BMW से क्यों मांगी क्रैश रिपोर्ट? 'गगनप्रीत की मंशा से लेकर वो डॉक्टर नहीं...'

2 days ago

Last Updated:September 24, 2025, 16:07 IST

Gaganpreet Kaur Bail News: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में बीएमडल्ब्लू केस की आरोपी गगनप्रीत कौर की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जज ने दिल्ली पुलिस को सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूत पेश करने का निर्देश दिया है. अब कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर दोपहर 2 बजे करेगी. पटियाला हाउस कोर्ट में आरोपी गगनप्रीत कौर के वकील ने दलील दी कि उनकी मंशा को गलत समझा गया है और उन्हें यह चिकित्सीय जानकारी नहीं थी कि पीड़ित कितने समय में मर सकता है.

BMW से क्यों मांगी क्रैश रिपोर्ट? 'गगनप्रीत की मंशा से लेकर वो डॉक्टर नहीं...'बीएमडब्ल्यू केस में गुरुवार को आ सकता है गगनप्रीत की जमानत पर फैसला

नई दिल्ली. पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली पुलिस से धौला कुआं में हुए बीएमडब्ल्यू दुर्घटना से संबंधित सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूत पेश करने को कहा है ताकि उनके केस को सपोर्ट मिल सके. कोर्ट ने बचाव पक्ष के वकील और सार्वजनिक अभियोजक से लिखित जिरह पेश करने को भी कहा है. कोर्ट बीएमडब्ल्यू चलाने वाली आरोपी महिला ड्राइवर गगनप्रीत कौर की जमानत याचिका पर सुनवाई की. इस मामले में कोर्ट ने बीएमडब्ल्यू कंपी ने क्रैश रिपोर्ट भी मांगी है.

न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकित गर्ग ने आरोपी के वकील, दिल्ली के विशेष सार्वजनिक अभियोजक (SPP) और शिकायतकर्ता के वकील की प्रस्तुतियों को सुनने के बाद दिल्ली पुलिस को सीसीटीवी फुटेज और अन्य संबंधित सबूत पेश करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई गुरुवार को दोपहर 2 बजे के लिए लिस्ट की है. आरोपी गगनप्रीत कौर के वकील ने दलील दी कि उनकी कोई गलत मंशा नहीं थी. उसने वेंकटेश्वर अस्पताल को फोन किया, लेकिन कॉल का जवाब नहीं मिला तो उसने पीसीआर को भी कॉल किया.

गगनप्रीत कौर ने दी क्या दलील?

वकील ने दलील दी कि गगनप्रीत कौर ने घायल को नुलाइफ अस्पताल ले गई और अपने पिता को घायल नवजोत सिंह और उनकी पत्नी के इलाज के लिए आवश्यक सभी चीजों की व्यवस्था करने के लिए बुलाया. उन्होंने सवाल उठाया कि एफआईआर 10 घंटे की देरी के बाद दर्ज की गई. पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में इतना समय क्यों लिया? उन्होंने यह भी दलील दी कि घटना के दिन 1.38-1.39 बजे पीसीआर कॉल की गई थी. आरोपी की कथित मंशा गलत समझी गई है. वह डॉक्टर नहीं है और उन्हें यह पता नहीं था कि मरीज कितने समय तक जीवित रह सकता है. वकील ने कहा कि यह हत्या के बराबर का केस नहीं है.

मैं जमानत मिलने पर भागने वाली नहीं हूं… गगनप्रीत

वकील ने दलील दी कि वह अग्रिम जमानत नहीं मांग रही है. वह गिरफ्तारी के बाद से 10 दिनों से हिरासत में है. वकील ने आगे कहा कि उनके भागने का जोखिम नहीं है और उसने जांच में सहयोग किया. जब पूछा गया, तो उसका मोबाइल और ड्राइविंग लाइसेंस पुलिस को सौंप दिया गया. वकील ने कहा कि पूरा परिवार पीड़ित है और सभी सबूत पुलिस के पास हैं. उसे जमानत दी जा सकती है. विशेष सार्वजनिक अभियोजक (SPP) अतुल श्रीवास्तव और अतिरिक्त सार्वजनिक अभियोजक दिशांक धवन ने गगनप्रीत की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि आरोपी के घर के पास AIIMS अस्पताल है न कि नुलाइफ अस्पताल.

सरकारी वकील ने दी क्या दलील?

SPP ने तर्क दिया कि अस्पताल पहुंचने और जल्दी चिकित्सा उपचार प्रदान करने के लिए ‘गोल्डन आवर’ सिद्धांत है. उन्होंने जमानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि अस्पताल द्वारा तैयार किए गए कागजात में विशिष्ट समय का उल्लेख नहीं है. दिल्ली पुलिस SPP ने प्रस्तुत किया कि आरोपी की मंशा पुलिस को घटना के बारे में सूचित करने की नहीं थी. अस्पताल से कॉल करने वाले ने पुलिस को बताया कि एक मरीज मृत है और एक घायल है. मदद की जरूरत है.
SPP ने आगे तर्क दिया कि आरोपी दक्षिण दिल्ली में 6 साल से रह रही थी और क्षेत्र और वहां के अस्पतालों के बारे में अच्छी तरह से जानती थी.

क्या थी गगनप्रीत की मंशा, क्या बोले सरकारी वकील?

सरकारी वकील ने दलील दी कि आरोपी की मंशा घायल को बचाने की नहीं थी, बल्कि कानूनी कार्यवाही से बचने की थी. SPP ने यह भी तर्क दिया कि उसने घायल को अपने रिश्तेदारों के स्वामित्व वाले अस्पताल में ले जाया. यह भी तर्क दिया गया कि सबूत पहले ही छेड़छाड़ किए जा चुके हैं. यह आरोपी को जमानत देने का मामला नहीं है. SPP श्रीवास्तव ने यह भी उल्लेख किया कि गवाह, गुलफाम ने कहा कि आरोपी ने उसे आजादपुर की ओर ले जाने के लिए कहा. कोर्ट के सवाल के जवाब में जांच अधिकारी ने कोर्ट को सूचित किया कि बीएमडब्ल्यू को एक नोटिस जारी किया गया है, जिसमें कार की गति निर्धारित करने के लिए क्रैश रिपोर्ट मांगी गई है.

कोर्ट ने आरोपी के वकील और पुलिस से कल लिखित दस्तावेज और सीसीटीवी फुटेज आदि प्रस्तुत करने को कहा है. शिकायतकर्ता के वकील, अधिवक्ता अतुल कुमार ने तर्क दिया कि घायल को अस्पताल की लॉबी में घंटों तक स्ट्रेचर पर रखा गया था. दूसरी ओर, आरोपी को आईसीयू में भर्ती किया गया था. उन्होंने आगे कहा कि दुर्घटना स्थल से 2 मिनट की दूरी पर एक सेना बेस अस्पताल है. कानूनी आवश्यकता है कि घायल को निकटतम अस्पताल ले जाया जाए. उन्होंने आगे दलील दी कि पीड़ित ने कहा कि उसे दूर के अस्पताल ले जाया गया. इसके बावजूद, उसने अनुरोध किया कि उसे निकटतम अस्पताल ले जाया जाए.

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Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

September 24, 2025, 16:07 IST

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