33 IST

Borivali Padgha Village News: देश विरोधी गतिविधियों को लेकर विभिन्‍न एजेंसियों की ओर से छापे मारे जाते रहते हैं, ताकि ऐसे संगठनों और लोगों पर नकेल कसी जा सके. महाराष्‍ट्र के ठाणे में एक ऐसा गांव है, जहां अक्‍सर रेड पड़ते रहते हैं. देश में कहीं भी कुछ भी हो इस गांव में छापा पड़ना एक तरह से तय माना जाता है. हाल में ही NIA की टीम ने इस गांव में छापा मारा है.

इस गांव में 83% निवासी मुसलमान, कहीं भी कुछ हो, यहां दरवाजे पर दस्‍तक तयBorivali Padgha Village News: महाराष्‍ट्र के बोरीवली-पडघा गांव में अक्‍सर ही केंद्रीय और राज्‍यस्‍तरीय जांच एजेंसियों की ओर से छापे मारे जाते रहते हैं. (सांकेतिक तस्‍वीर)

Borivali Padgha Village News: मुंबई से करीब 53 किलोमीटर ठाणे जिले में स्थित बोरीवली-पडघा गांव पिछले एक दशक से लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. वजह है- यहां बार-बार केंद्रीय और राज्य की सुरक्षा एजेंसियों की ओर से की जाने वाली छापेमारी. बीते दो वर्षों में ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), प्रवर्तन निदेशालय (ED), महाराष्ट्र एटीएस और ठाणे ग्रामीण पुलिस ने इस गांव में कई बड़े स्तर पर तलाशी अभियान चलाए हैं. ताजा मामला गुरुवार का है, जब ED ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत देश के कई राज्यों में 40 ठिकानों पर छापे मारे. इनमें बोरीवली-पडघा भी शामिल था. यह कार्रवाई उन मामलों से जुड़ी है, जो NIA और महाराष्ट्र ATS ने पुणे के कुछ लोगों के खिलाफ ISIS से कथित संबंधों को लेकर दर्ज किए हैं.

बोरीवली-पडघा का इतिहास काफी पुराना है. इसके दस्तावेजी प्रमाण 7वीं से 10वीं सदी के शिलाहार वंश के समय तक मिलते हैं, जब यह इलाका उत्तरी कोंकण प्रशासन का हिस्सा था. 12वीं सदी में अरब व्यापारी भिवंडी बंदरगाह के रास्ते यहां पहुंचे और पास के बोरिवली इलाके में बस गए. धीरे-धीरे बोरीवली और पडघा सामाजिक और आर्थिक रूप से एक-दूसरे से जुड़ गए. यहां की आबादी मुख्य रूप से मुस्लिम है और समुदाय आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर रहा है. साल 2011 की जनगणना के अनुसार, गांव की आबादी 5,780 है, जिनमें करीब 83 फीसदी मुस्लिम हैं. मुल्ला, नाचन और खोत जैसे परिवार यहां जमीन और लकड़ी के व्यापार के कारण प्रभावशाली माने जाते रहे हैं.

छोटा सा गांव कैसे बना SIMI का गढ़?

बोरीवली-पडघा गांव के लोग राजनीतिक रूप से भी सक्रिय रहे हैं. ‘इंडियन एक्‍सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, आजादी की लड़ाई के दौरान यहां की मुस्लिम महिलाओं ने स्वदेशी आंदोलन में हिस्सा लिया था और ब्रिटिश सामान जलाया था. उस प्रदर्शन में सरोजिनी नायडू भी शामिल हुई थीं. यही राजनीतिक चेतना आगे चलकर अलग-अलग विचारधाराओं का केंद्र बनी. यहां वामपंथी गतिविधियों से लेकर इस्लामिक छात्र संगठनों तक की मौजूदगी रही. साल 2001 में प्रतिबंध लगने से पहले स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) का इस इलाके में अच्छा-खासा असर था, जो बाद में खुफिया एजेंसियों की रिपोर्टों में बार-बार सामने आया.

