DNA मित्रों अब हम आपके सामने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक और अजीबो-गरीब फैसले का विश्लेषण करने जा रहे हैं. इन दिनों डोनाल्ड ट्रंप का हर फैसला अमेरिका और उसके निवासियों को चौंकाता है लेकिन इस फैसले ने दुनिया के सबसे ताकतवर गुटों में से एक G-20 को हैरान कर दिया है . सबसे पहले आपको ट्रंप के इस फैसले की डीटेल्स देखनी चाहिए ताकि आप G-20 गुट के अंदर पैदा हुए असमंजस को समझ सकें. डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका में होने वाली G-20 समिट के बहिष्कार का ऐलान किया है. ट्रंप ने कहा है कि कोई भी अमेरिकी प्रतिनिधि इस समिट में नहीं जाएगा. ट्रंप का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के आधार पर श्वेत किसानों पर पर लगातार जुल्म हो रहे हैं उन्हें कत्ल किया जा रहा है. इसी वजह से उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में होने वाली G-20 समिट के बहिष्कार का फैसला किया है.
यहां हम आपको बता देना चाहते हैं कि ट्रंप जिस G-20 बैठक का ट्रंप बहिष्कार कर रहे है उस G-20 को खड़ा करने में अमेरिका का बड़ा योगदान था. वर्ष 1999 में जब G-20 की बैठक हुई थी तब अमेरिकी प्रतिनिधि लैरी समर्स ने ही बैठक का पहला एजेंडा पेश किया था. इसी वजह से आज हम ट्रंप के G-20 से जुड़े फैसले को डीकोड कर रहे हैं. इस सिलसिले में सबसे पहले हम आपके सामने ट्रंप के दावे यानी दक्षिण अफ्रीका में श्वेत किसानों पर हमलों का FACT CHECK करने जा रहे हैं. इन आंकड़ों को आपको भी बेहद गौर से देखना चाहिए ताकि आपको पता चल सके कि ट्रंप के दावों में कितना दम है. क्या वाकई ट्रंप ने जो कहा वही दक्षिण अफ्रीका का सच है.
दक्षिण अफ्रीका में अश्वेत किसानों का शोषण
वर्ष 2024 के आंकड़े बताते हैं कि दक्षिण अफ्रीका में किसानों को तकरीबन 300 अपराधों का सामना करना पड़ा. इनमें से ज्यादातर वारदातों में लूटपाट की गई जबकि कुछ में किसानों को कत्ल किया गया. जिन किसानों को कत्ल किया गया उनमें से सिर्फ 0.002 प्रतिशत ही श्वेत थे. यानी अपराधों में जो किसान या कारीगर कत्ल किए गए उनमें अश्वेतों की तादाद ज्यादा है. ये आंकड़े बताते हैं कि दक्षिण अफ्रीका में श्वेत किसानों पर जुल्म और उनके कत्ल को लेकर जो दावे ट्रंप ने किए हैं वो आंकड़ों से मेल नहीं खाते. इन आंकड़ों को देखने और समझने के बाद सवाल उठता है जब कथित नरसंहार हो ही नहीं रहा तो फिर ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका में G-20 के बहिष्कार जैसा बड़ा ऐलान क्यों किया.
ट्रंप ने किया था दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति का अपमान
इस सवाल का जवाब समझने के लिए आपको इसी साल मई में ट्रंप और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा का एक वीडियो ध्यान से दोबारा देखना चाहिए. ये वो मुलाकात थी जब रामफोसा को अमेरिका बुलाकर ट्रंप ने अपमानित किया था. पहले किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष को न्योता देकर बुलाना और फिर झूठे दावों के साथ अपराध से जुड़े आरोप लगाना इसे अपमान नहीं तो और क्या कहा जाएगा . अगर आप गौर से देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि ट्रंप को उतनी दिक्कत दक्षिण अफ्रीका से नहीं है जितनी दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामफोसा से है . ऐसा क्यों कहा जाता है ये समझने के लिए आपको रामफोसा और ट्रंप के बीच तनातनी से जुड़ा इतिहास गौर से देखना चाहिए ताकि आप इन दो शख्सियतों के बीच मतभेद को जान सकें.
ब्रिक्स समिट में रामफोसा ने चीन और रूस का दिया था साथ
वर्ष 2023 की ब्रिक्स समिट में रामफोसा ने चीन और रूस के साथ सामरिक सहयोग बढ़ाया था .इस सहमति पर ट्रंप ने नाराजगी जताते हुए रामफोसा को रूस और चीन की कठपुतली करार दिया था. गाजा युद्ध के दौरान दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल पर नरसंहार का आरोप लगाते हुए अंतरराष्ट्रीय अदालत में मुकदमा दर्ज कराया था. जिसके जवाब में दूसरी बार राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप ने अमेरिका में दक्षिण अफ्रीकी राजदूत इब्राहिम रसूल को देश निकाला दे दिया था. जब इजरायल और अमेरिका ने ईरान पर हमला किया था तो रामफोसा ने नैतिक तौर पर इसे गलत कदम करार दिया था. रामफोसा के इस बयान की भी ट्रंप के मंत्रियों ने निंदा की थी. यानी रामफोसा ने दक्षिण अफ्रीका के हितों और विचारों के लिए ट्रंप की नीतियों की परवाह नहीं की है.
भारत और चीन के खिलाफ अमेरिका ने लगाया भारी टैरिफ
ये तथ्य और आंकलन देखने के बाद आप समझ गए होंगे कि G-20 समिट के बहिष्कार के पीछे मुद्दा श्वेत किसानों के खिलाफ अपराध नहीं है . बल्कि इस फैसले की वजह है ट्रंप की जिद जो कभी भी किसी के भी खिलाफ खड़ी हो जाती है. चीन ने व्यापार की शर्तें नहीं मानी तो उसपर 149 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया . भारत ने ट्रंप के युद्धविराम कराने वाले झूठे दावों का खंडन किया तो भारत पर भी भारी टैरिफ लगा दिया. अब बारी रामफोसा की थी जिन्होंने गाजा युद्ध से लेकर ईरान जैसे मुद्दों पर ट्रंप की मनमानी को स्वीकार नहीं किया तो ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका में होने वाली समिट में ना जाने का ऐलान कर दिया.
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