हाल ही में महाराष्ट्र के करजत (नैरल, मुंबई के करीब) क्षेत्र में एक नया रियल एस्टेट प्रोजेक्ट सामने आया है, जिसे बिल्डर “हलाल लाइफस्टाइल टाउनशिप” या “हलाल अपार्टमेंट” के रूप में बेचने के लिए प्रचारित कर रहा है. इस सोसायटी का विज्ञापन स्पष्ट रूप से कहता है कि यह केवल मुस्लिम समुदाय के लिए हाउसिंग और समुदाय आधारित सुविधाएं प्रदान करेगी. जैसे ही ये बात सामने आई, तो इस पर विवाद हो गया.
विरोधियों ने इसे धार्मिक आधार पर भेदभाव और समाज में विभाजन बढ़ाने की कोशिश बताया. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस पर संज्ञान लिया है. दरअसल विवाद की मुख्य वजह ये भी है कि हलाल कॉलोनी या हलाल अपार्टमेंट संविधान के समानता और भेदभाव न करने के सिद्धांतों के खिलाफ है.
महाराष्ट्र में शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के प्रवक्ता क्रिष्णा हेगड़े ने विज्ञापन की मंशा पर सवाल उठाए. इसे वापस लेने की मांग की. बीजेपी और अन्य सियासी दलों ने भी इसकी आलोचना की. NHRC ने महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव को मानवाधिकार रक्षा कानून,1993 की धारा 12 के तहत नोटिस भेजा है. दो सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है कि इस प्रोजेक्ट को किन कानूनी आधारों पर मंजूरी दी गई. अब जानते हैं कि क्या होते हैं हलाल घर और हलाल कॉलोनी. हलाल नियम क्या होते हैं.
भारत में अब तक कोई हलाल कॉलोनी नहीं है लेकिन कुछ मुस्लिम देशों में इस कांसेप्ट पर जरूर कालोनियां बनाई गई हैं. तो जानते हैं कि “हलाल घर” या “हलाल कॉलोनी” का मतलब क्या है.
क्या है हलाल
हलाल एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ ‘अनुमेय’, ‘वैध’, या ‘जायज़’ होता है. इस्लाम धर्म में हलाल वो बातें, काम या खानपान को कहते हैं, जिन्हें धर्मशास्त्र या शरीयत के अनुसार करना, खाना या इस्तेमाल करना उचित और और सही है. हलाल अर्थात् जिसे इस्लाम में जायज, स्वीकार्य और वैध माना गया हो -खाने, कमाने या इस्तेमाल करने में पूरी तरह धर्मसंगत हो.
हलाल का मतलब, जिसकी अनुमति इस्लाम धर्म में है, ये खानपान से लेकर वित्तीय लेनदेने, कपड़ों और दवाओं तक में ताल्लुक रखता है. हलाल शब्द सबसे ज़्यादा खाने-पीने के लिए इस्तेमाल होता है. हलाल मीट का मतलब ऐसे जानवर का मांस है जिसे इस्लामी रीति से ‘जायज’ तरीके से काटा गया हो.
हलाल केवल भोजन तक सीमित नहीं, बल्कि इस्लामी जीवनशैली, व्यापार, वित्त, यहां तक की व्यक्तिगत व्यवहार में भी लागू होता है.
हलाल घर या हलाल कॉलोनी क्या है
हलाल घर या हलाल कॉलोनी ऐसे रिहाइशी इलाकों या अपार्टमेंट प्रोजेक्ट होते हैं, जिन्हें खासतौर पर मुस्लिम समुदाय की धार्मिक जरूरतों और हलाल लाइफस्टाइल को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया जाता है.
हलाल घर या कॉलोनी का मकसद मुस्लिमों के लिए ऐसा वातावरण देना है जहां इस्लामी कानून, खानपान, और अन्य धार्मिक परंपराओं का पालन आसानी से किया जा सके.
इन कॉलोनियों याअपार्टमेंट्स में आमतौर पर मस्जिद, इस्लामिक स्कूल, हलाल प्रमाणित खानपान की व्यवस्थाएं, महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग सुविधा केंद्र और शराब या अन्य इस्लाम में निषिद्ध चीज़ों पर प्रतिबंध जैसी व्यवस्थाएं हो सकती हैं. यहां केवल वही लोग घर खरीद सकते हैं जो इस्लाम धर्म के मुताबिक जीवन जीते हैं और धार्मिक मान्यताओं का पालन करते हैं. ऐसे प्रोजेक्ट्स को हलाल लाइफस्टाइल टाउनशिप भी कहा जाता है.
दुनिया में कहां हैं हलाल हाउसिंग या हलाल कॉलोनी
कुछ मुस्लिम बहुल देशों और पश्चिम में बसे मुस्लिम समुदायों ने इस कॉन्सेप्ट पर काम किया है. मलेशिया और इंडोनेशिया में “हलाल लाइफस्टाइल हाउसिंग” प्रोजेक्ट्स शुरू हुए हैं. मलेशिया में मलेशिया हलाल पार्क और शाह आलम के आसपास ऐसे हाउसिंग प्रोजेक्ट बने हैं, जिससमें हलाल सर्टिफाइड फूड कोर्ट, मस्जिदें और इस्लामी बैंकिंग सुविधाएं होती हैं.
