Last Updated:September 17, 2025, 19:10 IST
Nalanda News: नीतीश कुमार के गढ़ नालंदा में क्या इस बार तेजस्वी यादव, प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह चुनौती दे रहे हैं? क्या इस बार बिहार का चुनावी समीकरण बदलेगा या नीतीश फिर से लिखेंगे नया इतिहास?

नालंदा. बिहार की राजनीति में कई गढ़ हैं, जिन्हें अभेद्य माना जाता है. इनमें सबसे प्रमुख है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला नालंदा. पिछले 20 सालों से नालंदा में नीतीश कुमार का सिक्का चला है और इस जिले की सभी विधानसभा सीटों पर तकरीबन जेडीयू या बीजेपी का ही कब्जा रहा है. लेकिन इस बार समीकरण बदल रहे हैं. आरजेडी के सीएम फेस तेजस्वी यादव के साथ-साथ प्रशांत किशोर और उनके सहयोगी आरसीपी सिंह भी नीतीश के इस अभेद्य किले में सेंध लगाने की तैयारी में हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या इस बार नालंदा का इतिहास बदलेगा और क्या तेजस्वी यादव लगाएंगे ‘तीली’ और जलाएंगे ‘लालटेन’? या स्कूल बैग लेकर पीके पहुंचेंगे विधानसभा?
नालंदा जिले में कुल 7 विधानसभा सीटें हैं. अस्थावां, बिहारशरीफ, राजगीर, इस्लामपुर, हिलसा, नालंदा और हरनौत. इन सभी सीटों पर लंबे समय से एनडीए का दबदबा रहा है. लेकिन इस बार तेजस्वी यादव ने अपनी ‘बिहार अधिकार यात्रा’ से यहां के वोटरों के बीच पैठ बनाने की कोशिश शुरू कर दी है. तेजस्वी यादव अपनी यात्रा में लगातार बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की समस्याओं जैसे मुद्दों को उठा रहे हैं. वह जानते हैं कि अगर उन्हें नालंदा में जीतना है तो उन्हें न सिर्फ अपने पारंपरिक ‘MY’ (मुस्लिम-यादव) वोट बैंक को एकजुट करना होगा, बल्कि अन्य जातियों, खासकर युवाओं को भी अपनी ओर खींचना होगा.
नीतीश को उनके गढ़ में कौन देगा चुनौती?
जानकार कहते हैं कि तेजस्वी का युवाओं के बीच आकर्षण बढ़ा है. अगर वह अपनी रैलियों में भीड़ को वोटों में बदलने में कामयाब होते हैं तो वह नीतीश के किले में बड़ी सेंध लगा सकते हैं. नीतीश कुमार की राजनीति का आधार ‘विकास पुरुष’ की छवि रही है. तेजस्वी इस छवि पर सवाल उठाकर यह संदेश देना चाहते हैं कि विकास हुआ है, लेकिन वह जमीनी स्तर पर जनता तक नहीं पहुंचा है. तेजस्वी अकेले नहीं हैं जो नीतीश को उनके गृह जिले में चुनौती दे रहे हैं.
क्या लव-कुश वोट बैंक में सेंध
‘जन सुराज’ के संस्थापक प्रशांत किशोर भी नालंदा में अपनी पैठ बना रहे हैं. पीके लगातार परिवारवाद और पुरानी राजनीति पर हमला बोल रहे हैं, जिसका सीधा असर नीतीश के वोट बैंक पर पड़ सकता है. एक समय नीतीश के सबसे करीबी माने जाने वाले आरसीपी सिंह अब उनके सबसे बड़े विरोधी हैं. नालंदा में उनकी अपनी पकड़ है. अगर वह नीतीश के ‘लव-कुश’ वोट बैंक (कुर्मी-कुशवाहा) में सेंध लगा पाए तो वह एनडीए को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं.
कुलमिलाकर नालंदा का चुनावी रण इस बार सिर्फ दो ध्रुवों एनडीए और महागठबंधन के बीच नहीं होगा, बल्कि इसमें तीसरे और चौथे खिलाड़ी भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं. तेजस्वी यादव की अपनी ताकत, पीके का नया एजेंडा और आरसीपी सिंह की नाराजगी ये सभी मिलकर नीतीश कुमार के लिए एक ऐसी चुनौती पेश कर रहे हैं, जो उन्होंने पिछले 20 सालों में कभी नहीं देखी थी. लेकिन बीते 20 सालों का नालंदा का इतिहास नीतीश के साथ रहा है, और इस चुनाव में भी यह इतिहास दोहरा जाए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
September 17, 2025, 19:10 IST