इजरायल के सिर्फ 120 लोग कैसे ईरान पर पड़ गए भारी? ऑपरेशन नार्निया की इनसाइड स्टोरी

4 hours ago

इजरायल और ईरान के युद्ध में अगर सबसे ज्यादा चर्चा किसी की है तो वो है इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद. जो पिछले नौ दिनों से ईरान को हर रोज एक नया जख्म दे रही है. आज मोसाद ने ईरान पर एक नया मनोवैज्ञानिक प्रहार किया. उसने युद्ध के बीच ही अपने एक खुफिया ऑपरेशन की जानकारी सार्वजनिक की है. मोसाद ने बताया है कि उसने ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों को मारने के लिए एक खास मिशन शुरु किया था.

दिन रात लगे रहते हैं 120 एजेंट्स

इस मिशन को नाम दिया गया था ऑपरेशन नार्निया और इन वैज्ञानिकों को मारने के लिए मोसाद के 120 एजेंट दिन रात लगे हुए थे. हालांकि मोसाद ने ये नहीं बताया कि एजेंट ईरान के अंदर थे या बाहर लेकिन ऑपरेशन किस तरह किया गया इससे जुड़ी कुछ अहम जानकारियां मोसाद ने मीडिया को बताई हैं. मोसाद ने जो जानकारी साझा की है उसके मुताबिक मोसाद और उसकी सहयोगी एजेंसियों के जासूस, लगातार ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों की दिनचर्या पर नजर रख रहे थे. वैज्ञानिकों के घर से लेकर उनके दफ्तर जाने के रूट और समय की जानकारी जुटाई गई थी. वैज्ञानिक किन गाड़ियों का इस्तेमाल करते थे, ये भी पता किया गया था मोसाद के जासूसों ने ये तक पता कर लिया था कि ईरान के परमाणु वैज्ञानिक परिवार के साथ घूमने के लिए कहां-कहां जाते हैं. इन वैज्ञानिकों के फोन और निजी कंप्यूटर भी हैक कर लिए गए थे.

मोसाद की हिट लिस्ट में सबसे बड़ा नाम

इस जानकारी के आधार पर दो किस्म के हमले तय किए गए थे. जिन वैज्ञानिकों की लोकेशन उनके घरों में मिली, उनके ऊपर मिसाइल से पिन प्वाइंट स्ट्राइक की गई और जो सफर कर रहे थे. उनकी गाड़ियों में बम लगा दिए गए थे. ये वैज्ञानिक कौन थे, ईरान के परमाणु वैज्ञानिक के लिए कितने महत्वपूर्ण थे. मोसाद की हिट लिस्ट में सबसे बड़ा नाम था फेरेदून अब्बासी का, जो ईरान का न्यूक्लियर इंजीनियरिंग एक्सपर्ट कहा जाता था, मोसाद का दूसरा बड़ा शिकार था मोहम्मद मेहंदी. जो रिएक्टर के उपकरण बनाने का एक्सपर्ट था. इस लिस्ट में तीसरा नाम है अकबर जादेह का. जो केमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट का हेड था. ईरान के परमाणु रिएक्टर के लिए धातु तैयार करने के लिए जिम्मेदार सईद बराजी को भी मोसाद ने मार गिराया. आमिर हसन नाम का एक और परमाणु वैज्ञानिक मोसाद के कार बम ब्लास्ट में मारा गया था.

12 दिन में मारे 9 वैज्ञानिक

ऑपरेशन नॉर्निया के तहत मोसाद के जासूसों ने 12 दिनों के अंदर कुल 9 वैज्ञानिकों को मार गिराया और ईरानी परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ने से रोक दिया. इजरायली मीडिया में आईं खबरों के मुताबिक इस जासूसी ऑपरेशन में मोसाद को इजरायली सेना की यूनिट 8200 का भी सहयोग मिला था. अब हम आपको इस यूनिट से जुड़ी अहम जानकारी देने जा रहे हैं. जिसे आप रिकॉर्ड या डाउनलोड करके अपने जानकारों और करीबियों के साथ शेयर भी कर सकते हैं.

यूनिट 8200 इजरायली सेना का इंटेलिजेंस विंग है. इस यूनिट की स्थापना साल 1952 में की गई थी. इजरायली सेना की ये शाखा मानव संसाधनों से मिली जानकारी के साथ ही साथ. सिग्नल और सैटेलाइट के जरिए भी जानकारी जुटाती है और इसका मुख्य काम है. इजरायल की धरती के बाहर गुप्त जासूसी ऑपरेशंस को अंजाम देना. खास बात ये है कि इस यूनिट में सिर्फ 18 से लेकर 21 साल तक के नौजवान ही भर्ती किए जाते हैं.

हमने 17 जून के DNA में आपको दिखाया था कि किस तरह मोसाद के ऑपरेशंस की वजह से ईरान में खलबली मची हुई है. ईरान में टोपी और चश्मा पहने जो शख्स दिखता है. पुलिस उसे हिरासत में ले लेती है. मोसाद ने जिस तरह युद्ध के बीच ईरान में जासूसी नेटवर्क चलाया और दुश्मन को नुकसान पहुंचाया उसे देखकर लगता है. दुनिया भर की खुफिया एजेंसियां अपने जासूसों को मोसाद के ऑपरेशंस एक सबक की तरह पढ़ाएंगी.

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