SU-30MKI और तेजस फाइटर जेट बनेंगे महाबली, अब दुश्‍मनों पर और प्रचंड प्रहार

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Last Updated:December 28, 2025, 06:19 IST

Astra MK-III Missile: मॉडर्न टाइम में जबसे युद्ध का स्‍वरूप बदला है, दुनिया के तमाम देश अपने वेपन सिस्‍टम को अपग्रेड करने में जुट गए हैं. खासकर एयर वॉरफेयर को लेकर खास तैयारियां की जाने लगी हैं. स्‍टील्‍थ फाइटर जेट से लेकर ड्रोन और मिसाइल में नई टेक्‍नोलॉजी एड कर उसे और भी घातक और खतरनाक बनाने के प्रोजेक्‍ट पर हजारों-लाखों रुपये का निवेश किया जा रहा है. भारत भी इसमें पीछे नहीं है.

SU-30MKI और तेजस फाइटर जेट बनेंगे महाबली, अब दुश्‍मनों पर और प्रचंड प्रहारAstra MK-III Missile: अस्‍त्र MK-III मिसाइल एयर वॉरफेयर की तस्‍वीर बदलने कमी क्षमता रखती है. (फाइल फोटो/Reuters)

Astra MK-III Missile: ऑपरेशन सिंदूर में इंडियन आर्म्‍ड फोर्सेज ने अपने प्रचंड प्राक्रम का परिचय दिया था. इस दौरान कुछ बातें भी निकल कर सामने आईं, जिनपर अब पूरी गंभीरता से काम किया जा रहा है, ताकि कमियों को दूर कर देश के डिफेंस सिस्‍टम को अपग्रेड करने के साथ ही उसे और मजबूत किया जा सके. एयर वॉरफेयर को और धार देने की रणनीति के तहत कई तरह की मिसाइल्‍स डेवपल की जा रही हैं. उन्‍हीं में से एक है- अस्‍त्र MK-III बियॉन्‍ड विजुअल लॉन्‍ग रेंज एयर टू एयर मिसाइल. यह मिसाइल हवा से हवा में 350 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है. टारगेट हिट करने की स्‍पीड और रेंज इस मिसाइल को घातक बनाती है. रिपोर्ट की मानें तो अस्‍त्र MK-III मिसाइल का साल 2029 से फुल स्‍केल प्रोडक्‍शन शुरू हो सकता है. इसके बाद इसे एयरफोर्स में शामिल करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी. इस घातक मिसाइल को तेजस के साथ ही Su-30MKI जैसे फाइटर जेट में इंटीग्रेट किया जाएगा. इसे चीन की PL-15 मिसाइल का जवाब माना जा रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्‍तान ने इस चीनी मिसाइल का इस्‍तेमाल किया था.

भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता को एक और बड़ी मजबूती मिलने वाली है. देश की सबसे आधुनिक और लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइल अस्त्र MK-III का आधिकारिक नाम अब ‘गांडीव’ रख दिया गया है. यह नाम महाभारत के महान योद्धा अर्जुन के दिव्य धनुष ‘गांडीव’ से प्रेरित है, जो अचूक निशाने और अपार शक्ति का प्रतीक माना जाता है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की जा रही यह मिसाइल अभी परीक्षण के दौर में है, लेकिन इसके तकनीकी गुणों को देखते हुए इसे भविष्य की हवाई लड़ाइयों का गेम-चेंजर माना जा रहा है. आज के समय में हवाई युद्ध केवल सामने दिख रहे दुश्मन तक सीमित नहीं रह गए हैं. अब बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) यानी आंखों से दिखने की सीमा से बहुत दूर तक मार करने वाली मिसाइलें निर्णायक भूमिका निभा रही हैं. गांडीव इसी जरूरत को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही है. यह मिसाइल 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद लक्ष्य को 340 से 350 किलोमीटर की दूरी से मार गिराने में सक्षम होगी. वहीं, यदि लक्ष्य 8 किलोमीटर की ऊंचाई पर है, तब भी इसकी मारक क्षमता 190 किलोमीटर तक होगी. इतनी लंबी रेंज भारत को संभावित संघर्षों में रणनीतिक बढ़त दिला सकती है.

