जापान के हिरोशिमा इलाके में ऑयस्टर पालने वाले किसान इस समय बड़ी परेशानी में हैं. समुद्र में पाले जाने वाले सीप अचानक बड़ी संख्या में मर रहे हैं और कई किसानों के अनुसार उनके फार्म में तो लगभग अस्सी से नब्बे प्रतिशत तक ऑयस्टर खत्म हो चुके हैं. हिरोशिमा जापान में ऑयस्टर उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है, इसलिए यहां होने वाला नुकसान पूरे देश की सप्लाई पर असर डाल सकता है. लेकिन सबसे बड़ी मार उन किसानों पर पड़ रही है जिनकी रोजी-रोटी इसी खेती पर टिकी है. वे पूरे साल मेहनत करके सीपों को तैयार करते हैं और मौसम के अनुसार उन्हें बाजार तक पहुंचाते हैं, मगर इस बार समुद्र से उम्मीद के बजाय डर निकल रहा है.
जाल उठाते समय उन्हें खाली खोल या मरी हुई सीपें मिल रही हैं, जिससे उनका मनोबल टूट रहा है. द जापान टाइम्स के अनुसार, वैज्ञानिक अभी तक यह स्पष्ट नहीं कर पाए हैं कि मरने की इतनी बड़ी घटना कैसे हुई, लेकिन शुरुआती जांच में दो बातें सामने आई हैं. समुद्र का तापमान इस साल असामान्य रूप से ज्यादा रहा है और बारिश कम होने के कारण समुद्र का पानी ज़्यादा नमकीन हो गया है. गर्म और नमक-भरा पानी ऑयस्टर के लिए बहुत तनावपूर्ण हालात पैदा करता है, जिससे वे धीरे-धीरे कमजोर होकर मरने लगते हैं.
दशकों से करते हैं सीप की खेती, कभी नहीं देखा ऐसा संकट
किसानों का कहना है कि उन्होंने दशकों तक खेती की है, लेकिन ऐसा संकट पहले कभी नहीं देखा. कई लोग हर दिन समुद्र में उतरकर अपने नुकसान का अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहे हैं और लौटते समय उनके चेहरे पर बेचैनी साफ दिखाई देती है. स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि 19 नवंबर को जापान के मत्स्य मंत्री नोरियाको सुजुकी खुद हिरोशिमा पहुंचे और किसानों से मुलाकात की. सरकार ने इस मास डाई ऑफ (कम समय में बड़ी संख्या में किसी प्रजाति के जीव मर ) की जांच शुरू कर दी है और आर्थिक राहत देने के तरीकों पर भी विचार कर रही है.
बाजार में भी दिखाई देने लगा असर
स्थानीय नेताओं ने इसे आपदा घोषित करने की मांग उठाई है ताकि किसानों को तुरंत मुआवजा मिल सके और उद्योग को कुछ राहत मिल पाए. बाजार में भी इसका असर दिखाई देने लगा है, रेस्त्रां और होटल वाले कह रहे हैं कि ताजा ऑयस्टर की कमी होने लगी है और आने वाले हफ्तों में कीमतें बढ़ सकती हैं.
लंबे समय की चिंता यह है कि अगर समुद्र का तापमान और नमक इसी तरह बढ़ता रहा तो हिरोशिमा का ऑयस्टर उद्योग, जो जापान की पहचान और अर्थव्यवस्था दोनों का हिस्सा है, स्थायी रूप से नुकसान में जा सकता है. किसान उम्मीद कर रहे हैं कि वैज्ञानिक और सरकार मिलकर किसी ऐसी तकनीक या तरीके पर पहुंचें जिससे वे भविष्य में इस तरह की बड़ी समस्या से बच सकें.
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