Last Updated:May 01, 2025, 16:11 IST
UPSC Success Story: जब एक रास्ता बंद हो जाता है, तो दूसरे की तलाश जारी रहती है. इसी उम्मीद में इंसान अपनी सफलता की एक नई इबारत लिख डालता है. ऐसी ही कहानी एक शख्स की है, जिनकी आंखों की रोशनी चली गई, लेकिन उम्मीद...और पढ़ें

UPSC Success Story: UGC NET के बाद UPSC में लहराया परचम
UPSC Success Story: जब आंखों से दिखना बंद हो गया, तब एक शख्स ने जीवन को नए नजरिए से देखना शुरू कर दिया. जिनकी हम बात कर रहे हैं, उनका नाम मनु गर्ग (Manu Garg) है. उन्होंने 23 साल की उम्र में वर्ष 2024 की संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा में शानदार परफॉर्म करते हुए 91वीं रैंक हासिल की हैं. एक चीज है, जो उन्हें औरों से अलग बनाती है, वह यह है कि उन्होंने ब्रेल सीखे बिना यह सफलता हासिल की.
कक्षा 8 में खोई आंखों की रोशनी, लेकिन नहीं रुके कदम
मनु ने स्क्रीन रीडर, ऑडियो पीडीएफ और अन्य डिजिटल टूल की मदद से पढ़ाई की. उनके संघर्ष में उनकी मां वंदना जैन हमेशा साथ रहीं. उन्होंने किताबें पढ़कर सुनाईं, नोट्स तैयार किए और दिल्ली तक उनके साथ आईं. मनु को एक दुर्लभ जेनेटिक बीमारी के चलते कक्षा 8 में आंखों की रोशनी चली गई. शुरुआत में यह झटका भारी था, लेकिन समाज और स्कूल के सहयोग ने उन्हें नया हौसला दिया. उन्होंने तय कर लिया कि वह एक ऐसा करियर चुनेंगे, जिससे वह दूसरों की सेवा कर सकें.
DU, JNU से की पढ़ाई
UPSC में 91वीं रैंक हासिल करने वाले मनु ने सेंट जेवियर्स स्कूल, जयपुर में शुरुआती शिक्षा हासिल की हैं. उन्होंने कक्षा 12वीं में कंप्यूटर साइंस विषय में 100 में से 100 अंक प्राप्त किए हैं. इसके बाद मनु ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की हैं. उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ाते हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से इंटरनेशनल रिलेशन में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की हैं.
UGC NET कर चुके हैं पास
मनु का शैक्षणिक योग्यता का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका. उन्होंने यूजीसी-नेट परीक्षा में 99.1 प्रतिशत अंकों के साथ सफलता प्राप्त की, जो किसी भी एकेडमिक करियर की दृढ़ नींव मानी जाती है. इसके अलावा उन्होंने पीएचडी में दाखिला लिया है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में पढ़ाई करते हुए लॉकडाउन के दौरान UPSC की तैयारी शुरू की. वर्ष 2023 में वह प्रीलिम्स पास कर गए लेकिन मेंस में सफल नहीं हो सके. वर्ष 2024 में रणनीति बदली और इस बार उन्होंने न सिर्फ मेंस क्लियर किया, बल्कि इंटरव्यू में भी शानदार परफॉर्म किया है.
मां बनीं सबसे बड़ी ताकत
मनु ने कभी ब्रेल नहीं सीखा, लेकिन तकनीक की मदद से उन्होंने सिलेबस को आत्मसात किया. स्क्रीन रीडर और डिजिटल संसाधनों ने उन्हें पढ़ाई में सहारा दिया. सबसे बड़ी चुनौती थी मेंस के लिए भरोसेमंद लेखक ढूंढना, लेकिन दोस्तों ने उनकी मदद की. मेंस की उत्तर लेखन प्रैक्टिस में उनकी मां ने उनका साथ दिया. मनु जवाब बोलते और मां उन्हें लिखतीं, जिससे उन्हें सुधार करने में मदद मिलती. गर्ग कहते हैं कि मेरी मां ने मेरे लिए जो किया, अगर मैं उसका 10% भी वापस दे सका, तो मेरी जिंदगी सफल होगी.
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