Last Updated:November 17, 2025, 06:10 IST
West Bengal SIR News: पश्चिम बंगाल में SIR की प्रक्रिया शुरू होने के साथ कोलकाता की गुलशन कॉलोनी चर्चा में आ गई है. लोगों का दावा है कि इस बस्ती में करीब एक लाख लोग रहते हैं, लेकिन वोटर लिस्ट में महज 3000 से 4000 नाम ही दर्ज हैं. इसे लेकर टीएमसी और बीजेपी में आरोप-प्रत्यारोप तेज हैं. ऐसे कमालिका सेनगुप्ता ने वहां जाकर असल जमीनी हालात का जायजा लिया.
पश्चिम बंगाल में SIR की प्रक्रिया शुरू होने के साथ कोलकाता की गुलशन कॉलोनी चर्चा में आ गई है.पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में पंचाननग्राम स्थित गुलशन कॉलोनी एक बार फिर राजनीतिक हलचल के केंद्र में आ गई है. यहां वोटर लिस्ट के विशेष सघन पुनरीक्षण यानी SIR की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही इलाके में हलचल तेज हो गई है. स्थानीय लोग लंबे समय से दावा करते हैं कि इस बस्ती में करीब एक लाख लोग रहते हैं, लेकिन वोटर लिस्ट में सिर्फ तीन से चार हजार नाम दर्ज हैं. यही अंतर अब तीखे राजनीतिक आरोपों का आधार बन गया है.
गुलशन कॉलोनी की तंग गलियों, जर्जर मकानों और कम रोशनी वाली सड़कों के बीच बड़ी संख्या में मजदूर, छोटे कारोबारी और किरायेदार परिवार रहते हैं. यहां रहने वालों की आबादी अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय की है. कुछ साल पहले यह इलाका तब चर्चा में आया था, जब स्थानीय पार्षद पर जानलेवा हमला हुआ था और पुलिस जांच में सामने आया था कि आरोपी इसी कॉलोनी में रह रहा था.
अब जबसे SIR की प्रक्रिया शुरू हुई है तभी से यहां का माहौल एक बार फिर गरम है. लोग सुबह से ही हेल्प सेंटर्स पर अपने फॉर्म से जुड़ी जानकारी के लिए कतारों में खड़े दिखाई देते हैं. कई लोग दावा करते हैं कि वे असल में बिहार या उत्तर प्रदेश से आए मजदूर परिवार हैं, जबकि कुछ बताते हैं कि उन्हें अभी तक कोई फॉर्म मिला ही नहीं है.
टीएमसी क्या दे रही दलील?
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक स्थानीय नेता फरूक का कहना है कि विपक्ष ‘नकारात्मक प्रचार’ कर रहा है. उनका कहना है कि वोट कम होने का कारण यहां रहने वाले परिवारों का बाहर से आकर बसना है. उनके अनुसार, ‘यहां लोग बिहार और यूपी से आए हैं, लेकिन किसी तरह की अवैध घुसपैठ का आरोप गलत है.’
लेकिन बीजेपी इस बात को मानने को तैयार नहीं है. पार्टी का आरोप है कि वोटर संख्या कम होने की असली वजह अवैध रूप से बसे लोगों की मौजूदगी है. प्रदेश अध्यक्ष शामिक भट्टाचार्य का दावा है, ‘हम पूरी तरह से सुनिश्चित हैं कि यहां रहने वाले अधिकतर लोग बांग्लादेश से आए हैं. SIR की प्रक्रिया पूरी होते ही असली तस्वीर सामने आ जाएगी.’
लोगों में डर का माहौल
गुलशन कॉलोनी के अंदर मौजूद डर और अनिश्चितता, बातचीत से साफ महसूस होती है. एक चाय स्टॉल पर बैठे अताउर रहमान बताते हैं कि वे दस साल पहले दिनाजपुर से काम की तलाश में आए थे. उनके अनुसार, ‘यह इलाका नया है. लोग काम की वजह से यहां आए हैं. कई बिहार और यूपी से हैं. कौन कहां से आया… यह तो सरकार की जांच ही बताएगी.’
दूसरी ओर, टीएमसी के सहायता शिविर पर खासी भीड़ लगी रहती है. मीना अली नाम की एक महिला कहती हैं कि वह तोपसिया से यहां शिफ्ट हुई हैं और अभी तक उन्हें फॉर्म नहीं मिला है. वे आशंकित हैं कि कहीं पते में बदलाव के कारण उनका नाम वोटर लिस्ट से हट न दिया जाए.
कई लोग अपने दस्तावेज़ों को लेकर उलझन में हैं और कुछ अपनी मूल जगह बताने से भी परहेज़ करते हैं. वरिष्ठ नागरिक याकूब अली बताते हैं कि वे पहले राजाबाजार में रहते थे और अब यहां आ गए हैं, लेकिन उन्हें डर है कि कहीं उनका नाम वोटर लिस्ट से हट न जाए.
इलाके में यह तय करना कि कौन वैध है और कौन नहीं, जमीन पर मौजूदगी भर से संभव नहीं है. लेकिन यह साफ दिख रहा है कि यहां बड़ी संख्या में प्रवासी और मजदूर तबका रहता है, जिससे वोटर संख्या और आबादी के बीच का अंतर स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है.
इधर बीजेपी इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए लगातार कह रही है कि गुलशन कॉलोनी ‘बांग्लादेशी और रोहिंग्या बस्ती’ है. वहीं टीएमसी इसे बीजेपी का ‘ध्रुवीकरण का प्रयास’ बता रही है.
SIR की प्रक्रिया ने इस इलाके को आगामी चुनावों से ठीक पहले राजनीतिक टकराव का नया केंद्र बना दिया है. दूसरी ओर, स्थानीय लोग इस बात को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित हैं कि उनके नाम सूची में बने रहेंगे या हट जाएंगे.
वोटर लिस्ट की जांच जारी है, आरोप-प्रतिआरोप भी. लेकिन गुलशन कॉलोनी का नाम अब धीरे-धीरे चुनावी बयानों और बहसों में एक नए विवाद की तरह उभर रहा है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
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Location :
Kolkata,West Bengal
First Published :
November 17, 2025, 06:10 IST

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