MIG-21: अमेरिकी चाल हुई नाकाम, ‘विडोमेकर’ से बचा भारत, ‘सिकंदर’ बना नया रक्षक

3 weeks ago

Last Updated:September 26, 2025, 09:11 IST

IAF's Legendary MiG 21: 1963 में वायुसेना का हिस्सा बना बनने वाला Mig-21 फाइटर जेट आज यानी 26 सितंबर 2025 में रिटायर हो रहा है. इस सुपर इंट्रेस्टिंग कहानी में जानिए, कैसे कैसे ये जेट भारत का गौरव बना.

 अमेरिकी चाल हुई नाकाम, ‘विडोमेकर’ से बचा भारत, ‘सिकंदर’ बना नया रक्षक

Retirement of MiG 21 of Indian Air Force: 60 का दशक, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था. 1962 के युद्ध के बाद दोनों देशों की सेनाएं हर मोर्चे पर चौकन्ना थीं. ऐसे में भारतीय वायुसेना (IAF) को एक ऐसे सुपरसोनिक फाइटर जेट की जरूरत थी, जो न सिर्फ दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दे सके, बल्कि भारत की सैन्य ताकत को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाए. लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब अमेरिका ने पाकिस्तान को अपना F-104 स्टारफाइटर गिफ्ट कर दिया. ये खबर भारत के सैन्य रणनीतिकारों के लिए किसी सिरदर्द से कम नहीं थी. अब सवाल ये था कि भारत किस जेट को चुने, जो न सिर्फ पावरफुल हो, बल्कि किफायती भी हो.

भारत ने उस वक्त तीन सुपरसोनिक फाइटर जेट्स पर नजर डाली थी. अमेरिका का F-104 स्टारफाइटर, फ्रांस का मिराज और सोवियत संघ का मिग-21. लेकिन भारत की एक खास शर्त थी, जो भी डील होगी, उसमें टेक्नॉलॉजी ट्रांसफर होना चाहिए. साथ ही, जेट की असेंबलिंग और बाद में प्रोडक्शन भारत में ही हो. अब अमेरिका तो पाकिस्तान के साथ अपनी दोस्ती निभाने में बिजी था, उसने F-104 की डील में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं दिखाया. फ्रांस भी अपने मिराज की टेक्नॉलॉजी शेयर करने को तैयार नहीं हुआ. लेकिन सोवियत संघ (मौजूदा रूस) ने भारत का साथ दिया और मिग-21 की डील फाइनल हो गई. इस डील के साथ हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को मिग-21 बनाने का लाइसेंस भी मिल गया. ये भारत के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ.

मिग-21 बना आसमान का सुपरस्टार
मिग-21 कोई साधारण फाइटर जेट नहीं था. इसका डिजाइन सिंपल, भरोसेमंद और जेब पर हल्का था. पश्चिमी देशों के सुपरसोनिक जेट्स के मुकाबले ये कहीं सस्ता था, लेकिन परफॉर्मेंस में किसी से कम नहीं. तेज रफ्तार, झटपट ऊंचाई पकड़ने की क्षमता और फुर्तीली उड़ान—ये वो खूबियां थीं, जिन्होंने मिग-21 को एक ताकतवर इंटरसेप्टर बनाया. दुश्मन के विमानों को पलक झपकते पकड़ लेना और आसमान में अपनी बादशाहत कायम करना, मिग-21 का ट्रेडमार्क बन गया. इसकी इन खासियतों ने इसे इंडियन एयरफोर्स का फेवरेट बना दिया.

अमेरिका का F-104 बना ‘विडोमेकर’
भारत ने मिग-21 को चुनकर न सिर्फ सही फैसला लिया, बल्कि अमेरिका के जाल से भी बच गया. अमेरिका का F-104 स्टारफाइटर, जिसे वो गर्व से ‘गेम-चेंजर’ कहता था, असल में ‘विडोमेकर’ बन गया. 1950 के दशक में बना ये जेट अपनी खामियों की वजह से बार-बार क्रैश होने लगा. जर्मनी की बात करें तो उनकी वायुसेना ने F-104 की वजह से 300 से ज्यादा पायलट्स खो दिए. भारत ने सही वक्त पर सही चॉइस की, वरना नुकसान हमारा भी हो सकता था.

आसमान के ‘सिकंदर’ की पहली उड़ान
1963 में भारत का ‘जटायु’ यानी मिग-21 पहली बार भारतीय आसमान में उतरा. अप्रैल 1963 में छह मिग-21 फाइटर जेट्स सोवियत संघ से मुंबई के रास्ते चंडीगढ़ पहुंचे. ये जेट्स अलग-अलग हिस्सों में आए थे, जिन्हें सोवियत इंजीनियर्स ने चंडीगढ़ में असेंबल किया. सोवियत पायलट्स ने भारतीय पायलट्स को ट्रेनिंग दी. बस फिर क्या था, मिग-21 ने भारतीय वायुसेना का रंग ही बदल दिया. 1965 और 1971 के युद्धों में इसने दुश्मनों को लोहे के चने चबवाए. कारगिल युद्ध में भी मिग-21 ने अपनी ताकत दिखाई और दुश्मन को मुंह की खानी पड़ी.

मिग-21 बना भारत वायुसेना की शान
मिग-21 सिर्फ एक फाइटर जेट नहीं, बल्कि भारत की सैन्य ताकत का प्रतीक बन गया. एचएएल के जरिए भारत में बने मिग-21 ने न सिर्फ वायुसेना को मजबूत किया, बल्कि देश को तकनीकी रूप से भी आत्मनिर्भर बनाया. इसकी सादगी, ताकत और किफायती कीमत ने इसे भारतीय वायुसेना का ‘सिकंदर’ बनाया. आज भी मिग-21 की कहानी हर भारतीय को गर्व से भर देती है, क्योंकि ये वो जेट है, जिसने आसमान में भारत का परचम लहराया.

Anoop Kumar MishraAssistant Editor

Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें

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First Published :

September 26, 2025, 09:11 IST

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