Last Updated:September 17, 2025, 09:53 IST
PM Modi @75: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 17 सितंबर 2025 को अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं. एक सामान्य RSS कार्यकर्ता से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक का सफर कतई आसान नहीं रहा. तमाम कठिनाइयों और चुनौतियों से पार पाते हुए उन्होंने भारतीय और विश्व राजनीति में अपना लोहा मनवाया है.

‘उनका जीवन आम लोगों के बीच बीता है – गांवों में, गरीबी में, निस्वार्थ सेवा में और हर कदम पर बाधाओं का सामना करते हुए ऊंचाइयों तक पहुंचे हैं. यह जीवन अनुभव बेजोड़ है और बाधाओं को पार करने की क्षमता ही उन्हें किसी भी राजनेता की चुनौती से परे बनाती है.’ ‘मोदी फेनोमेनन या जादू’ के बारे में यह एक व्यक्ति ने मुझे बताया था, जिसने नरेंद्र मोदी के साथ करीब से काम किया है.
आज जब पीएम मोदी 75 साल के हो गए हैं, उनकी राजनीतिक पूंजी अद्वितीय बनी हुई है. उनकी पार्टी को राज्य चुनावों में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है और यह एक व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह ज्वार को मोड़ दे या इसे पार कर ले – नरेंद्र मोदी. अनगिनत बीजेपी सर्वेक्षणों ने दिखाया है कि पार्टी चुनाव में बड़ी प्रगति करती है, जब मोदी अंतिम चरण में प्रचार अभियान में शामिल होते हैं. ऐतिहासिक चुनाव (जैसे 2018 में त्रिपुरा में बीजेपी की पहली जीत, 2024 में ओडिशा, या 2017 और 2022 में उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक लगातार सफलताएं) ‘मोदी फैक्टर’ की शक्ति को दिखाते हैं. मैंने हाल ही में चुनाव अभियानों में देखा है कि पार्टी के नेता अपने निर्वाचन क्षेत्रों में पीएम मोदी की रैलियों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, क्योंकि इसे जीत का निश्चित नुस्खा माना जाता है.
नरेंद्र मोदी बीजेपी के लिए एक ट्रम्प कार्ड हैं, क्योंकि एक प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने एक क्षमता को आगे बढ़ाया है जिसे उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में निखारा था – जमीन से जुड़े रहने और एक अच्छे श्रोता होने की. मुझे याद है कि कुछ साल पहले मध्य प्रदेश के चुनावी दौरे के बाद उनसे एक बैठक हुई थी. उन्होंने मेरी जमीन से जुड़ी अनुभवों को धैर्यपूर्वक सुना और केवल तब हस्तक्षेप किया जब मैंने कहा कि राज्य की महिलाएं हर महीने अपने खातों में 1,200 रुपये मिलने से खुश थीं, लेकिन उच्च एलपीजी कीमतों की शिकायत भी कर रही थीं. एक सिलेंडर की कीमत भी 1,200 रुपये थी. उन्होंने मुझसे कहा था कि ‘हम दाम घटाएंगे’. एक महीने के भीतर केंद्र ने एलपीजी की कीमतों में बड़ी कटौती की घोषणा की.
निर्मला सीतारमण ने भी हाल ही में अपने अनुभव को बताया कि कैसे पीएम मोदी लंबे समय से उनसे ‘जीएसटी कटौती’ पर काम करने का आग्रह कर रहे थे, ताकि आम आदमी को राहत मिल सके. एक वरिष्ठ मंत्री ने मुझे बताया कि 70 साल से ऊपर के सभी लोगों को आयुष्मान भारत चिकित्सा बीमा लाभ देने का उनका निर्णय भी जमीन से मिली सार्वजनिक प्रतिक्रिया से उत्पन्न हुआ था. पीएम मोदी को यह जानकर चिंता हुई कि मध्यम वर्ग के वरिष्ठ नागरिकों के लिए निजी चिकित्सा बीमा प्राप्त करना या वहन करना मुश्किल हो रहा था और कई अपने बच्चों के संसाधनों पर बोझ नहीं डालना चाहते थे. यह उनके समकालीनों के प्रति सहानुभूति थी, क्योंकि पीएम भी 70 साल से ऊपर थे, एक वरिष्ठ मंत्री ने मुझे बताया.
