संसद का कार्यकाल बदला जा सकता है, पर कैसे? लॉ कमीशन ने किया साफ

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Last Updated:November 28, 2025, 13:39 IST

One Nation, One Election: देश में 'वन नेशन, वन इलेक्‍शन' पर लंबे समय से बहस चल रही है. पूर्व राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्‍यक्षता में बनी कमेटी ने इस मसले पर अपनी रिपोर्ट भी सौंपी है. अब 23वें लॉ कमीशन ने भी एक राष्‍ट्र, एक चुनाव पर कानूनी पक्ष स्‍पष्‍ट किया है. साथ ही संसद और विधानसभा के कार्यकाल में परिवर्तन करने को लेकर भी बड़ी बात कही है.

संसद का कार्यकाल बदला जा सकता है, पर कैसे? लॉ कमीशन ने किया साफOne Nation, One Election: 23वें लॉ कमीशन ने वन नेशन-वन इलेक्‍शन और संसद के कार्यकाल को लेकर बड़ी बात कही है. (सांकेतिक तस्‍वीर)

रिपोर्ट: अनन्‍य भटनागर

नई दिल्ली. वन नेशन, वन इलेक्शन से जुड़े बिल पर संसद की संयुक्त समिति (JPC) के सामने 23वें विधि आयोग (Law Cmmission) ने अपना स्पष्ट पक्ष रखते हुए कहा है कि संसद संविधान में संशोधन करके लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के 5 साल के कार्यकाल में बदलाव कर सकती है. लॉ कमीशन ने 4 दिसंबर को होने वाली अपनी ब्रीफिंग से पहले दिए डिटेल्‍ड सबमिशन में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 83 और 172 में तय की गई अवधि कोई ‘अटल’ प्रावधान नहीं है और बड़े राष्ट्रीय हित में इसे बदला जा सकता है.

लॉ कमीशन ने कहा कि साधारण क़ानून से तो कार्यकाल कम नहीं किया जा सकता, लेकिन संवैधानिक संशोधन के ज़रिये संसद ऐसा कर सकती है. प्रस्तावित बिल भी इसी प्रक्रिया की बात करता है. विधि आयोग ने बताया कि संविधान में पहले से ही समय-सीमा में बदलाव की गुंजाइश है. जैसे समय से पहले सदन का भंग होना या आपातकाल के दौरान कार्यकाल बढ़ाया जाना. इससे साफ होता है कि 5 साल का कार्यकाल अपरिवर्तनीय या न बदलने योग्‍य नहीं है.

वन नेशन, वन इलेक्‍शन पर क्‍या कहा?

लॉ कमीशन ने तर्क दिया कि एक साथ चुनाव कराने से जनता, सरकार और प्रशासन के समय और संसाधनों की बचत होगी. इससे सरकारें बार-बार चुनावी मोड में रहने से बचेंगी और प्रशासनिक कामकाज ज़्यादा सुचारू होगा. विधि आयोग ने कहा, ‘एक साथ चुनाव से लोकतांत्रिक अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ता. वोटरों को अपना प्रतिनिधि चुनने का पूरा अधिकार मिलेगा, बस चुनावों का समय एकसाथ किया जाएगा. इसलिए यह संविधान की बुनियादी संरचना (Constitution Basic Structure) का उल्लंघन नहीं है.’

राज्‍यों के क्‍या हैं अधिकार?

लॉ कमीशन ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रस्तावित संशोधन उन श्रेणियों में नहीं आता जिनके लिए आधे राज्यों की मंज़ूरी ज़रूरी होती है. इसलिए राज्य की सहमति की बाध्यता इस मामले में लागू नहीं होगी. आयोग ने कहा कि चुनाव आयोग को जो अतिरिक्त अधिकार मिलेंगे, वे उसकी मौजूदा शक्तियों का ही विस्तार है और इसमें किसी तरह की ‘अत्यधिक शक्ति सौंपने’ की बात नहीं है.

लोकतंत्र पर क्‍या स्‍टैंड?

विधि आयोग ने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन लोकतंत्र को कमजोर नहीं, बल्कि और मज़बूत करेगा, क्योंकि इससे सरकारें स्थिर होंगी और नीति-निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगी. एक साथ चुनावों के प्रस्ताव पर JPC की चल रही जांच में क़ानून आयोग की यह रिपोर्ट बेहद अहम मानी जा रही है.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

November 28, 2025, 13:39 IST

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