बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से हर एक पर लालू यादव के नेतृत्व में राजद चक्रव्यूह रचने में जुटा है. इसमें वह अपने सहयोगी दल कांग्रेस की भी परवाह नहीं कर रहा. उसकी पूरी कोशिश है कि इस 2024 के लोकसभा चुनाव में वह किसी भी कीमत पर कुछ सीटें जीत ले. 2019 में राजद को एक भी सीट नहीं मिली थी. ऐसे में पूर्णिया लोकसभा सीट को लेकर घमासान मचा हुआ है. इस वक्त बिहार में यह सबसे चर्चित सीट बन गई है. सीमांचल की इस सीट के सुर्ख़ियों में होने की मुख्य वजह हैं पप्पू यादव.
दरअसल, पप्पू यादव जन अधिकार पार्टी के सर्वेसर्वा थे और शीर्ष नेतृत्व के आग्रह पर उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करा दिया. तब पप्पू यादव का दावा था कि प्रियंका गांधी ने उनसे वादा किया था कि पूर्णिया सीट से वह पार्टी के उम्मीदवार होंगे. पप्पू यादव ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी थी. इस बीच विधायक बीमा भारती जदयू को अलविदा कह राजद में शामिल हो गईं और उन्हें राजद का सिंबल भी दे दिया गया. यहीं से मामला गर्म हो गया.
चर्चा में पूर्णिया
सूत्र बताते हैं कि राजद के इस फैसले से कांग्रेस नाराज है और उसने ऐतराज जताया है कि जब सीट बंटवारे की घोषणा नहीं हुई तो राजद कैसे सिम्बल दे सकती है. लेकिन, बावजूद इसके राजद कुछ मानने को तैयार नहीं है. इसके बाद से पप्पू यादव बेहद नाराज हैं और कह रहे हैं- मर जाएंगे मिट जाएंगे, लेकिन पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने घोषणा भी कर दी है कि चाहे कुछ भी हो जाए दो अप्रैल को वह पूर्णिया से नामांकन करेंगे.
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पप्पू यादव कहते हैं पूर्णिया सिर्फ मेरे लिए एक सीट भर नहीं है बल्कि ये उनकी मां है और मां को छोड़कर कोई बेटा कैसे जा सकता है. दरअसल, अब ये जानना बेहद जरूरी है कि पप्पू यादव पूर्णिया सीट को लेकर इतने आक्रामक क्यों हैं. कांग्रेस क्यों नाराज है. और इतना सब होने के बावजूद राजद अति पिछड़ा समाज से आने वाली बीमा भारती को उम्मीदवार बनाने पर क्यों अड़ी हुई है.
राजद की रणनीति
पप्पू यादव पहले भी पूर्णिया से सांसद रहने के साथ साथ पांच बार सांसद और विधायक रह चुके हैं. इनकी गिनती कोशी और सीमांचल के बड़े नेता के तौर पर होती है. 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए वह लगभग छह महीने से सीमांचल और पूर्णिया में प्रणाम पूर्णिया यात्रा कर रहे थे. लगातार लोगों के बीच जाकर लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे थे और इसी वजह से उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में किया था. लेकिन, उन्हें तब झटका लगा जब राजद ने यहां से बीमा भारती को मैदान में उतार दिया.
बीमा भारती पूर्णिया लोकसभा सीट के रूपौली से विधायक हैं और अति पिछड़ा समाज से आती हैं. राजद का दामन थामने के बाद चुनावी मैदान में हैं और तीन अप्रैल को नामांकन दाखिल करने की घोषणा कर चुकी हैं. पूरी ताकत से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं. बीमा भारती पर राजद ने एक रणनीति के तहत दांव लगाया है और जदयू के संतोष कुशवाहा के सामने अति पिछड़ा उम्मीदवार उतार एनडीए के बड़े वोट बैंक में सेंघ लगाने का प्रयास किया है.
बीमा भारती कहती हैं कि पूर्णिया उनका कर्म क्षेत्र है और उन्हें लालू और तेजस्वी का आशीर्वाद मिल चुका है. वह न सिर्फ़ जीत रही हैं बल्कि सीमांचल का अति पिछड़ा समाज भी पूरी तरह महागठबंधन की तरफ है.
अति पिछड़ा वोट
राजद नेतृत्व को उम्मीद है कि एमवाई (मुस्लिम-यादव) वोट बैंक के साथ-साथ अति पिछड़ा वोटर में सेंध लगने पर पूर्णिया सीट पर वह मजबूत स्थिति में होगी. इस रणनीति से एनडीए की मजबूत सीट पर कब्जा किया जा सकता है. इसका फायदा सीमांचल की दूसरी सीटों पर भी मिल सकता है. वहीं सूत्र ये भी बताते हैं कि पप्पू यादव से राजद का शीर्ष नेतृत्व इस बात को लेकर भी नाराज है कि उन्होंने राजद में पार्टी का विलय कराने के लिए बोला गया था, लेकिन उन्होंने कांग्रेस में अपनी पार्टी का विलय करा दिया.
कोशी-सीमांचल के बड़े नेता
वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे कहते हैं पप्पू यादव की छवि कोशी और सीमांचल के बड़े यादव नेता की है. अगर वह पूर्णिया से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते और जीतते, तो न सिर्फ उनका महत्व बढ़ जाता बल्कि उन्हें कांग्रेस के बड़े यादव नेता के तौर पर चेहरा भी मिल जाता. यह बात राजद को गंवारा नहीं है.
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कांग्रेस और राजद के बीच पूर्णिया सीट को लेकर फंसे मामले पर जदयू और एनडीए की भी नजर है. जदयू ने पूर्णिया सीट पर दो बार के सांसद संतोष कुशवाहा को फिर से मैदान में उतारा है. कुशवाहा कहते हैं कि चुनाव कोई लड़े जीत हमारी ही होगी. हमारा मुद्दा सिर्फ एक है- विकास का मुद्दा.
जाति समीकरण
अब एक नजर डालते हैं पूर्णिया के जातिगत समीकरण पर. पूर्णिया एमवाई समीकरण की बहुलता वाली सीट है. यहां लगभग 22 लाख मतदाता हैं. इसमें मुस्लिम करीब सात लाख, यादव – 1.5 लाख, अति पिछड़ा – 2 लाख, दलित आदिवासी – 4 लाख, ब्राह्मण – 1 से 1.5 लाख, राजपूत – 1 से 1.5 लाख और अन्य. सीमांचल के वरिष्ठ पत्रकार अरुण कहते हैं पूर्णिया बंगाल के नजदीक है. बावजूद इसके ये इलाका पिछड़ा हुआ है. यहां का जितना विकास होना चाहिए वो नहीं हो पाया है. रेलवे के मामले में अभी भी पूर्णिया काफी पीछे है. पूर्णिया में एयरपोर्ट की मांग कई सालों से हो रही है.
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FIRST PUBLISHED :
March 28, 2024, 19:19 IST