DNA ANALYSIS: हूती लड़ाकों का आतंक अगर खत्म भी हो जाए तो बांग्लादेश में कट्टरपंथ का जो ज़हर फैला है.. उसका इलाज अभी दूर-दूर तक नहीं दिखता. अब बांग्लादेश की सड़कों पर ऐसा हंगामा मचा है जिसमें भारत के खिलाफ नारेबाज़ी हो रही है. मुद्दा वक्फ संपत्ति से जुड़ा है. लेकिन इसका इस्तेमाल अब ‘एंटी इंडिया प्रोपेगेंडा’ के हथियार के तौर पर किया जा रहा है.
कभी गाजा, कभी भारत, हर तरफ विरोध की आग
बांग्लादेश की सड़कों पर कभी गाज़ा के नाम पर प्रदर्शन होते हैं तो कभी भारत के कानूनों के खिलाफ नारे गूंजते हैं. इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों ने हर मुद्दे को भारत विरोधी रंग देने की ठान ली है. हाल के दिनों में कई बार ढाका की सड़कों पर ISIS के झंडे और अलकायदा के समर्थन में बैनर दिखाई दिए हैं. बांग्लादेश आज खुद अस्थिरता के भंवर में फंसा है. अल्पसंख्यकों पर हमले आम हो चुके हैं. हिंदुओं के घर जलाए जा रहे हैं, मंदिरों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है और महिलाओं की सुरक्षा एक मजाक बन चुकी है. लोकतंत्र कमजोर पड़ा है और कानून नाम की चीज़ अब सिर्फ किताबों तक सिमट गई है.
अब भारत के वक्फ कानून पर ‘नजर’
कट्टरपंथी ताकतों ने अब भारत में चल रहे वक्फ से जुड़े विरोध प्रदर्शनों को भी अपने एजेंडे का हिस्सा बना लिया है. 23 अप्रैल को ढाका में एक विरोध मार्च का ऐलान किया गया है जिसमें भारत के खिलाफ सड़कों पर उतरने की तैयारी है. इस मार्च को एक कट्टरपंथी संगठन.. खिलाफत मजलिस लीड कर रहा है.
UNO में भारत की शिकायत की तैयारी
खिलाफत मजलिस के अध्यक्ष मौलाना ममुनुल हक ने भारत सरकार पर आरोप लगाया है कि वह वक्फ की ज़मीनें हथिया रही है और मुसलमानों के हक छीन रही है. यही नहीं, संगठन अब UNO में भारत के खिलाफ शिकायत करने की भी तैयारी कर रहा है.
भारत के खिलाफ भड़काऊ एजेंडा
भारत पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाने वाले इन संगठनों को क्या अपने ही देश में हो रहे अत्याचार नहीं दिखते? क्या ढाका की गलियों में हिंदू परिवारों की चीखें, मंदिरों पर हमले और महिलाओं के साथ हुई बर्बरता की खबरें इनकी आंखें नहीं खोलतीं?
हर मौके पर एक ही भीड़ एक ही नारा
बांग्लादेश में जब भी गाज़ा, फिलिस्तीन या भारत का कोई मुद्दा आता है, वही भीड़ सड़कों पर नजर आती है – अलकायदा के नारे, ISIS के झंडे और भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण. ये साबित करता है कि बांग्लादेश अब कट्टरपंथ का गढ़ बन चुका है.