दुनिया की ताकतवर मिसाइलों को देगी चुनौती

वर्तमान में भारतीय वायुसेना के राफेल लड़ाकू विमानों में फ्रांस की मेटियोर मिसाइल तैनात है, जिसकी अधिकतम रेंज करीब 200 किलोमीटर है. गांडीव इस क्षमता से कहीं आगे निकलती दिखाई दे रही है. इसे भारतीय वायुसेना के सुखोई SU-30MKI और स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस पर तैनात किया जाएगा. इसके सेवा में आने के बाद भारत के पास दुनिया की सबसे लंबी दूरी की BVR एयर-टू-एयर मिसाइलों में से एक होगी. गांडीव की तुलना यदि वैश्विक मिसाइलों से करें तो यह चीन की PL-15 (लगभग 300 किमी रेंज) और अमेरिका की AIM-174 BVRAAM (करीब 240 किमी रेंज) से भी अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम होगी. इससे साफ है कि भारत हवाई युद्ध तकनीक में तेजी से वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ रहा है.

भारत मिसाइल भंडार को लगातार बढ़ाने में जुटा है. ब्रह्मोस से लेकर अग्नि सीरीज की मिसाइल्‍स इनमें शामिली हैं. (फाइल फोटो/Reuters)

अत्याधुनिक तकनीक से लैस

गांडीव मिसाइल में ड्यूल-फ्यूल डक्टेड रैमजेट इंजन लगाया गया है, जो इसे समुद्र तल से लेकर 20 किलोमीटर की ऊंचाई तक किसी भी स्तर से दागे जाने में सक्षम बनाता है. यह मिसाइल दुश्मन के लड़ाकू विमानों, बमवर्षकों, सैन्य परिवहन विमानों, ईंधन भरने वाले टैंकर और AWACS जैसे अहम हवाई प्लेटफॉर्म को भी निशाना बना सकती है. मिसाइल की लॉन्च स्पीड 0.8 से 2.2 मैक के बीच होगी, जबकि लक्ष्य को यह 2.0 से 3.6 मैक की रफ्तार से भेद सकती है. इसकी एक खास खूबी यह है कि यह बेहद फुर्तीले और तेज मोड़ लेने वाले लड़ाकू विमानों को भी 20 डिग्री तक के एंगल ऑफ अटैक पर निशाना बना सकती है. इसके अलावा इसमें ±10 किलोमीटर स्नैप-अप और स्नैप-डाउन क्षमता है, यानी यह अपने से ऊंचे या नीचे उड़ रहे लक्ष्यों पर भी सटीक हमला कर सकती है.

परीक्षणों में मिली सफलता

गांडीव मिसाइल के अब तक कई अहम ग्राउंड टेस्ट सफलतापूर्वक पूरे किए जा चुके हैं. इनमें बूस्टर टेस्ट, नोज़ल-लेस बूस्टर टेस्ट और अलगाव तंत्र (सेपरेशन मैकेनिज्म) से जुड़े परीक्षण शामिल हैं. फ्लाइट टेस्ट FT-01 और FT-02 में भी इसके सिस्टम्स ने अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन किया है. अगला बड़ा चरण इसे किसी भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान (जैसे SU-30MKI या तेजस) से दागकर परीक्षण करना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मिसाइल विमान के सभी सिस्टम्स के साथ पूरी तरह तालमेल में काम करती है.

आत्मनिर्भर भारत को मजबूती

गांडीव मिसाइल केवल सैन्य ताकत ही नहीं बढ़ाती, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी मजबूत करती है. भारत का रक्षा उत्पादन और निर्यात लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है. वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 32.5 प्रतिशत अधिक है. बीते दस वर्षों में रक्षा निर्यात में करीब 31 गुना वृद्धि हुई है. इस निर्यात में लगभग 60 प्रतिशत योगदान निजी क्षेत्र का है, जबकि 40 प्रतिशत रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों (DPSU) से आया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भरोसा जताया है कि भारत वर्ष 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात लक्ष्य को हासिल कर लेगा.

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Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

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New Delhi,Delhi

First Published :

December 28, 2025, 06:16 IST

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