लेकिन यह सिर्फ सफलता या जमीन से जुड़ाव नहीं है जो पीएम मोदी को आगे ले जाता है. यह उनकी असफलताओं से उबरने और उनके रास्ते में खड़ी बाधाओं को गिराने की क्षमता भी है. चाहे 2002 के गुजरात दंगों के बाद उनके खिलाफ चलाया गया निरंतर अभियान हो, जिसमें उन्हें ‘राजनीतिक अछूत’ के रूप में चित्रित करने का प्रयास किया गया हो या 2012 और 2014 के बीच उन्हें कानूनी परेशानियों में फंसाने का जानबूझकर प्रयास हो, ताकि नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद की अनिवार्य चढ़ाई को रोका जा सके. एक पूर्व सीबीआई प्रमुख (जो अब नहीं रहे) ने एक बार बताया था कि कैसे उन्होंने कुछ लोगों की योजनाओं को विफल कर दिया जो मोदी को एक आपराधिक मामले में झूठा फंसाना चाहते थे. अमित शाह ने बताया कि सीबीआई ने उनसे कहा था कि अगर वह मोदी को दोषी ठहराते हैं तो उन्हें रिहा किया जा सकता है. इस तरह का क्रूर विरोध किसी भी व्यक्ति को तोड़ सकता था, लेकिन नरेंद्र मोदी को नहीं.
यह चरित्र की कठोरता उनके आरएसएस के दिनों से आती है. इसने उन्हें कठिन परिस्थितियों में जीवित रहना और अजेय चुनौतियों का सामना करना सिखाया. क्या आप जानते हैं कि नरेंद्र मोदी (एक 29 वर्षीय आरएसएस कार्यकर्ता के रूप में) साल 1979 में बाढ़ प्रभावित मोरबी में एक महीने से अधिक समय तक रहे थे? उन्होंने तब मोरबी के जलमग्न क्षेत्रों में काम किया था. बाढ़ के कारण एक बांध के टूटने से बाढ़ आई थी. मोदी ने वहां छह सप्ताह से अधिक समय बिताया था. नरेंद्र मोदी ने इस दौरान कीचड़ हटाया, मृत जानवरों और सड़ते शवों को उठाया और उन परिवारों के लिए अंतिम संस्कार किया, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया था. यह आपदा प्रबंधन अभ्यास में उनका पहला अनुभव था.
आपातकाल ने भी मोदी के कठिन परिस्थितियों में बातचीत करने के कौशल को निखारा. क्या आप जानते हैं कि नरेंद्र मोदी (आपातकाल के दिनों में) हमेशा एक ऐसे घर में रहते थे, जिसमें दो या अधिक निकास मार्ग होते थे और गुप्त बैठकों का आयोजन करते समय अंतिम विवरण तक रणनीति बनाते थे? उन्होंने खुद को एक सिख, एक स्वामी जी, एक अगरबत्ती विक्रेता और एक पठान के रूप में छिपाया था? मोदी विभिन्न वेशभूषाओं में यात्रा करते थे, खुद को एक पुजारी और विभिन्न अन्य पोशाकों में प्रस्तुत करते थे. एक दिन वह एक संघ कार्यकर्ता के घर स्वामी जी के वेश में आए. उन्होंने उसी वेश में जेल के अंदर साथी कार्यकर्ताओं से मिलने तक का साहस किया.
आपातकाल के दिनों में गिरफ्तारी से बचने के लिए नरेंद्र मोदी ने अक्सर सिख के वेश को अपनाया, ताकि अपनी गतिविधियों को जारी रख सकें. उनका वेश इतना प्रभावी था कि करीबी परिचित भी उन्हें पहचान नहीं पाते थे. मोदी का नाम पुलिस के दस्तावेजों में प्रमुख हो गया था और उनके लिए गिरफ्तारी से बचना एक बड़ी चुनौती बन गया था. लेकिन, उन्होंने इस चुनौती का सामना किया. उन्होंने आपातकाल विरोधी साहित्य के नियमित प्रकाशन को भी सुनिश्चित किया और इसे पूरे गुजरात में वितरित करने की खतरनाक जिम्मेदारी ली.
ऐसे अनुभव बाद में उनके लिए एक प्रशासक बनने पर अमूल्य साबित हुए, खासकर 2001 के कच्छ भूकंप के बाद. वह 2006 में सूरत में बाढ़ के दौरान फिर से जमीन पर थे और 2014 में कश्मीर में बाढ़ के दौरान प्रधानमंत्री के रूप में वहां पहुंचे. साल 2020 में कोविड-19 संकट और पीएम मोदी का मेड-इन-इंडिया वैक्सीन के लिए जाना, बजाय आयातित वैक्सीन के ने हजारों जानें बचाईं. पीएम मोदी की विदेश नीति सभी की नजरों का केंद्र रही है, क्योंकि जो बाइडेन, डोनाल्ड ट्रंप और अन्य जैसे विश्व नेता भी विदेशी भूमि में उनकी लोकप्रियता पर चकित हुए हैं.
75 साल की उम्र में (और 11 साल के प्रधानमंत्री के रूप में) मोदी आराम करने के मूड में नहीं हैं. वह अजेय हैं और अधिक काम करने के लिए तैयार हैं.
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
September 17, 2025, 09:53 IST