DNA में आज सबसे पहले हम आपके सामने उस बड़ी खबर का विश्लेषण करेंगे जिसपर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है. ये खबर जुड़ी है गाजा के उस युद्धविराम से जिसकी पहल अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने की थी. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ये ऐलान किया कि हमास स्थायी शांति के लिए तैयार है. इसलिए इजरायल गाजा पर हमले तुरंत रोके. भारत और इजरायल समेत दुनिया के सभी बड़े देशों ने इस पहल का स्वागत किया. लेकिन इस पहल के बाद हमास कैसे दो टुकड़ों में बंट गया. ये आज की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय खबर है. जिसका विश्लेषण आज हम करने वाले हैं.
अमेरिका के मशहूर अखबार THE WASHINGTON POST ने दावा किया है कि ट्रंप के सीज़फायर प्लान को लेकर हमास के अंदर दो धड़े खड़े हो गए हैं. यानी जिस आतंकी संगठन के लिए पाकिस्तान समेत कई मुस्लिम देश एकजुट होने लगे उसी हमास में फूट पड़ गई है. कतर में मौजूद हमास की POLITICAL LEADERSHIP ट्रंप के प्लान को कबूल करना चाहती है लेकिन गाजा में मौजूद हमास के टेरर कमांडर ट्रंप के प्लान से सहमत नहीं हैं. माना जा रहा है कि ट्रंप की दो शर्तों को लेकर हमास के अंदर विरोधाभास हैं.
ट्रंप की दो शर्तें में क्या है?
अब ये दो शर्त कौन सी हैं? इसमें से पहली शर्त है हमास का हथियार सरेंडर करना और दूसरी शर्त है गाजा से हमास आतंकियों की वापसी. यानी इजरायल के हमले से बचने के लिए हमास के आतंकियों को हथियार छोड़ने होंगे और गाजा भी छोड़ना होगा. हमास ने लंबे समय से गाजा को अपना ठिकाना बना रखा है. इसी वजह से इजरायल ने भी सबसे ज्यादा बम गाजा पर ही बरसाये हैं.
सोशल मीडिया पर ट्रंप की हमास को चेतावनी
वहीं ट्रंप के प्रस्ताव पर हमास ने भी बयान जारी किया है इस बयान से जुड़े पेंच के बारे में हम आपको बताएंगे उसके पहले आपको ट्रंप की वो पूरी चेतावनी देखनी और समझनी चाहिए जो युद्धविराम के प्रस्ताव को लेकर हमास को दी गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'हमास को रविवार तक का वक्त दिया जाता है तब तक हमास को सभी बंधक चाहे वो जिंदा हों या मृत उन्हें इजरायल को सौंपना होगा सभी पक्ष मेरे प्लान पर सहमत हैं अगर हमास ने सहमति नहीं जताई तो उन्हें जहन्नुम का सामना करना पड़ेगा ये एक ऐसी स्थिति होगी जो हमास ने कभी देखी भी नहीं होगी हमास चाहे या ना चाहे मैं मिडिल ईस्ट में शांति के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हूं.'
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— Zee News (@ZeeNews) October 4, 2025
कुछ ही घंटों में खत्म हो जाएगी ट्रंप की डेडलाइन
ट्रंप की ये डेडलाइन अब से कुछ ही घंटों बाद खत्म हो जाएगी लेकिन हमास में हुई दो फाड़ संकेत दे रही है कि ट्रंप की कथित डेडलाइन तक शायद युद्धविराम ना हो पाए हमास के अंदर कथित गैंगवॉर किस हद तक बढ़ चुकी है ये समझने के लिए आपको युद्धविराम पर हमास का बयान बेहद गौर से देखना चाहिए. हमास के बयान में जो पहला महत्वपूर्ण बिंदु है वो है युद्धविराम के बाद का गाजा हमास नहीं चाहता कि गाजा का प्रशासन किसी अंतरराष्ट्रीय गठबंधन को दिया जाए जबकि ट्रंप ने INTERNATIONAL PEACE FORCE की हिमायत की है. अपने बयान में हमास ने ये भी कहा है कि इजरायली फौज को एक ही चरण में गाजा से लौटना होगा जबकि ट्रंप कह चुके हैं कि जब-जब हमास शर्त पूरी करेगा तो चरणबद्ध तरीके से इजरायली फौज भी पीछे हटेगी इस बयान में हमास ने हथियार सरेंडर करने की शर्त पर कोई जवाब नहीं दिया है हमास के हथियारों का सरेंडर ट्रंप के सीज़फायर प्लान में एक बड़ा बिंदु बनाया गया था.
