Pak Afghan Peace Talks Fail: पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच शांति वार्ता का तीसरा दौर भी असफल हो चुका है. तुर्की और कतर की तरफ से आयोजित की गई तीसरे दौर की शांति वार्ता के दौरान पाक और अफगान के बीच विश्वास की कमी साफ नजर आ रही थी. जिसके बाद अब दोनों देशों के बीच फिर से तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है. लेकिन दोनों देशों के बीच लगातार तीन दौर की शांति वार्ता विफल होने के पीछे कुछ मुद्दे कारण रहे हैं जिन पर पाक-अफगान की सहमति नहीं बन पाई.
ख्वाजा आसिफ ने बिगाड़ा माहौल
शांति वार्ता से पहले पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अफगान तालिबान सरकार की तरफ से स्वतंत्र निर्णय लेने के अधिकार पर सवाल उठा दिए, जिससे माहौल बिगड़ गया. पाक रक्षा मंत्री ने अफगान के साथ रिश्तों को सुधारने की बजाय शांति वार्ता विफल होने के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा दिया. आसिफ ने शांति वार्ता के बाद पाक मीडिया से बातचीत के दौरान अफगानिस्तान प्रतिनिधिमंडल पर बिना किसी ठोस एजेंडे के आने का आरोप लगाते हुए किसी भी तरह के समझौते पर साइन न करने की बात कही. इतना ही नहीं आसिफ ने यह भी कहा कि अफगान के साथ अब शांति के लिए बातचीत अनिश्चित दौर पर पहुंच गई है.
टीपीपी पर आमने-सामने
दरअसल, पाकिस्तान चाहता है कि टीपीपी और उससे जुड़े नेटवर्क को खत्म करने के लिए अफगानिस्तान लिखित समझौते पर साइन करे ताकि सीमापार आतंकवादी हमलों को रोका जा सके. इस पर तालिबान सरकार ने रूख साफ करते हुए किसी भी आतंकवादी संगठन के खिलाफ कार्रवाई को अफगानिस्तान के कानूनों के तहत बताया. इतना ही नहीं अफगानिस्तान ने पाकिस्तान की तरफ से तीसरे देश की सहायता से निगरानी मैकेनिज्म को अपने देश की आजादी का उल्लंघन करार दिया.
अफगान पर आरोप
पाकिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर तालिबान प्रवक्ताओं का साफ कहना है अफगानिस्तान पाक के लिए किसी भी तरीके से पुलिस एजेंट की तरह काम नहीं करेगा और ना ही किसी ऐसे किसी वादे पर साइन करेगा जो विदेशी दखल को सही ठहरा सकें. तालिबान ने पाकिस्तान की तरफ से उन पर टीपीपी को पनाह देने और सीमा पार हमलों में मदद के आरोपों को भी बार-बार खारिज किया है.
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पाक ने अफगानियों को निकाला
पाक-अफगान के बीच शांति वार्ता अफगानिस्तान के शरणार्थियों की वापसी के चलते भी सफल नहीं हो पा रही है. क्योंकि, पाकिस्तान की तरफ से हजारों अफगानिस्तान के लोगों को अपने देश से निकाल दिया है. इस के चलते अफगानिस्तान की तालिबान सरकार पर राजनीतिक दबाव बना हुआ है. इन सब कारणों के चलते कतर और तुर्की की तरफ से आयोजित की गई शांति वार्ता सफल न होने पर दोनों देशों ने निराशा जताई है. हालांकि कतर और तुर्की ने दोनों देशों से संयम बरतने और शांति वार्ता जारी रखने की अपील की है. दूसरी तरफ तीन दौर की इस असफल वार्ता को लेकर विशेषज्ञ पाक-अफगान बॉर्डर पर बड़े सैन्य संघर्ष की आशंका जता रहे हैं.

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