27 साल पहले भारत ने किया था पोखरण परीक्षण, ‘ऑपरेशन शक्ति’ ने रच दिया इतिहास

18 hours ago

Last Updated:May 11, 2025, 12:38 IST

Pokhran Nuclear Test: भारत के परमाणु शक्ति बनने की आज 27वीं वर्षगांठ है. 27 साल पहले 11 मई को भारत ने राजस्थान के पोखरण में भूमिगत परमाणु विस्फोट किए थे. इसे 'ऑपरेशन शक्ति' नाम दिया गया था. यह मिशन गोपनीय तरीके...और पढ़ें

27 साल पहले भारत ने किया था पोखरण परीक्षण, ‘ऑपरेशन शक्ति’ ने रच दिया इतिहास

परीक्षण स्थल पर विजय चिह्न दिखाते हुए (बाएं से दाएं) प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस, एपीजे अब्दुल कलाम और परमाणु ऊर्जा प्रमुख आर चिदंबरम.

हाइलाइट्स

भारत ने 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण किए'ऑपरेशन शक्ति' के तहत 5 भूमिगत विस्फोट किए गएडॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने मिशन का नेतृत्व किया

Pokhran Nuclear Test: आज (11 मई) ‘ऑपरेशन शक्ति’ परमाणु परीक्षण के 27 साल पूरे हो गए. तब पोखरण से दुनिया ने भारत की ताकत की गूंज सुनी थी. 11 मई 1998 को भारत ने राजस्थान के पोखरण में पांच बमों के साथ भूमिगत परमाणु परीक्षणों की एक श्रृंखला आयोजित की थी. पोखरण में हुए परमाणु परीक्षणों की याद में हर साल 11 मई को भारत में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है. 

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पोकरण में परीक्षण कर दुनिया को चौंकाया था. परीक्षण से पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक खलबली मच गई थी. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में मिशन गुप्त रूप से पूरा किया गया. परीक्षण के दिन सभी को आर्मी की वर्दी में परीक्षण स्थल पर ले जाया गया था. ऐसा इसलिए किया ताकि मिशन की खुफिया एजेंसियों को भनक ना लगे. इसके लिए मई का महीना इसलिए चुना गया था कि क्योंकि इन दिनों राजस्थान में धूल भरी आंधियां चलती हैं. जिसकी वजह से सेटेलाइट भी तमाम गतिविधियों को पकड़ नहीं पाता है.

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कैसे किया गया परमाणु परीक्षण
27 साल पहले 11 मई 1998 को भारत ने राजस्थान के पोखरण में पांच बमों के साथ भूमिगत परमाणु परीक्षणों की एक श्रृंखला आयोजित करके इतिहास रचा था. 11 मई को दोपहर 3.45 बजे एक फ्यूजन और दो फिजियन बमों के विस्फोट के साथ निर्धारित कोड नाम ऑपरेशन शक्ति के तहत परीक्षण शुरू किए गए थे. उस समय की अटल बिहारी वाजपेई की सरकार से परीक्षणों के लिए मंजूरी मिलने के बाद भारत ने अमेरिका की नजरों से दूर सावधानीपूर्वक योजना बनाना शुरू कर दिया. रिपोर्ट्स बताती हैं कि परीक्षणों में शामिल लोगों को पूर्ण गोपनीयता की शपथ दिलाई गई थी और साथ ही उन्हें हर कदम की तैयारी और योजना बनाने के लिए डेढ़ साल का समय दिया गया था.

वह स्थान जहां 11 मई 1998 को भूमिगत परमाणु विस्फोट किया गया था.

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ऐसा करने वाला छठा देश बना
भारत ने दो दिनों में पांच परमाणु विस्फोट किए. 11 मई को किए गए पहले परीक्षण में एक थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस (हाइड्रोजन बम), एक फिजियन बम और एक सब-किलोटन डिवाइस शामिल थी. 13 मई को दो और सब-किलोटन डिवाइस का परीक्षण किया गया. इन परीक्षणों की सफलता ने भारत को अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के साथ सार्वजनिक रूप से परमाणु हथियार क्षमता का प्रदर्शन करने वाला दुनिया का छठा देश बना दिया. इन घटनाओं ने भारत की वैश्विक छवि में बदलाव की शुरुआत की, जिससे कूटनीतिक जुड़ाव बढ़ा. शुरुआती प्रतिबंधों के बावजूद परीक्षणों ने अंततः भारत-अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंधों को और मजबूत किया. जिसका उदाहरण 2005 का भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता है.

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एपीजे अब्दुल कलाम ने किया नेतृत्व
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में यह मिशन गुप्त रूप से पूरा किया गया. परीक्षण के दिन सभी को आर्मी की वर्दी में परीक्षण स्थल पर ले जाया गया था. ऐसा इसलिए किया गया ताकि मिशन की खुफिया एजेंसियों को भनक ना लगे. साथ ही डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को कर्नल पृथ्वीराज का नकली नाम भी दिया गया था. परीक्षण के दौरान मिसाइलमैन डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम भी सैन्य वर्दी में मौजूद रहे. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने बाद में देश के राष्ट्रपति पद को भी सुशोभित किया.

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