संयुक्त अरब अमीरात और खाड़ी देशों में “शरिया-कंप्लायंट हाउसिंग” या “इस्लामिक रेजिडेंशियल टाउनशिप” के नाम से कुछ प्रोजेक्ट्स हैं, जिनमें शराब, सूअर का मांस, नाइट क्लब जैसी चीज़ें नहीं होतीं.
ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी मुस्लिम प्रवासी समुदायों ने हलाल लाइफस्टाइल हाउसिंग सोसायटीज की डिमांड रखी है. ये छोटी-छोटी कॉलोनियों या सोसाइटी के रूप में सामने आई हैं, जिनमें हलाल फूड, अलग जिम-पूल सुविधाओं और इस्लामी नियमों के हिसाब से डिज़ाइन किया गया है. ब्रिटेन में कुछ जगहों पर मुस्लिमों ने हलाल हाउसिंह कॉआपरेटिव बनाई हैं, जैसे बर्मिंघम और पूर्वी लंदन में.
जर्मनी के कोलोन, नीदरलैंड्स के रॉटरडैम, फ्रांस के कुछ उपनगर में मुस्लिमों के कम्युनिटी-बेस्ड प्रोजेक्ट्स बने हैं.ये अक्सर इस्लामिक हाउसिंग कॉपरेटिव्स या शरिया हाउसिंह फाइनेंश स्कीम्स के रूप में सामने आते हैं. इनका मक़सद ये होता है कि मुस्लिम परिवार ब्याज से बचकर घर खरीद सकें. हलाल नियमों के अनुसार रह सकें. हालांकि यूरोप में भी “हलाल कॉलोनी” जैसी अवधारणा संवैधानिक प्रतिबंधों के कारण संभव नहीं है.
हालांकि इन सभी जगहों पर “सिर्फ मुसलमानों के लिए अपार्टमेंट” जैसा औपचारिक मॉडल ग़ैरक़ानूनी है, क्योंकि यूरोप और अमेरिकी संविधान धर्म/जाति के आधार पर किसी को मकान बेचने या न बेचने पर रोक लगाते हैं.
भारत में इस पर विवाद क्यों
भारत में “हलाल कॉलोनी” का मुद्दा इसलिए विवादित हो गया, क्योंकि
– भारतीय संविधान के मुताबिक कोई भी कॉलोनी या हाउसिंग सोसाइटी सिर्फ धर्म या जाति के आधार पर नहीं बन सकती और ना ही उसमें इस आधार पर लोगों के आने जाने पर रोक लगाई जा सकती है.
– अगर किसी कॉलोनी को “सिर्फ मुसलमानों” या “सिर्फ हिंदुओं” के लिए आरक्षित किया जाए, तो यह भेदभाव और आर्टिकल 14, 15, 19, 21 का उल्लंघन हो सकता है.
– कुछ संगठन इसे “समांतर इस्लामी व्यवस्था” या गेटोइज़ेशन कह रहे हैं।
– विरोधियों का कहना है कि यह रियल एस्टेट में धार्मिक ब्रांडिंग है, जो भारत जैसे बहुधर्मी देश में खतरनाक मिसाल बन सकती है.
मुसलमानों के लिए जीवन में क्या हैं हलाल नियम
1. खान-पान हलाल होगा, यानि गाय, बकरी, भेड़, ऊंट, मुर्गी, मछली इस्लामी तरीके से ज़बह की गई हों. सब्ज़ियां, फल, अनाज, दूध और उससे बनी चीज़ें हलाल मानी जाती हैं.
हराम क्या है – सूअर और उसके उत्पाद. शराब और नशीली चीज़ें. खून या खून से बनी चीज़ें. ऐसा जानवर जो जिबह किए बगैर खुद ही मर गया हो.
कुछ दवाइयां, चॉकलेट, कैंडी, कॉस्मेटिक जिनमें अल्कोहल या जानवर से बने तत्व हों.
2. कपड़े और पहनावा – सादगी और शालीनता वाले कपड़े हलाल हैं. पुरुषों और महिलाओं के लिए कपड़ों में शरीर ढकना ज़रूरी.
हराम क्या है – सोने के गहने और रेशमी कपड़े पुरुषों के लिए लेकिन महिलाओं को इसकी अनुमति है. बहुत भड़कीले, अश्लील या नग्नता प्रदर्शित करने वाले कपड़े.
3. कामकाज और कमाई – ईमानदारी से मेहनत करके कमाई चाहे व्यापार हो या नौकरी, खेती और कारोबार) हलाल है. इसी तरह इस्लामी बैंकिंग/ब्याज-रहित लेन-देन भी.
हराम क्या – ब्याज लेना या देना.
– स्वच्छता बनाए रखना हलाल है.
– दिन में पांच वक्त की नमाज़
– रमज़ान में रोज़ा, ज़कात देना, हज करना (सक्षम होने पर).
हलाल नियम मुसलमानों की पूरी ज़िंदगी को प्रभावित करते हैं -खाने, पहनावे, कमाई, रिश्तों और आदतों तक.
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