H-1b visa India US trade deal: सोमवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने वाशिंगटन में ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ व्यापार समझौते के पहले हिस्से पर बातचीत की. इस बीच पूर्व अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार उपसचिव और वरिष्ठ विदेश नीति विशेषज्ञ क्रिस्टोफर पैडिला ने तर्क दिया है कि एच-1बी वीजा पर प्रतिबंध लगाने का अमेरिकी कदम भारत के साथ व्यापार वार्ता पर प्रभाव डालेगा. वाशिंगटन में आईएएनएस से बात करते हुए पैडिला ने कहा, 'भारत के लिए स्किल्ड वर्कर्स को वीजा हमेशा से प्राथमिकता का मुद्दा रहा है.'
उन्होंने आगे कहा, 'मुझे उम्मीद है कि H-1B वीजा मुद्दा व्यापार की बातचीत पर प्रभाव डालेगा. भारतीय स्किल्ड वर्कर्स के लिए वीजा हमेशा प्राथमिकता का विषय रहा है और यह पहले भी ट्रेड निगोशिएटर्स के बीच चर्चा का विषय रहा है. यह एक सेंसटिव टाइम पर बाइलैटरल प्रॉब्लम्स के मेन्यू में एक और कॉम्प्लीकेटेड और सेंसटिव इश्यू शामिल करता है.' अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक घोषणा में ऐलान किया कि H-1B वीजा के प्रत्येक नए आवेदन के लिए अब 100,000 डॉलर का शुल्क देना होगा.
H-1B वीजा से कौन होगा प्रभावित?
अमेरिकी राष्ट्रपति के इस ऐलान ने पिछले सप्ताह के अंत तक लोगों को काफी कनफ्यूज किया. ट्रंप के इस ऐलान के बाद मौजूदा H-1B वीजा उन धारकों को प्रभावित करेगा जिन्हें अमेरिका लौटने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, 'यह एकमुश्त शुल्क है जो केवल याचिका पर लागू होता है. यह केवल नए वीजा पर लागू होता है न कि रेनोवेशन या मौजूदा वीजा धारकों पर। यह अगले आगामी लॉटरी चक्र में पहली बार लागू होगा.'
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ट्रंप ने किया था स्थानीय कामगारों को प्राथमिकता का वादा
व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता ने भी आईएएनएस को स्पष्ट किया कि 'यह नीति कंपनियों को सिस्टम में स्पैमिंग से हतोत्साहित करेगी.' व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टेलर रॉजर्स ने कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी वर्कर्स को प्राथमिकता देने का वादा किया था और यह सामान्य समझ वाला कदम ऐसा ही करता है जो कंपनियों को सिस्टम में स्पैमिंग से हतोत्साहित करता है और मजदूरी को कम होने से रोकता है. यह उन अमेरिकी व्यवसायों को भी निश्चितता प्रदान करता है जो वास्तव में हमारे महान देश में हाई-स्किल्ड वर्कर्स को लाना चाहते हैं, लेकिन सिस्टम के दुरुपयोग से प्रभावित हुए हैं.'
कृषि समझौतों को बताया महत्वपूर्ण
जॉर्ज डब्ल्यू. बुश प्रशासन में पूर्व वरिष्ठ अधिकारी और अब वैश्विक सलाहकार फर्म ब्रंसविक में वरिष्ठ सलाहकार पैडिला ने जोर देकर कहा कि किसी भी व्यापार समझौते के लिए कृषि पर समझौता आवश्यक होगा 'जो हमेशा से अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों में सबसे कठिन मुद्दों में से एक रहा है.' पैडिला ने कहा, 'यदि कोई व्यापार समझौता होने जा रहा है, तो कृषि पर समझौता करना होगा. यह संभव है कि भारत मक्का जैसे अमेरिकी फसलों के लिए अधिक बाजार पहुंच पर सहमत हो लेकिन इसके लिए आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों पर प्रतिबंधों से पीछे हटना होगा. क्योंकि अधिकांश अमेरिकी मक्का जीएमओ है. यह संभव है लेकिन एक बड़ी चुनौती है.' पैडिला ने कहा कि भारत कम संवेदनशील कृषि क्षेत्रों जैसे नट्स, बीज, तेल और विशेष फसलों में अधिक पहुंच की पेशकश कर सकता है. हालांकि अमेरिकी पक्ष को भी भारत में इस मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए डेयरी के लिए अधिक बाजार पहुंच की अपनी मांगों को मॉडरेट करने की आवश्यकता हो सकती है.'
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