Opinion: चुनाव का बहिष्‍कार करेंगे तो लोकतंत्र का क्‍या होगा एसटी हसन साहब!

8 hours ago

Last Updated:July 19, 2025, 10:49 IST

ST Hasan Boycott Election: बिहार में रजिस्‍टर्ड वोटर्स के वेरिफिकेशन के लिए चुनाव आयोग की तरफ से अभियान चलाया गया है. तमाम विपक्षी दलों की ओर से इसका विरोध किया जा रहा है. समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व सांसद...और पढ़ें

 चुनाव का बहिष्‍कार करेंगे तो लोकतंत्र का क्‍या होगा एसटी हसन साहब!

समाजावादी पार्टी के सीनियर लीडर एसटी हसन ने SIR पर बड़ी बात कही है.

हाइलाइट्स

बिहार में वोटर लिस्‍ट के वेरिफिकेशन के लिए व्‍यापक अभियान चलाया जा रहा हैविपक्षी दलों की ओर से चुनाव आयोग के इस कदम का विरोध किया जा रहा हैसमाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर पूर्व सांसद एसटी हसन ने बड़ा बयान दिया है

चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा कदम उठाते हुए वोटर्स का वेरिफिकेशन करने का बड़ा अभियान शुरू किया है. इसे स्‍पेशल इंटेसिव रिवीजन (SIR) का नाम दिया गया है. विपक्षी दलों की ओर से लगातार विरोध किया जा रहा है. विपक्ष में बैठी पार्टियों का आरोप है कि यह वोटर्स का नाम मतदाता सूची से काटने का एक तरीका है. हालांकि, चुनाव आयोग ऐसी दलील देने वाले दलों के आरोपो से इत्‍तफाक नहीं रखता है. चुनाव आयोग का स्‍पष्‍ट तौर पर कहना है कि बिहार में चलाए जा रहे अभियान का उद्देश्‍य रजिस्‍टर्ड वोटर्स को वेरिफाई करना है, ताकि फर्जी मतदाताओं को बाहर किया जा सके. बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत गणना प्रपत्र जमा करने की 25 जुलाई की अंतिम तिथि नज़दीक आते ही भारत के चुनाव आयोग ने खुलासा किया है कि लगभग 35.6 लाख मतदाताओं को अंतिम सूची से बाहर रखा जा सकता है. वेरिफिकेशन के तीन दौर के बावजूद आयोग ने बताया कि 4.5 प्रतिशत मतदाता (यानी 35.69 लाख व्यक्ति) अपने रजिस्‍टर्ड पते पर नहीं पाए गए.

अब इस पूरे विवाद में समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर और पूर्व सांसद एसटी हसन का चौंकने वाला बयान सामने आया है. एसटी हसन ने महागठबंधन में शामिल दलों से बिहार चुनाव का ही बहिष्‍कार करने का आह्वान कर दिया. उन्‍होंने क्‍या सोचकर इस तरह का बयान दिया यह तो वही बेहतर बता सकते हैं. लेकिन, एक प्रतिष्ठित पार्टी का नेता और पूर्व सांसद होने के नाते उनका यह बयान कम से कम लोकतंत्र के अनुरूप तो कतई नहीं हो सकता है. उनके इस बयान से लोकतंत्र को ही नुकसान पहुंचेगा, जिसका असर उन जैसे देश के सैकड़ों नेताओं पर पड़ सकता है. चुनाव लोकतंत्र का आधार है. इसके बिना जनतंत्र की बात नहीं की जा सकती है. एसटी हसन यदि अपने बयान पर दोबारा से विचार करेंगे तो शायद वे इस बात को आसानी से समझ सकेंगे कि इसका व्‍यापक असर क्‍या हो सकता है. इससे आखिरकार उनके जैसे नेताओं को ही नुकसान होगा, लोकतंत्र की बात तो बात करनी ही बेमानी हो जाएगी.

एसटी हसन का बयान

दअसल, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद एसटी हसन ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा है. एसटी हसन ने आगे कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी की बी टीम बनकर काम कर रहा है. उन्‍होंने आरोप लगाया कि पिछले चुनाव में भी चुनाव आयोग ने कई सारे मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से गायब कर दिए थे. बिहार में 32.50 लाख मतदाताओं के नाम सिर्फ जन्म प्रमाण पत्र न होने की वजह से हटा दिए जाएंगे. हसन ने आगे कहा कि यह सब मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है. सपा नेता ने कहा, ‘मैं महागठबंधन के सभी नेताओं से कहना चाहता हूं कि उन्हें बिहार चुनाव का बहिष्कार कर देना चाहिए.’ कांवड़ यात्रा को लेकर सपा नेता ने कहा कि यह एक पवित्र और धार्मिक यात्रा है, लेकिन चंद सरफिरे लोग भगवान भोले का सहारा लेकर तोड़फोड़ और मारपीट कर रहे हैं.

विवाद क्‍यों

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 21 के अनुसार, चुनाव आयोग को देश के सभी विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदाता सूची तैयार करने और संशोधित करने का कार्य सौंपा गया है.’मतदाता सूची’ या ‘मतदाता सूची’ शब्द प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के सभी पात्र और पंजीकृत मतदाताओं के रजिस्टर को संदर्भित करता है. यह सूची स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है. बिहार में चुनाव आयोग के इस कदम का विपक्षी दलों की ओर से विरोध किया जा रहा है. विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया के जरिये वोटर्स के नाम काटे जाने की कोशिश की जा रही है. हालांकि, चुनाव आयोग ने इस आरोप को सिरे से खारिज किया है.

Manish Kumar

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