7400 KMPH की हाइपरसोनिक रफ्तार, THAAD-आयरन डोम भी नहीं रोक पाएगा प्रहार

2 days ago

Last Updated:October 02, 2025, 12:00 IST

Hypersonic Missile Project: भारत अपने डिफेंस सिस्‍टम को मजबूत बनाने में जुटा हुआ है. ऑपरेशन सिंदूर बाद मिसाइल से लेकर फाइटर जेट तक के डेवलपमेंट में तेजी आई है. देश की विभिन्‍न एजेंस‍ियां प्रोजेक्‍ट को मिशन मोड में अंजाम तक पहुंचाने में जुटी हैं.

7400 KMPH की हाइपरसोनिक रफ्तार, THAAD-आयरन डोम भी नहीं रोक पाएगा प्रहारभारत अत्‍यंत तेज रफ्तार वाली मिसाइल डेवलप करने में जुटा है. (फाइल फोटो)

Hypersonic Missile Project: ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद डिफेंस सेक्‍टर में भारत आत्‍मनिर्भर बनने के रास्‍ते पर तेजी से बढ़ रहा है. मिसाइल, एयर डिफेंस सिस्‍टम, फाइटर जेट, रडार सिस्‍टम, ड्रोन आदि के डेवलपमेंट से जुड़े प्रोजेक्‍ट में हजारों करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है. DRDO और HAL जैसी एजेंसियां मिशन मोड में काम कर रही हैं, ताकि डिफेंस प्रोजेक्‍ट को समय पर पूरा किया जा सके. इस दिशा में भारत जल्‍द ही ऐतिहासिक सफलता हासिल करने जा रहा है. देश के सशस्‍त्र बलों को जल्‍द ही ऐसी अचूक और प्रचंड वेग वाली मिसाइल मिलने वाली है, जिसके सामने आरयर डोम और THAAD जैसी मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की भी सांसें फूल जाएंगी.

दरअसल, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) 2025 के अंत तक एक नई श्रेणी की हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण करने जा रहा है. यह मिसाइल (जिसे ध्‍वनि- Dhvani नाम दिया गया है) भारत के हाइपरसोनिक हथियार कार्यक्रम में अहम प्रगति मानी जा रही है. इसका उद्देश्‍य देश की रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता को और मजबूत करना है. हाइपरसोनिक ग्‍लाइड वेहिकल (HGV) श्रेणी की यह मिसाइल मैक 5 या 6 से अधिक गति (7400 किलोमीटर प्रति घंटे) से उड़ान भरने और जटिल मोड़ लेने में सक्षम होगी. विशेषज्ञों के अनुसार, इस गति और गतिशीलता के कारण इसे मौजूदा मिसाइल रक्षा प्रणालियों से रोक पाना बेहद मुश्किल होगा.

स्‍क्रैमजेट इंजन

ध्‍वनि हाइपरसोनिक मिसाइल का विकास DRDO के हाइपरसोनिक टेक्‍नोलॉजी डेमॉन्‍स्‍ट्रेटर व्हिकल (HSTDV) कार्यक्रम से मिली उपलब्धियों पर आधारित है. HSTDV ने स्‍क्रैमजेट इंजन (supersonic combustion ramjet) तकनीक का सफल परीक्षण किया था, जिसमें लगभग मैक 6 की गति हासिल की गई. स्‍क्रैमजेट कम्‍बस्‍टर के ग्राउंड टेस्‍ट में 1,000 सेकंड से अधिक का रिकॉर्ड रन दर्ज किया गया, जिसने लंबे समय तक हाइपरसोनिक उड़ान के लिए जरूरी तकनीक को वैध ठहराया.

डेवलपमेंट के फेज से गुजर रही ध्‍वनि हाइपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस से भी ज्‍यादा खतरनाक होगी. (एपी/फाइल फोटो)

इस वजह से खास है ग्‍लाइड व्हिकल

HGV पारंपरिक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से अलग है. ‘इंडिया डिफेंस न्‍यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, इसे पहले रॉकेट द्वारा ऊंचाई तक ले जाया जाता है, जिसके बाद यह लक्ष्‍य की ओर हाइपरसोनिक गति से ग्‍लाइड करता है. यह सिस्‍टम हाई-स्‍पीड, कम ऊंचाई पर उड़ान और अंतिम चरण में जटिल मनूवर की क्षमता के साथ दुश्‍मन की वायु रक्षा प्रणालियों (Air Defence System) को चकमा देने में सक्षम मानी जाती है. इसके चलते यह हथियार जमीनी और समुद्री दोनों लक्ष्‍यों पर सटीक वार करने की क्षमता रखेगा.

टेस्टिंग और डेवलपमेंट

DRDO ने हाल के महीनों में एयरफ्रेम एयरोडायनैमिक्‍स, थर्मल मैनेजमेंट, गाइडेंस सिस्‍टम और स्‍क्रैमजेट इंजन पर कई महत्‍वपूर्ण ग्राउंड व फ्लाइट टेस्‍ट पूरे किए हैं. एडवांस्‍ड सिरेमिक थर्मल बैरियर कोटिंग और सुपरसोनिक कम्‍बशन इंजन के सफल परीक्षण ने इस परियोजना को उड़ान परीक्षण के करीब ला दिया है. ध्‍वनि मिसाइल का 2025 में संभावित पूर्ण पैमाने पर उड़ान परीक्षण भारत को उन चुनिंदा देशों की कतार में खड़ा कर देगा, जिनके पास हाइपरसोनिक वेपन की ऑपरेशनल कैपेबिलिटी है. रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मील का पत्‍थर भारत की रणनीतिक और क्षेत्रीय सुरक्षा को नई दिशा देगा और वैश्विक शक्ति संतुलन में देश की स्थिति को और मजबूत करेगा. ध्‍वनि मिसाइल सिस्‍टम न केवल भारत के लिए एक अगली पीढ़ी का प्रतिरोधक हथियार बनेगा, बल्कि यह देश की स्‍वदेशी एयरोस्‍पेस तकनीक में भी एक बड़ी छलांग साबित होगी.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

October 02, 2025, 11:57 IST

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