Last Updated:November 28, 2025, 13:26 IST
बंगाल में एसाईआर प्रक्रिया पर राजनीतिक बवाल मचा हुआ है. मगर, चुनाव आयोग ने खुशखबरी जारी करते हुए बताया कि तमाम अवरोध के बीच 2002 के इलेक्टोरल रोल से वोटर के नाम की मिलान की प्रक्रिया के गैप में काफी कमी आई है. माने कि अक्टूबर के 49 प्रतिशत के मुकाबले 4.3% रह गया है. यानी कि अभी तक केवल 26 लाख लोग ऐसे हैं, जिनके नाम का डाटा नहीं मिल पाया है.
पश्चिम बंगाल में जारी SIR में 26 लाख नाम का डाटा से नहीं हो पा रहा है मिलान.कोलकाता: बंगाल में एसाईआर प्रक्रिया पर बवाल मचा हुआ है. इसी बीच चुनाव आयोग ने बताया कि तमाम अवरोध के बीच 2002 के इलेक्टोरल रोल से वोटर के नाम की मिलान की प्रक्रिया काफी तेजी से की जा रही है. प्रक्रिया तेज होने के साथ नाम मिलान में गैप का परसेंटेज भी काफी कम हो गया है. माने कि अक्टूबर के 49 प्रतिशत के मुकाबले 4.3% रह गया है. यानी कि अभी तक केवल 26 लाख लोग ऐसे हैं, जिनके नाम का डाटा नहीं मिल पाया है. तमाम विवादों के बीच पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) की प्रक्रिया बुलेट की रफ्तार से चल रही है. खुशखबरी की बात ये है कि इस चुनावी प्रक्रिया में काफी कम लोगों का नाम का 2002 के इलेक्टोरल रोल मिलान नहीं हो पाया है. बंगाल में चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर मनोज अग्रवाल ने गुरुवार को बताया कि अब तक पश्चिम बंगाल में स्क्रीन किए गए 4.3% रजिस्टर्ड वोटर्स को 2002 में इलेक्टोरल रोल्स के आखिरी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) या किसी दूसरे राज्य या UT के डेटा से मैप नहीं किया जा सका है. यानी की केवल 26 लाख वोटर्स के नाम इलेक्टोरल रोल्स में नहीं है. अब सवाल उठता है कि क्या ये वही घुसपैठिए हैं, जिनपर बंगाल में राजनीति गरमाई हुई है?
अवैध घुसपैठियों को मतदाता बनाया- मनोज तिवारी
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल सरकार जाने वाली है, यह सरकार अब कुछ दिनों की मेहमान है. TMC नेताओं के चेहरे पर सरकार से जाने का भय साफ दिख रहा है इसलिए वे SIR का विरोध कर रहे हैं. SIR का विरोध का मतलब ही है कि आपको आपके कार्यों पर विश्वास नहीं है, आपने जो शासन किया है उस आधार पर जनता आपके पास नहीं आ रही… आपने अवैध घुसपैठियों को मतदाता बनाया है और जो वास्तविक मतदाता है उनके मतदाता बनने से आपको परेशानी है इसलिए आप SIR का विरोध कर रहे हैं…’
चुनाव आयोग से आज मिलेगा टीएमसी का प्रतिनिधिमंडल
राज्य में जारी SIR के मसले पर ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी का प्रतिनिधिमंडल आज चुनाव आयोग से मिलेगा. प्राप्त जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को 11 बजे चुनाव आयोग मुलाकात तय है. चुनाव आयोग ने 5 लोगों के डेलिगेशन की अनुमति दी है. टीएमसी ने 10 लोगों के प्रतिनिधिमंडल के नाम का ऐलान किया है. अगर सभी दस लोगों को न जाने की अनुमति मिली तो चुनाव आयोग के सामने टीएमसी विरोध दर्ज कर सकती है.
40 साल बाद मिला बेटा
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के सूरज गांव में मतदाता सूची संशोधन (SIR) के दौरान एक हैरान करने वाला वाकया सामने आया. 60 साल के उदय सिंह रावत SIR फॉर्म भरने सरकारी स्कूल पहुंचे थे, लेकिन वहां उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई. 1980 में 8वीं क्लास के छात्र उदय गर्मी की छुट्टियों में मजदूरी करने घर से निकले थे और सड़क हादसे में याददाश्त खो बैठे. 40 साल तक लापता रहे. स्कूल में मौजूद टीचर जीवन सिंह ने उन्हें देखा तो पुराने दोस्त भूपेंद्र सिंह को बुलाया. भूपेंद्र ने माथे-सीने के पुराने घाव देखकर पहचान लिया. 80 साल की मां चुन्नी देवी रोते हुए बोलीं, ‘ये मेरा खोया बेटा ही है!’ परिवार के लोग दौड़कर स्कूल पहुंचे. भावुक दृश्यों के बीच उदय को घर ले जाया गया. SIR ने न सिर्फ वोटर लिस्ट साफ की, बल्कि एक परिवार को उसका खोया सदस्य भी लौटा दिया.
यह आंकड़ा इलेक्शन कमीशन के 28 अक्टूबर के असेसमेंट से बहुत कम है. अक्टूबर में चुनाव आयोग का अनुमान था कि पश्चिम बंगाल के 7.6 करोड़ वोटर्स में से 49% को SIR 2002 के बाद के रोल्स से चाहे उनकी डिटेल्स हों या उनके माता-पिता की, लिंक नहीं किया जा सका है. अग्रवाल ने कहा, ‘बुधवार तक, सिर्फ 6 करोड़ से ज़्यादा एन्यूमरेशन फॉर्म्स डिजिटाइज़ किए गए थे, जिनमें से हम करीब 26 लाख को किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के आखिरी SIR रोल्स से मैप नहीं कर पाए हैं.’ अब सवाल उठता है क्या जिनके नाम का मिलान 2002 के एसआईआर से नहीं हो पा रहा है वे बंग्लादेश से आए घुसपैठिए हैं?
पोलिंग बूथ बढ़ने का असर है?
एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि 4 नवंबर को SIR एक्सरसाइज शुरू होने से पहले, मैपिंग रेट 51% था. हालांकि, पिछले 23 सालों में पोलिंग बूथ की संख्या लगभग 19,000 बढ़ गई है. 2002 के SIR के दौरान बंगाल में 61,531 पोलिंग बूथ थे, जो अब बढ़कर 80,681 हो गए हैं. कई वोटर राज्य के अंदर और बाहर दूसरी असेंबली सीटों पर चले गए हैं. इसी वजह से शुरू में मैपिंग का परसेंटेज कम था.
सही वोटर ना छूटे
सीईसी अग्रवाल ने कहा, ‘जैसे-जैसे चल रहा SIR प्रोसेस पूरा होने वाला है, मैपिंग रेट बेहतर हो रहे हैं.’ यह साफ है कि मैपिंग बढ़ेगी तो उन वोटरों के नाम एन्यूमरेशन फ़ॉर्म में एक्स्ट्रा डिटेल्स के जरिए वेरिफाइड डेटा में शामिल किया जाएगा, जो नए बूथ पर चले गए हैं. जिन वोटरों की डिटेल्स 2002 के SIR रोल्स में नहीं हैं, क्योंकि वे तब दूसरे राज्यों में वोटर थे, उन्हें उन जगहों के पोस्ट-SIR रोल्स से मैप किया जा रहा है.
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दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi
First Published :
November 28, 2025, 08:18 IST
LIVE: बंगाल में SIR ने पकड़ी रफ्तार, 26 लाख नाम का नहीं मिला डाटा

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