अंग्रेजों ने लीज पर लिया था 'देश' तो चीन ने कैसे झटक लिया? भीषण अग्निकांड वाले हांगकांग की कहानी

1 hour ago

किंग कांग, हांगकांग... उच्चारण में काफी कुछ समानता है. किंग कांग एक काल्पनिक राक्षस की तरह दिखने वाला गोरिल्ला का कैरेक्टर है जिसे कई फिल्मों में दिखाया गया है. हांगकांग का नाम लेते ही चमचमता शहर और मॉडर्न कल्चर का बोध होता है. हाल में कई टावर में एक साथ आग लगी तो पूरी दुनिया में हांग कांग की चर्चा हुई. अब लोगों की नजर उस खबर पर पड़ी है जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मदद के लिए अपने खजाने खोल दिए. ऐसे में कुछ लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि हांगकांग एक स्वतंत्र देश है या चीन का कब्जा है? इसमें लीज वाला क्या कनेक्शन है. 

इसके लिए हमें दूसरे विश्व युद्ध के समय में चलना होगा. जापानी साम्राज्य चारों तरफ हमले और कब्जा करने के अभियान में जुटा था. कुछ समय के लिए उसने हांग कांग पर भी कब्जा जमा लिया. उस समय इस हिस्से पर अंग्रेज यानी ब्रिटेन पहले से कब्जा जमाए बैठे थे. युद्ध के बाद एशिया, अफ्रीका और अमेरिका महाद्वीप के कई देशों ने जापानी और यूरोपीय देशों की गुलामी से आजादी हासिल कर ली लेकिन ब्रिटेन ने हांगकांग पर नियंत्रण जारी रखा. यह उसके लिए आखिरी बड़ी कॉलोनी में से एक था. 

चीन और अंग्रेजों की लड़ाई

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ये सभी इलाके तब भी चीन के कंट्रोल में थे, जब 1839 में ब्रिटिश साम्राज्य के साथ युद्ध हुआ. इसे पहला ओपियम युद्ध कहा जाता है क्योंकि चीन ब्रिटिश ड्रग तस्करों को गैर-कानूनी तरीके से अफीम की स्मगलिंग करने से रोकने की कोशिश कर रहा था. चीन से लड़-लड़कर ब्रिटेन ने हांगकांग आईलैंड पर कब्जा जमाया. 1841 के कन्वेंशन में चीन का दक्षिणी द्वीप अंग्रेजों के कब्जे में आ गया. फिर 1856 में लड़ाई शुरू हुई और 1860 में लड़ाई खत्म हुई तो बीजिंग कन्वेंशन के तहत चीन को अंग्रेजों की बात माननी पड़ी. 

99 साल की लीज पर डील

1 जुलाई 1898 की तारीख इतिहास में दर्ज है. ब्रिटिश साम्राज्य ने चीन के साथ दूसरे कन्वेंशन पर बातचीत की, इस बार बाउंड्री स्ट्रीट और शेनझेन नदी के बीच के नए इलाकों को लीज पर लिया, जो मेनलैंड चीन और हांगकांग के बीच की डिवाइडिंग लाइन है. लीज 99 साल की थी. इसकी एक्सपायरी वाली तारीख 1997 में आई. ब्रिटेन ने तय किया कि वह पूरा हांगकांग चीन को सौंप देगा. हांग कांग ने हैंडओवर का समर्थन किया या नहीं, इस पर बातचीत नहीं हुई. वैसे भी उनके पास ज्यादा ऑप्शन नहीं था. खिलाफ में बोलते तो चीन कब्जा कर लेता. आजादी की घोषणा करते तो चीन की सेना हमला कर देती. 

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चीन और यूके में 1984 में संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर कर लिए गए थे. इसमें तय किया गया था कि हांग कांग 1 जुलाई 1997 को चीन का हिस्सा बन जाएगा लेकिन यहां मौजूदा सोशल और इकनॉमिकल सिस्टम और लाइफस्टाइल अगले 50 साल तक वैसी ही रहेगी. यह एक देश और दो सिस्टम वाली व्यवस्था थी. मतलब हांग कांग पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में काम कर रहा है और यहां रहने वालों को बोलने, प्रेस, इकट्ठा होने और धार्मिक विश्वास जैसे अधिकारी मिलते रहेंगे. इसकी डेडलाइन 2047 तक है. 

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आपको याद होगा 2019 में लोकतंत्र के सपोर्ट में काफी प्रोटेस्ट हुए थे. उनका कहना है कि राजनीतिक सुधारों की स्पीड काफी स्लो है और 2019 से चीन का कंट्रोल और भी बढ़ गया है. बीजिंग जब और जैसे चाहता राजनीतिक ढांचे को बदल देता है. 

चीन ने खोला खजाना

हां, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हरसंभव मदद का ऐलान किया है. 2.5 करोड़ रुपये की मदद फौरन दी है. 7 दिसंबर को यहां काउंसिल के लिए चुनाव होने वाले हैं. उधर, प्रो-डेमोक्रेसी एक्टिविस्ट और मीडिया टाइकून जिमी लाई को सजा भी होने वाली है. ऐसे में चीन इस घटना के मद्देनजर हर तरह की सपोर्ट देकर इसे अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में बताना चाहता है. हांग कांग के लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि 2047 में मौजूदा व्यवस्था समाप्त होने के बाद वहां का जीवन कैसा होगा. 

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