इसके पहले भी कई बार इजरायल-हमास के बीच हुआ था युद्ध विराम
इसके पहले साल 2008 में इजिप्ट ने इजरायल और हमास के बीच 6 महीने का युद्धविराम कराया था लेकिन 5वें महीने में ही हमास ने इजरायल पर रॉकेट दाग दिए थे. साल 2012 में इजिप्ट और अमेरिका ने एक बार फिर इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम कराया था लेकिन हमास ने इजरायल पर रॉकेट अटैक कर दिया था ये सीजफायर कुछ हफ्ते भी नहीं टिक पाया था. साल 2014 में अरब देशों की मध्यस्थता से इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम कराया गया था लेकिन युद्धविराम पर सहमति के कुछ ही दिन बाद हमास ने इजरायल पर साढ़े तीन हजार रॉकेट दाग दिए थे जिसकी वजह से एक सीमित टकराव हुआ और 2 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी इस टकराव में मारे गए.
इतिहास गवाह रहा है कि हमास और इजरायल...
इतिहास के ये पन्ने बताते हैं कि हमास की राजनीतिक लीडरशिप जो युद्धविराम कराती है हमास की मिलिट्री लीडरशिप उसपर पानी फेर देती है. अगर आप कभी हमास के बारे में पढ़ेंगे तो आपको किताब के पन्नों में एक कहावत जरूर लिखी मिलेगी- "गाजा में वो हमास है जिसके सीने में लोहे का दिल है और कतर में वो हमास है जिसके हाथों में डॉलर बिल हैं". गाजा में हमास के मिलिट्री कमांडर और कतर में बैठे हमास के नेताओं को लेकर कई मौकों पर ये बात कही जा चुकी है. युद्धविराम में धोखे से भरा इतिहास और हमास के अंदर गुटबाजी शायद इसी वजह से ट्रंप ने डेडलाइन के साथ दी गई चेतावनी में जहन्नुम जैसे परिणाम को जोड़ा था. जिस जहन्नुम का जिक्र ट्रंप की जुबान से निकला उसका एक ट्रेलर आज इजरायल ने हमास को दिखा दिया.
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कुछ ही घंटों पहले इजरायल ने की थी हमास पर बमबारी
इजरायली एयरफोर्स ने एक बार फिर गाजा पर बमबारी की है अब से कुछ ही घंटे पहले हुए इस हमले में कम से कम 20 लोगों के मारे जाने की खबर है. इस बमबारी के साथ ही इजरायली सेना ने एक बयान भी जारी किया है. अपने बयान में इजरायली सेना ने कहा है गाजा सिटी अब भी WAR ZONE है और जो लोग दक्षिणी गाजा यानी राफाह गए हैं वो किसी भी कीमत पर गाजा सिटी की तरफ वापस ना लौटें.अमेरिकी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक ट्रंप सरकार ने लेबनान के लिए एक बड़ी सहायता राशि पर मुहर लगा दी है ट्रंप सरकार से लेबनान को कुल 230 मिलियन डॉलर दिए जाएंगे इस राशि में से 190 मिलियन डॉलर सीधे लेबनान की सेना को दिए जाएंगे और बाकी बचे 40 मिलियन डॉलर सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हथियारबंद गुटों को दिए जाएंगे.
