DNA: डोनेशन दो, वापस हो जाएंगे केस...अब क्या करने जा रहे US के 'बॉस', समझें 'ट्रंप वॉरशिप' का मतलब

1 hour ago

Donald Trump Warship: आजकल मुनीर और उसके चहेते आतंकवादियों पर डॉनल्ड ट्रंप की कृपा भी बरस रही है. लेकिन हम उस चंदे का विश्लेषण करेंगे जो ट्रंप पर बरस रहा है. ट्रंप के आलोचक माने जाने वाले अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने राष्ट्रपति को मिले चंदे पर एक इंवेस्टिगेशन की है और इस पड़ताल के नतीजे बेहद चौंकाने वाले हैं.

इस जांच में सामने आया है कि अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान ट्रंप को तकरीबन 18 हजार करोड़ रुपये का चंदा मिला है. डोनेशन देने वालों की लिस्ट में 346 ऐसे लोग थे जिन्होंने सवा दो करोड़ रुपये या फिर उससे ज्यादा का चंदा दिया है. न्यूयॉर्क टाइम्स की पड़ताल में सामने आया है कि ट्रंप को चंदा देने वालों में कुछ भारतीय मूल के CEO भी शामिल हैं. दावा किया गया है कि चंदे के बदले में कुछ लोगों के ऊपर चल रहे मुकदमे निरस्त कर दिए गए,कुछ डोनर्स को ट्रंप ने सरकार में महत्वपूर्ण पद भी दिए गए हैं.

विदेश नीति तक बदल चुके हैं ट्रंप

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पैसे के लिए या यूं कहें कि अपने फायदे के लिए ट्रंप ने कुछ मौकों पर अमेरिका की विदेश नीति तक को बदल दिया है. जिन आतंकियों से अमेरिका सालों तक लड़ा,ट्रंप ने उन्हीं आतंकियों को गले भी लगा लिया. तो ऐसे में चंदे के बदले में फायदा देना ट्रंप के लिए कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन सवाल उठता है चंदा लेने के तरीकों पर. क्योंकि ट्रंप या उनकी रिपब्लिकन पार्टी ने किसी भी डोनर से सीधा चंदा नहीं लिया है. ये पैसा किस तरह ट्रंप की जेब में पहुंचा,ये भी आपको बेहद गौर से समझना चाहिए.

इस चंदे का एक बड़ा हिस्सा ट्रंप के कथित राष्ट्रवादी प्रोजेक्ट यानी Make America Great Again को दिया गया था. इस प्रोजेक्ट को तकरीबन 2242 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. इसी तरह ट्रंप ने अमेरिकी स्वतंत्रता के 250 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक और NGO लॉन्च किया था. इस प्रोजेक्ट का नाम है AMERICA 250.

प्रोजेक्ट को मिला बड़ा चंदा

चंदे का एक बड़ा हिस्सा इस प्रोजेक्ट को मिला है. यानी राष्ट्रवाद के नाम पर ट्रंप ने पैसा लिया.अपनी चांदी की और चंदा देने वालों के व्यारे न्यारे हो गए.

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— Zee News (@ZeeNews) December 23, 2025

किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष पर चंदे की शक्ल में इतना पैसा लेने का आरोप लगता तो वो नेता जवाब देने को मजबूर हो जाता लेकिन ये ट्रंप हैं.वो डॉनल्ड ट्रंप जिन्हें किसी आरोप, किसी विवाद से कोई फर्क नहीं पड़ता. ट्रंप को सिर्फ अपना फायदा और वाह-वाही देखनी है और इसी वजह से ट्रंप सरकार ने एक और अटपटा ऐलान कर दिया है. 

ट्रंप के नाम पर होंगे नए युद्धपोत

ट्रंप सरकार ने अमेरिकी नौसेना के लिए नए युद्धपोत बनाने का ऑर्डर दिया है. इन नए युद्धपोतों को ट्रंप क्लास वॉरशिप कहा जाएगा. इस प्रोजेक्ट के तहत कुल 25 ट्रंप क्लास वॉरशिप तैयार किए जाएंगे. पहले युद्धपोत का नाम भी तय कर दिया गया है.ट्रंप के नाम पर बनाए जाने वाले पहले युद्धपोत का नाम होगा USS DEFIANT. यानी अमेरिकी नागरिक जो टैक्स देते हैं उसका इस्तेमाल ट्रंप का नाम बढ़ाने के लिए  किया जाएगा.

अमेरिकी नेवी में पूर्व राष्ट्राध्यक्षों के नाम पर युद्धपोतों की क्लास यानी वर्गीकरण किया जाता है. अमेरिका के विमानवाहक युद्धपोतों का पूर्व राष्ट्रपति जेराल्ड फोर्ड के नाम पर वर्गीकरण किया गया है लेकिन ये सम्मान उन राष्ट्रपतियों को मिलता है जिन्होंने कोई महान काम किया हो.  ट्रंप ने कौनसा महान काम किया है,इसका जवाब तो शायद खुद अमेरिका के पास नहीं है. खैर ट्रंप को अमेरिका की राय की जरूरत भी नहीं है क्योंकि उनके अपने पास चाटुकारों की लंबी चौड़ी फौज मौजूद है.

अगर ट्रंप काले कौवे को सफेद कबूतर कह दें तो उनके ये चाटुकार भी सफेद कबूतर ही बोलेंगे.ऐसे ही एक चाटुकार है अमेरिकी नेवी के सचिव जॉन फेलन,जो ट्रंप के युद्धपोत प्लान को क्रांतिकारी साबित करने पर उतारू हैं. 

ट्रंप को वाहवाही लूटने की आदत

ये तो कोई छोटा बच्चा भी बता देगा कि अगर देश के अंदर निर्माण होगा तो उस देश की उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी. इसका ट्रंप के नाम से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन ट्रंप को तो अपना नाम बढ़ाना है. वो केनेडी पीस सेंटर जैसे रिसर्च संस्थान में अपना नाम जोड़ चुके हैं. व्हाइट हाउस में जो बॉलरूम बन रहा है वो भी ट्रंप के नाम पर ही बनाया जा रहा है. अपनी वाह-वाही करने की जो आदत ट्रंप को है,उसे मनोविज्ञान की भाषा में एक नाम भी दिया गया है.

इस दशा को नार्किसिस्टिक पर्सनैलिटी डिस-ऑर्डर कहा जाता है. यानी ऐसा शख्स जिसे अपनी तारीफ कराना अच्छा लगता है. एक ऐसी शख्सियत जिसे बड़े-बड़े प्रतीकों पर अपना नाम लिखा देखना पसंद है. उत्तर कोरिया के किम जोंग से लेकर लीबिया के तानाशाह गद्दाफी और सद्दाम हुसैन तक को मनोविज्ञानी इसी डिस-ऑर्डर का पीड़ित मानते हैं.

यानी वाह-वाही लूटने की जो आदत ट्रंप के अंदर है वो दुनिया के तानाशाहों और क्रूर शासकों के अंदर भी रही है. शायद इसी वजह से कुछ हलकों में कहा जाता है कि ट्रंप एक ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्हें अमेरिकी इतिहास एक तानाशाह के तौर पर याद रखेगा.

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