210 की रफ्तार से आया काल, तबाह हो गईं 15000 जिंदगियां, इतिहास का डेंजर तूफान

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Last Updated:December 15, 2025, 12:20 IST

Bay OF Bengal Cylone in Bangladesh: बंगाल की खाड़ी में अक्सर तूफान उठते रहते हैं. लेकिन, 1995 की तूफान को कोई भी भूलना नहीं चाहेगा. 15 दिसंबर को बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) के तट पर आए इस तूफान ने 15 हजार लोगों की जान ले ली थी. आज हम इतिहास के पन्नों में दर्ज आज के दिन हुए घटना को याद कर रहे हैं.

210 की रफ्तार से आया काल, तबाह हो गईं 15000 जिंदगियां, इतिहास का डेंजर तूफानबांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में आए चक्रवाती तूफान के बाद का दृश्य. (विकीपेडिया से)

Cyclone in History: 15 दिसंबर 1965 का दिन तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) के लिए एक ऐसा काला दिन बनकर आया. इसके दर्द की झलक आज भी यहां लोगों के चेहरे पर दिखती है. इस दिन बंगाल की खाड़ी से उठा एक अत्यंत शक्तिशाली चक्रवाती तूफान ने कॉक्स बाजार और पटुआखली के तटीय इलाकों से टकराया था. इस तूफान में 15 हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थी. धन का भी काफी नुकसान हुआ था.

210 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आए इस भीषण चक्रवात ने 15 हजार लोगों की जान ले ली थी. तेज हवाओं, मूसलाधार बारिश और ऊंची समुद्री लहरों ने तटीय क्षेत्रों को पूरी तरह अपनी चपेट में ले लिया था. उस दौर में आधुनिक मौसम पूर्वानुमान प्रणाली और आपदा प्रबंधन की कमी के कारण लोग समय रहते सुरक्षित स्थानों पर नहीं पहुंच पाए, जिससे तबाही और भी भयावह हो गई.

कहां मचा था हाहाकार?
चक्रवात ने सबसे ज्यादा कहर कॉक्स बाजार और पटुआखली के आसपास के इलाकों में बरपाया. समुद्र में उठी ऊंची ज्वार की लहरें गांवों में घुस गईं. कच्चे मकान, झोपड़ियां और खेत देखते ही देखते पानी में समा गए. कई गांवों का अस्तित्व ही मानो मिट गया.

कितनों गई थी जान?
सरकारी और गैर-सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस चक्रवाती तूफान में करीब 15,000 लोगों की जान गई, जबकि कुछ आधिकारिक रिपोर्टों में प्रत्यक्ष रूप से दर्ज मृतकों की संख्या 873 बताई गई. विशेषज्ञों का मानना है कि संचार और रिकॉर्डिंग की सीमाओं के कारण वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है.

नमक उद्योग को भारी नुकसान

इस चक्रवात ने केवल मानव जीवन ही नहीं छीना, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गहरी चोट पहुंचाई. कॉक्स बाजार क्षेत्र उस समयनमक उत्पादन के लिए जाना जाता था. तूफान की वजह सेकरीब 40,000 नमक के भंडार पूरी तरह नष्ट हो गए. समुद्री पानी के भराव और भारी बारिश से नमक के मैदान बह गए, जिससे हजारों परिवारों की आजीविका पर संकट आ गया. नमक उद्योग पर निर्भर मजदूर और किसान लंबे समय तक बेरोजगारी और गरीबी से जूझते रहे. उस समय सरकार के पास पुनर्वास के सीमित संसाधन थे, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई.

आपदा प्रबंधन की कमी बनी बड़ी वजह

1965 में न तो सैटेलाइट निगरानी थी और न ही प्रभावीअर्ली वार्निंग सिस्टम. चक्रवात की सूचना बहुत देर से मिली और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की कोई संगठित व्यवस्था नहीं थी. तटीय इलाकों में मजबूत आश्रय स्थल (साइक्लोन शेल्टर) लगभग न के बराबर थे. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते चेतावनी और निकासी की व्यवस्था होती, तो हजारों जानें बचाई जा सकती थीं.

इतिहास से मिला सबक

1965 का यह चक्रवात बाद के वर्षों में बांग्लादेश और पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक बड़ा सबक साबित हुआ. इसके बाद धीरे-धीरे तटीय इलाकों में साइक्लोन शेल्टर बनाए गए, मौसम विभाग को मजबूत किया गया और आपदा प्रबंधन की रणनीतियों पर काम शुरू हुआ.

निष्कर्ष

15 दिसंबर 1965 का चक्रवाती तूफान केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं था, बल्कि यह मानव इतिहास में दर्ज एक ऐसी त्रासदी थी, जिसने हजारों परिवारों को उजाड़ दिया. कॉक्स बाज़ार और पटुआखली में आई इस तबाही ने यह सिखाया कि आपदा से पहले सतर्कता, मजबूत बुनियादी ढांचा और प्रभावी चेतावनी प्रणाली कितनी जरूरी है.

सोशल मीडिया से मिले स्रोत से 1965 से 1966 के दौरान आए कुछ चक्रवाती तूफान और उनके प्रभाव

दिसंबर 1965 का साइक्लोन: 15 दिसंबर, 1965 को देश में एक साइक्लोन आया था. हवा की स्पीड लगभग 217 km प्रति घंटा थी और तूफ़ान की लहरें 2.3-3.6 मीटर ऊंची थीं. इसमें 873 (सरकारी आंकड़े के अनुसार) लोगों की जान चली गई थी. अक्टूबर 1966 का साइक्लोन: साइक्लोन 1 अक्टूबर, 1966 को तटीय इलाके में आया था. हवा की स्पीड लगभग 139 km प्रति घंटा थी. तूफान की लहरें 6-7 मीटर ऊंची थीं. साइक्लोन में लगभग 850 लोगों की मौत हो गई थी. बारिसल साइक्लोन (11 मई, 1965): तटीय इलाकों में आए साइक्लोन में कम से कम 19,279 लोग मारे गए थे. मरने वालों में से 16,456 बारिसल में थे. साइक्लोन की हवा की स्पीड लगभग 160 km प्रति घंटा थी. साथ ही 3.7-7.6 मीटर ऊंची तूफानी लहरें भी उठीं थीं.

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Deep Raj Deepak

दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें

First Published :

December 15, 2025, 12:20 IST

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