सरकारी दस्तावेजों में हथियारबंद गुटों को परिभाषित नहीं किया गया
हालांकि सरकारी दस्तावेजों में हथियारबंद गुटों को सीधे तौर पर परिभाषित नहीं किया गया है इसी वजह से सवाल उठ रहे हैं क्या डॉलर के जरिए हिज्बुल्ला के अंदर भी वैसी ही फूट डाली जाएगी जैसी हमास के अंदर नजर आ रही है या फिर अमेरिका किसी और संगठन को इतना मजबूत करेगा कि वो हिज्बुल्ला को झुकने या सरेंडर करने पर मजबूर कर दे इसी आशंका से ईरान भी चिंतित है क्योंकि हिज्बुल्लाह ईरान का सबसे पुराना प्रॉक्सी गुट है और मिडिल ईस्ट में ईरान की ताकत का प्रतीक भी लेकिन हिज्बुल्ला के अंदर भी कुछ ऐसे बदलाव नजर आए हैं जो बदलते रवैये का इशारा माने जा सकते हैं इन संकेतों को समझने के लिए आपको कुछ आंकड़े बड़े ध्यान से देखने चाहिए.
साल 2025 में हिज्बुल्ला ने इजरायल पर 4 हमले किए
अगर वर्ष 2025 की बात करें तो हिज्बुल्ला ने इजरायल पर सिर्फ 4 हमले किए हैं पिछले तीन महीनों में हिज्बुल्ला ने इजरायल पर एक भी हमला नहीं किया है 13 से 24 जून के बीच जब इजरायल और ईरान के बीच टकराव हुआ था बस वही एक वक्त था जब हिज्बुल्ला ने इजरायल की सीमा पर अपनी गतिविधियां तेज की थीं. सीरिया के TERROR PRESIDENT कहे जाने वाले अहमद शारा को ट्रंप न्यूयॉर्क बुला चुके हैं यानी सीरिया में ईरान के प्राक्सी गुटों के लिए जगह खत्म हो गई है अब ट्रंप ने डॉलर भेजकर लेबनान में नई डील का प्लान बनाया है अगर सीरिया और लेबनान से हिज्बुल्ला का प्रतिरोध खत्म हो गया तो ना सिर्फ ईरान की इजरायल विरोधी नीति चारों खाने चित हो जाएगी बल्कि हमास के लिए भी स्थानीय मदद और रसद दोनों पहुंचना मुश्किल हो जाएगी इसी वजह से ट्रंप बार-बार हमास को सख्त शब्दों में समझा रहे हैं कि वो युद्धविराम कबूल करे और गाजा में चल रहा वो युद्ध खत्म हो जाए जिसमें हजारों लोग मारे जा चुके हैं.
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बुद्धिजीवियों को पाकिस्तान में बैठा हमास नहीं दिखता है?
पूरी दुनिया के अंदर आज एक ही सवाल पूछा जा रहा है क्या हमास सीज़फायर से जुड़ा प्लान मानेगा या नहीं क्या गाजा के अंदर चल रही जंग खत्म होगी या नहीं लेकिन इस सवाल को पूछने वाले देशों से इस सवाल को उठाने वाले किरदारों से आज हम भी एक सवाल पूछना चाहते हैं. हमारा सवाल बस इतना सा है जब दुनिया की बड़ी-बड़ी शक्तियों को कथित बुद्धीजीवियों को गाजा और वहां बैठा हमास नजर आता है तो पाकिस्तान में बैठा हमास यानी भारत को दुश्मन मानने वाले हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकी नजर क्यों नहीं आते अगर हमास के आतंक से पीड़ित इजरायल को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं तो फिर हाफिज और मसूद के आतंक से लड़ रहे भारत को लेकर दुनिया के कथित सरपंचों की जुबान क्यों सिल जाती है इसी दोहरे रवैये का अब हम विश्लेषण करने जा रहे हैं जो आपको बेहद गौर से देखना चाहिए
चीन लगातार भारत के प्रयासों पर वीटो लगाता है
गाजा के युद्धविराम प्रस्ताव का चीन ने स्वागत किया है लेकिन क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तानी हमास यानी लश्कर-ए-तैयबा को लेकर चीन ने क्या-क्या किया है जून 2024 में जब भारत ने पाकिस्तानी आतंकी साजिद मीर के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव दिया तो चीन ने उसे वीटो कर दिया था इसी तरह दिसंबर 2024 में भी भारत ने लश्कर के ऑफशूट TRF पर प्रतिबंध लगाने से जुड़ा प्रस्ताव दिया था चीन ने इस प्रस्ताव पर भी वीटो किया और तो और मई 2025 में जब भारत ने पाकिस्तान में मौजूद 5 लश्कर आतंकियों पर प्रतिबंध लगाने की अपील की तो चीन ने उस अपील को भी ब्लॉक कर दिया था.
