Akash Air Defence System: ईरान और इजरायल के बीच भयंकर युद्ध जारी है. दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइलों और खतरनाक हथियारों से हमला कर रहे हैं. इस बीच जंग का एक कनेक्शन भारत से जुड़ा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 48 घंटे पहले भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह को इजरायल से फोन आया था. ये फोन इजरायली रक्षा मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल मेजर जनरल अमीर बराम की तरफ से किया गया था. अधिकारिक तौर पर इस बातचीत को लेकर सिर्फ इतना बताया गया कि ईरान और इजरायल के टकराव को लेकर दोनों अधिकारियों के बीच बातचीत हुई है.
अचानक क्यों किया इजरायल ने भारत को फोन?
एक बड़े युद्ध के दौरान दो देशों के शीर्ष रक्षा अधिकारी सिर्फ हालात पर चर्चा के लिए बातचीत करें, ये हजम करना थोड़ा मुश्किल है. इसी वजह से कयास लगाए जा रहे हैं कि हो सकता है भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर दोनों अधिकारियों के बीच बातचीत हुई हो क्योंकि ईरान के खिलाफ इजरायल की हवाई रक्षा प्रणाली काफी हद तक नाकाम साबित हो रही है और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय हवाई रक्षा प्रणाली ने अपना दमखम साबित किया है. अगर कयास सही हैं तो भारत के किन डिफेंस सिस्टम में इजरायल की दिलचस्पी हो सकती है, चलिए जानते हैं
ऑपरेशन सिंदूर कोई भारतीय भूला नहीं होगा. उस दौरान जब पाकिस्तान से लगातार मिसाइल और ड्रोन अटैक हुए थे, तब भारत के एयर डिफेंस सिस्टमम्स ने इन हमलों को नाकाम कर दिया था. इक्का दुक्का ड्रोन ही भारतीय धरती तक पहुंच पाए थे. बाकी सब आसमान में ही तबाह कर दिए गए थे.
पाकिस्तानी हमले किए थे नाकाम
पाकिस्तानी हमले के खिलाफ भारत का जो एयर डिफेंस सिस्टम सबसे ज्यादा कामयाब साबित हुआ था, उसका नाम है आकाश. आकाश एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह भारत में तैयार किया गया है. कई परीक्षणों के बाद इसे साल 2009 में सेवा में शामिल किया गया था. और जब पाकिस्तान से खतरा आया तो आकाश की मिसाइलों ने अपना दमखम दिखाया. खासकर पाकिस्तान के तेज रफ्तार वाले सुसाइड ड्रोंस को गिराने में आकाश की बड़ी भूमिका रही थी. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आकाश ने एक इतिहास भी रचा था. आकाश दुनिया का पहला ऐसा एयर डिफेंस सिस्टम बन गया था, जिसने एक बार लॉन्च किए गए रॉकेट्स से 4 टारगेट मार गिराए थे.
आकाश की मिसाइल की रेंज 45 किलोमीटर तक है और इसकी स्पीड 4 हजार किलोमीटर प्रति घंटा तक जाती है. एक आकाश डिफेंस सिस्टम में चार लॉन्चर होते हैं. हर लॉन्चर में तीन मिसाइल फिट की जाती हैं. यानी एक सक्रिय आकाश डिफेंस सिस्टम एक साथ 12 मिसाइल फायर कर सकता है. आकाश की सबसे बड़ी खासियत है कि ये डिफेंस सिस्टम 100 मीटर की ऊंचाई पर भी अपने टारगेट को हिट कर सकता है.
दुनिया ने देखा आकाश का दम
आकाश के साथ ही साथ दुनिया ने ऑपरेशन सिंदूर में भारत के एक और एयर डिफेंस सिस्टम का दमखम देखा था. इस सिस्टम का नाम है D-4. D-4 एक एंटी ड्रोन सिस्टम है, यानी इस सिस्टम के जरिए दुश्मन के अटैक और सुसाइड ड्रोन को हवा में ही खत्म किया जा सकता है.
D-4 सिस्टम चार सिद्धांतों पर काम करता है. ये सिद्धांत हैं DRONE, DETECT, DETER, DESTROY. यानी पहले ड्रोन के खतरे का पता लगाओ.शत्रु के ड्रोन की लोकेशन पता करो. हो सके तो ड्रोन को गिरने से रोको और आखिर में ड्रोन को तबाह कर दो. इस सिस्टम को DRDO ने बनाया है और ये सॉफ्ट और हार्ड किल पर काम करता है. सॉफ्ट किल का मतलब है कि आते हुए ड्रोन को जाम कर देना और ड्रोन अपने आप गिर जाएगा. हार्ड किल का मतलब है शक्तिशाली लेजर किरण से ड्रोन को हवा में ही जला देना ताकि वो जमीन पर धमाका ना कर पाए.
युद्ध होता है हथियारों की टेस्टिंग की जमीन
सामरिक जगत में कहा जाता है कि हर युद्ध हथियारों की टेस्टिंग की जमीन होती है यानी युद्ध में ही हथियार की क्षमता का पता चलता है लेकिन भारत के D-4 एयर डिफेंस सिस्टम ने एक आतंक रोधी अभियान के जरिए दुनिया को अपनी ताकत का एहसास करा दिया था.
आर्मीनिया और सूडान जैसे देश भारत से आकाश एयर डिफेंस सिस्टम खरीद चुके हैं. ताइवान ने भारत से D-4 एंटी ड्रोन सिस्टम खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. हो सकता है भारतीय हथियारों की क्षमता और खरीदारों की लिस्ट देखकर इजरायल भी भारत से एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने का इच्छुक हो.
अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर जिस इजरायल को एयर डिफेंस का बादशाह कहा जाता है. इजरायल के जिस आयरन डोम की तारीफों के कसीदे दुनिया भर में पढ़े जाते हैं, उस इजरायल को भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम में दिलचस्पी क्यों है. अब हम आपको इस सवाल का पूरा जवाब और गणित बताते हैं.
इजरायल पर दागीं 400 मिसाइलें
12 जून से लेकर अब तक ईरान ने इजरायल पर तकरीबन 400 मिसाइल दागी हैं, जिनमें से 40 इजरायल में अपने टारगेट्स पर गिरी हैं. इसका सीधा मतलब है कि ईरान ने मिसाइल हमलों में 10 प्रतिशत की कामयाबी हासिल की है. एक अनुमान के मुताबिक ईरान के पास तकरीबन 6 हजार मिसाइल हैं. अगर 10 प्रतिशत की वर्तमान दर से हिसाब लगाएं तो इजरायल में ईरान तकरीबन 600 टारगेट हिट कर सकता है...जो क्षेत्रफल में छोटे इजरायल को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है.
आयरन डोम पर जब ईरानी मिसाइल और ड्रोन का दबाव बढ़ा तो इजरायल अपने एरो एयर डिफेंस सिस्टम को इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हुआ. एरो एयर डिफेंस सिस्टम की मिसाइलों का उत्पादन काफी महंगा है. अगर इजरायल को ज्यादा तादाद में इन मिसाइलों का इस्तेमाल करना पड़ा तो ये इजरायल के ऊपर आर्थिक दबाव भी बढ़ा सकता है. शायद इसी वजह से इजरायल की नजर भारत के स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम पर होगी क्योंकि ये एयर डिफेंस सिस्टम लागत में कम और मारक क्षमता में अधिकतम साबित हुए हैं.