अमावस्या पर क्यों की जाती है भोरखो की पूजा, क्या है इसका महत्व? जानिये

13 hours ago

Last Updated:October 21, 2025, 12:16 IST

कुरुक्षेत्र के सन्निहित सरोवर पर दिवाली की अमावस्या को सैकड़ों परिवार भोरखो पर पितृ पूजा कर आशीर्वाद लेते हैं, श्री कालेश्वर महादेव मंदिर के पास भी भोरखो स्थापित हैं.

अमावस्या पर क्यों की जाती है भोरखो की पूजा, क्या है इसका महत्व? जानियेदिवाली के दिन भोरखो की पूजा का अहम महत्व है,

कुरुक्षेत्र.  दिवाली के दिन भोरखो की पूजा का अहम महत्व है, इसका पौराणिक महत्व भी है और पितरों की पूजा करना एक महत्वपूर्ण परंपरा है. यह माना जाता है कि इस दिन हमारे पूर्वज पृथ्वी लोक से वापस अपने लोक जाते हैं, और उनके लिए किया गया पूजन उन्हें शांति और मोक्ष प्रदान करता है. पितृ प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं जिससे परिवार में सुख समृद्धि और शांति रहती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है ऐसा पौराणिक काल से चला आ रहा है.

दीपावली के दिन अमावस पर अपने-अपने भोरखो ( यानी पितृ स्थान) पर पूजा करने का विशेष महत्व है.  विश्व विख्यात  सन्निहित    सरोवर के उत्तरी तट पर अनेक परिवारों ने अपने भोरखो ( यानी पितृ स्थान) के स्थापित किए हुए हैं. हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अमावस्या के दिन वे सभी लोग परिवार सहित अपने-अपने भोरखो पर पितृ पूजा करने के लिए पहुंचे हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि दीपावली के दिन  भोरखो पर पूजा अर्चना करके उनके निमित्त भोजन और वस्त्र इत्यादि का दान किया जाता है. इसी परंपरा के चलते आज सैकड़ों परिवार अपने-अपने भोरखो ( यानी पितृ स्थान) पर इकट्ठे हुए और उनकी पूजा करके आशीर्वाद प्राप्त किया.

2020 में चला था बुलडोजर

सन्निहित  सरोवर पर भोरखो कई दशकों से स्थापित हैं. कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने सन 2020 में इन भोरखो को हटाने का नोटिस दिया था और बाकायदा जेसीबी लगाकर तोड़ भी दिया था. उस समय अनेक परिवारों ने पूजा अर्चना के साथ अपने भोरखो को यहां से उठाकर अन्य स्थान पर स्थापित किया था.

श्री ब्राह्मण एवं तीर्थ द्वारा सभा ने समाज की मांग पर  विख्यात श्री कालेश्वर महादेव मंदिर के निकट लगभग 400 वर्ग गज भूमि दी हुई है, जहां पर अनेक परिवारों ने अपने भोरखो यानी अपने पितृ देवस्थान वहां स्थापित कर लिए हैं. लेकिन फिर भी सन्नहित  सरोवर के उत्तरी तट पर सैकड़ों परिवारों के भोरखो अभी भी स्थापित है.  ब्राह्मण तीर्थ सभा के सचिव महासचिव रामपाल शर्मा ने बताया का भोरखे पितृ स्थान अपनी जमीन पर बनाना चाहिए. यहां पर सरोवर के एक कोने पर काफी भोरखे स्थापित किए गए थे.

Vinod Kumar Katwal

Results-driven journalist with 14 years of experience in print and digital media. Proven track record of working with esteemed organizations such as Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesari and Amar Ujala. Currently...और पढ़ें

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Location :

Kurukshetra,Haryana

First Published :

October 21, 2025, 12:16 IST

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