कैसे बिगड़ा इमेज?
बोरीवली-पडघा पहली बार बड़े स्तर पर तब चर्चा में आया, जब 2002-03 के मुंबई सीरियल बम धमाकों की जांच हुई. इन मामलों में गांव के पांच लोगों को आरोपी बनाया गया. पुलिस के अनुसार, साकिब नाचन इन मामलों का मुख्य साजिशकर्ता था. एजेंसियों ने आरोप लगाया कि हथियार जुटाने, प्रशिक्षण दिलाने और घाटकोपर, विले पार्ले, मुंबई सेंट्रल और मुलुंड में धमाकों की साजिश में उसकी भूमिका थी. कुछ आरोपियों को हथियार रखने के मामले में सजा हुई, जबकि कुछ को आतंकी आरोपों से बरी कर दिया गया. इसके बाद से ही गांव की पहचान एक संवेदनशील इलाके के रूप में बन गई, जिससे स्थानीय लोग आज तक जूझ रहे हैं.

कौन है साकिब नाचन?
साकिब नाचन का नाम इस पूरे मामले में सबसे अहम रहा है. वह बोरीवली-पडघा के एक प्रभावशाली कोंकणी मुस्लिम परिवार से था. उसके पिता अब्दुल हमीद नाचन समुदाय के बड़े नेता थे. साकिब ने कॉमर्स की पढ़ाई की और शुरुआत में जमात-ए-इस्लामी हिंद से जुड़ा.

साकिब का कद कैसे बढ़ता गया?
1980 के दशक में साकिब नाचन SIMI में शामिल हुआ और जल्दी ही महाराष्ट्र अध्यक्ष और फिर राष्ट्रीय महासचिव बन गया. खुफिया एजेंसियों का आरोप है कि इसी दौरान वह पाकिस्तान और अफगानिस्तान गया और उग्रवादी संगठनों से संपर्क बनाए.

किस तरह के गंभीर आरोप लगे?
साल 1992 में CBI ने साकिब नाचन पर विस्फोटक और आतंकी प्रशिक्षण से जुड़े आरोप लगाए. उसे टाडा के तहत सजा हुई, जो बाद में घटाकर 10 साल कर दी गई थी. साल 2001 में सजा पूरी कर वह गांव लौटा, लेकिन 2002-03 के धमाकों के बाद फिर से गिरफ्तार हुआ.

साल 2023 में नाचन को क्‍यों किया गया था गिरफ्तार?
वर्ष 2017 में रिहा होने के बाद वह शांत जीवन जी रहा था, लेकिन 2023 में उसका नाम ISIS से जुड़े एक मामले में फिर सामने आया. NIA ने उसे गिरफ्तार किया और साल दिल्ली के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई.

पिछले दो सालों में छापे क्यों बढ़े?

NIA के अनुसार, साकिब नाचन और उसका बेटा शमील नाचन पुणे के कोंढवा इलाके से चल रहे एक ISIS-समर्थित स्लीपर सेल से जुड़े थे. एजेंसी का दावा है कि इस समूह ने बम बनाने, प्रशिक्षण और परीक्षण जैसे काम किए. जांच एजेंसियों का मानना है कि SIMI के दौर में बने नेटवर्क पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं. इसी कारण अलग-अलग मामलों में गांव के लोगों के नाम सामने आते रहे हैं. इसलिए यह गांव सुरक्षा एजेंसियों के र‍डार पर बना हुआ है. गांव में पुलिस की चौकियां हैं. एक स्थानीय निवासी के शब्दों में, ‘यहां हमेशा यह डर बना रहता है कि कभी भी फिर से तलाशी हो सकती है. यही वजह है कि मुंबई के पास बसा यह छोटा सा गांव SIMI से लेकर ISIS तक की जांचों के चलते बार-बार सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर आ जाता है.

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Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

Location :

Mumbai,Maharashtra

First Published :

December 13, 2025, 08:30 IST

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