₹30000 करोड़ की डील, राफेल-ब्रह्मोस छूट जाएंगे पीछे, पलक झपकते दुश्‍मन खाक

3 weeks ago

Last Updated:September 26, 2025, 06:04 IST

India Defence News: बीसवीं और 21वीं सदी में काफी कुछ बदल चुका है. युद्ध का तौर तरीका भी बदला है. 5th जेनरेशन फाइटर जेट और मिसाइल्‍स आने वाले कुछ एक दशकों में कन्‍वेंशनल वेपन यानी पारंपरिक हथियार हो जाएंगे. फ्यूचर वॉर में ड्रोन और AI बेस्‍ड वेपन काफी अहम हो जाएंगे.

₹30000 करोड़ की डील, राफेल-ब्रह्मोस छूट जाएंगे पीछे, पलक झपकते दुश्‍मन खाकभारत शक्तिशाली ड्रोन डेवलप करने की योजना तैयार कर रहा है. (फाइल फोटो)

India Defence News: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत लगातार अपने डिफेंस सिस्‍टम को अपग्रेड करने में जुटा है. मॉडर्न फाइटर जेट, मिसाइल, रडार और एयर डिफेंस सिस्‍टम पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. अब फ्यूचर वॉर को लेकर भी जोरों से तैयारियां चल रही हैं. इसमें वायु रक्षा प्रणाली के साथ ही पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान और ड्रोन काफी अहम है. खासकर कटिंग एज ड्रोन विकसित करने पर ज्‍यादा फोकस किया जा रहा है. ड्रोन वॉरफेयर की खासियत यह है कि इसमें जनहानि की आशंका नहीं होती है, क्‍योंकि इसे ऑपरेट करने के लिए पायलट की जरूरत नहीं होती है. साथ ही मॉडर्न ड्रोन को फाइटर जेट के साथ कनेक्‍ट करते हुए भी ऑपरेट किया जा सकता है. रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन की ताकत पूरी दुनिया ने देखा था. इन सब पहलुओं को देखते हुए भारत ड्रोन डेवलपमेंट के क्षेत्र में हजारों करोड़ इन्‍वेस्‍ट करने की तैयारी कर रहा है. डिफेंस सेक्रेटरी आरके सिंह ने इसके बारे में अहम जानकारी दी है.

भारत MALE यानी मीडियम एल्‍टीट्यूड लॉन्‍ग एंड्योरेंस क्‍लास का ड्रोन डेवलप करने के लिए जल्‍द ही 30 हजार करोड़ का रिक्‍वेस्‍ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी कर सकता है. भारत अपनी रक्षा उत्पादन नीति में आत्मनिर्भरता को गति देने जा रहा है. रक्षा सचिव आरके सिंह ने बताया कि सरकार जल्द ही 30,000 करोड़ रुपये मूल्य का रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RfP) मीडियम अल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (MALE) क्लास ड्रोन्स के लिए जारी करेगी. इस कदम को देश की निगरानी और स्ट्राइक मतलब अटैक क्षमता को मज़बूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है. MALE ड्रोन्स सीमा पर चौकसी, लंबी अवधि के मिशन और नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर में अहम भूमिका निभाएंगे. कटिंग एज ड्रोन सिस्‍टम से राफेल फाइटर जेट और ब्रह्मोस मिसाइल जैसे हथियारों की जरूरत को कम किया जा सकता है. वहीं, दुश्‍मन को ज्‍यादा चोट भी पहुंचाई जा सकती है. बड़े पैमाने पर निवेश से यह भी संकेत मिलता है कि सरकार सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की भागीदारी को बढ़ावा देना चाहती है.

ड्रोन समय की जरूरत

आरके सिंह ने कहा कि हाल के वैश्विक युद्धों से सबक लेकर यह स्पष्ट हुआ है कि आधुनिक संघर्षों में मिसाइल और ड्रोन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. उन्होंने स्वीकार किया कि भारत अब तक मिसाइलों का सीमित उपयोग करता रहा है, लेकिन भविष्य के लंबे संघर्षों के लिए पर्याप्त स्टॉकपाइल और त्वरित उत्पादन ज़रूरी होगा. इसके लिए पारंपरिक सरकारी रक्षा कंपनियों के अलावा एक व्यापक औद्योगिक आधार खड़ा करना अनिवार्य है. सरकार अगले दशक तक सालाना 25–30 अरब डॉलर रक्षा पूंजीगत व्यय बनाए रखने का लक्ष्य लेकर चल रही है, जिसमें कम से कम 75% खर्च घरेलू उद्योग के लिए सुरक्षित रहेगा. ड्रोन्स, अंडरवॉटर सिस्टम, सैटेलाइट इमेजिंग और प्रिसिजन म्युनिशन जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जा रही है. उन्‍होंने बताया कि डिफेंस सेक्‍टर को रफ्तार देने के लिए स्टार्ट-अप्स को भी बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय अलग सेक्शन बना रहा है और उन्हें पांच साल तक खरीद समर्थन का आश्वासन दिया जाएगा. पिछले वर्ष का रक्षा बजट पूरी तरह खर्च हो चुका है और इस वित्त वर्ष में 2–3 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स होने की उम्मीद है. आने वाले वर्षों में रक्षा बजट में 17–18% की सालाना वृद्धि का अनुमान है.

आधुनिक ड्रोन भविष्‍य में कहीं ज्‍यादा घातक होने वाला है. (फाइल फोटो)

पूरी है तैयारी

हवाई ताकतों पर बात करते हुए डिफेंस सेक्रेटरी ने कहा कि पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान तुरंत उपलब्ध नहीं होंगे, लेकिन पर्याप्त संख्या में 4th और 4.5th जनरेशन फाइटर्स के साथ एडवांस हथियार जोड़कर क्षमता अंतर को पाटा जा सकता है. जब तक स्वदेशी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) परियोजना पूरी नहीं होती, यह व्यवस्था deterrence बनाए रखने में सहायक होगी. उन्‍होंने संकेत दिया कि भारत की भविष्य की साझेदारियां ऑपरेशनल ज़रूरतों और टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर पर आधारित होंगी. अमेरिका और रूस दोनों के साथ सहयोग को लेकर दरवाज़ा खुला रखा जाएगा.

1.5 लाख करोड़ का ड‍िफेंस कॉन्‍ट्रैक्‍ट

जानकारी के अनुसार, निकट भविष्य में भारत 1.5 लाख करोड़ रुपये के रक्षा अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने जा रहा है, जबकि 75,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं विचाराधीन हैं. पिछले वर्ष 2.09 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड रक्षा अनुबंध हुए थे, जिसे इस बार भी दोहराने या पार करने का लक्ष्य है. यह घोषणाएं इस बात का संकेत हैं कि भारत रक्षा क्षेत्र में आयात निर्भरता से हटकर एक प्रतिस्पर्धी, स्वदेशी और तकनीक-प्रधान ढांचा बनाने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. 30,000 करोड़ रुपये का प्रस्तावित MALE ड्रोन RfP इस नए मॉडल की झलक प्रस्तुत करेगा.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

September 26, 2025, 06:04 IST

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