चीन ने ट्रंप के गाजा प्लान की तारीफ की लेकिन...
टैरिफ को लेकर जिस चीन की ट्रंप से खटपट चल रही है वो चीन ट्रंप के गाजा प्लान की तारीफ करता है लेकिन अपने ही पड़ोस में मौजूद आतंकियों को बचाने के लिए भारत की कोशिशों के खिलाफ वीटो लगाता है. हो सकता है कि आप कहें चीन और भारत परस्पर प्रतिद्वंदी रहे हैं तो भारत के प्रस्ताव आखिर चीन क्यों मानेगा लेकिन आतंक को लेकर ये DOUBLE STANDARD सिर्फ चीन से ही नजर नहीं आते हमास को सरेंडर की चेतावनी देने वाले डोनाल्ड ट्रंप भी ऐसी ही नीति पर चलते दिख रहे हैं.
पाकिस्तान मदद को टेरर फंडिंग के लिए इस्तेमाल करता है
ट्रंप को गाजा में शांति चाहिए लेकिन जुलाई 2025 में जब भारत की कोशिशों के बाद अमेरिका ने TRF को आतंकी गुट घोषित किया तो उस बयान से जान-बूझकर पाकिस्तान का नाम हटा दिया गया था इतना ही नहीं पिछले ही महीने ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ काउंटर टेरर प्रोग्राम को दोबारा शुरु कर दिया है. अमेरिका का सिस्टम ये बखूबी जानता है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मदद का इस्तेमाल टेरर फंडिंग में करता है फिर भी डोनाल्ड ट्रंप ने काउंटर टेरर के नाम पर पाकिस्तान को 500 मिलियन डॉलर देने का फैसला कर लिया.
आतंकवाद पर डबल स्टैंडर्ड की बात करते हैं चीन-अमेरिका
इंसानियत के दुश्मन आतंक पर ऐसे DOUBLE STANDARD के वायरस से सिर्फ चीन और अमेरिका जैसे देश ही ग्रसित नहीं है बल्कि दोहरी नीतियों का ये वायरस पूरे पश्चिमी जगत में फैला हुआ है पाकिस्तानी हमास यानी लश्कर और जैश पर ये कथित विकसित देश बोलते हैं लेकिन ठोस कदम उठाने से कतराते हैं.
भारत भी इन दोहरी बातों को समझ चुका है
इन DOUBLE STANDARDS को अब भारत भी समझ चुका है और इसी वजह से भारत बार-बार कह रहा है ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ जब तक पाकिस्तान प्रायोजित आतंक रहेगा तब तक ऑपरेशन सिंदूर भी जारी रहेगा इसी ऑपरेशन सिंदूर का एक वीडियो भारतीय वायुसेना ने कुछ ही घंटों पहले रिलीज किया है ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना के एक्शन का ये ट्रेलर आपको भी देखना चाहिए ताकि आपके अंदर ये विश्वास और ज्यादा मजबूत हो जाए कि जब-जब आतंक से सामना होगा तो कोई साथ दे ना दे भारत फिर भी आगे बढ़कर आतंक को मुंहतोड़ जवाब जरूर देगा.
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