Ice Cream-Hamburger Banned in This Country: उत्तर कोरिया में तानाशाह किम जोग उन का हुक्म ही कानून है. जो भी उनके हुक्म की नाफरमानी करता है, उसके लिए सजा मौत है. वहां पर तानाशाह ने अपनी पसंद के अनुसार, हेयरस्टाइल से लेकर गाड़ियों के मालिकाना हक और शिक्षा व्यवस्था तक, देश में कई अनोखे नियम लागू करवा रखे हैं. अब किम जोंग उन ने एक नया फरमान जारी करके 'आइसक्रीम', 'हैमबर्गर' और 'कराओके' जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. इसकी वजह बताई गई है कि ये शब्द बहुत ज्यादा 'पश्चिमी' हैं और देश की संस्कृति को खराब कर रहे हैं. ऐसे में उत्तर कोरिया के लोग इन शब्दों की जगह अब क्या कहेंगे? इस पर किम जोंग उन ने उनके लिए अपने नए शब्द गढ़ दिए हैं.
किन शब्दों को बोलने पर लगी पाबंदी?
डेली एनके की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया में टूर गाइड्स को सलाह दी गई है कि वे पश्चिमी देशों या पड़ोसी दक्षिण कोरिया में प्रचलित अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल न करें. इसके लिए टूर गाइड्स को उत्तर कोरियाई शब्दावली अपनाने के लिए सख्त प्रशिक्षण दिया जा रहा है. उन्हें 'आइसक्रीम', 'हैमबर्गर' और 'कराओके' जैसे शब्द बोलने पर सख्ती से मना किया जा रहा है. इसके बजाय उन्हें इन चीजों के नए शब्द बताए गए हैं, जिसका टूर गाइड्स को उच्चारण करना होगा.
अब आइसक्रीम को क्या बोला जाएगा?
किम जोंग उन के आदेश पर जिन शब्दों को बदला गया है, उनमें एक है 'हैमबर्गर'. इसे अब नया नाम 'दाहिन-गोगी ग्योएप्पांग' दिया गया है. जिसका मतलब है 'दो ब्रेड के बीच कीमा बनाया हुआ गोश्त'. इसी तरह 'आइसक्रीम' को अब 'एसेकिमो' कहा जाएगा. जबकि 'कराओके' को अब 'ऑन-स्क्रीन साथी मशीन' कहा जाएगा.
तानाशाह के आदेश पर कांगवोन प्रांत में कोरिया वर्कर्स पार्टी के कार्यकर्ता 20 से 30 गाइड्स को इन शब्दों की ट्रेनिंग दे रहे हैं. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद इन गाइड्स को एक परीक्षा भी देनी होगी. उसमें पास होने के बाद ही उन्हें गाइड का काम करने की अनुमति दी जाएगी.
शब्दों में बदलाव की क्या है वजह?
रिपोर्ट के मुताबिक, किम जोंग उन का यह फरमान पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव को कम करने की उनकी कोशिश का हिस्सा है. उनके आदेश पर उत्तर कोरिया ने हाल ही में विदेशी फिल्मों और टीवी ड्रामों को देखने या शेयर करने वाले लोगों को मौत की सजा देनी शुरु की है. जिसके बाद उत्तर कोरियाई लोगों में दहशत और बढ़ गई है.
उत्तर कोरियाई अधिकारियों के अनुसार, किम जोंग उन का मकसद उत्तर कोरियाई संस्कृति को 'शुद्ध' रखना और पश्चिमी प्रभाव से बचाना है. इस तरह के नियम उनकी सख्त शासन शैली का हिस्सा हैं, जो कड़े आदेशों के जरिए जनता में भय का माहौल बनाकर उन्हें काबू में रखते हैं. अब किम का यह नया फरमान दिखाता है कि तानाशाह अपने देश की पहचान को पूरी तरह अपने तरीके से बदलना चाहता है, फिर चाहे इसके लिए उसे रोजमर्रा के शब्दों को भी बदलना पड़े.