20 देश, 9000 बच्चे... रिसर्च में सबसे पूछा गया 1 सवाल, चौंका देगा जवाब

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Last Updated:September 16, 2025, 08:54 IST

School Education: देश की टॉप यूनिवर्सिटीज की लिस्ट में शामिल कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने 20 देशों के 9 हजार बच्चों पर एक रिसर्च की है. उसमें सामने आया है कि बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल के बाद वाली जिंदगी के लिए तैयार ही नहीं हैं.

20 देश, 9000 बच्चे... रिसर्च में सबसे पूछा गया 1 सवाल, चौंका देगा जवाबSchool Education: स्कूल सिलेबस में लाइफ स्किल्स पर फोकस करना जरूरी है

नई दिल्ली (School Education). आज की शिक्षा व्यवस्था केवल किताबों और क्लासरूम तक सीमित नहीं है. बच्चों का भविष्य, उनका आत्मविश्वास और असली जीवन जीने की तैयारी इस बात पर निर्भर करती है कि वे स्कूल में किस तरह का अनुभव लेते हैं. हाल ही में आई एक ग्लोबल रिपोर्ट ने इस विषय पर गंभीर सवाल उठाए हैं. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस एंड असेसमेंट की स्टडी में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. केवल 45% स्टूडेंट्स ही मानते हैं कि वे स्कूल छोड़ने के बाद जीवन की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं.

यह रिसर्च 20 देशों के 20,000 शिक्षकों और 9,000 छात्रों पर आधारित है. इसमें भारत के आंकड़े भी शामिल किए गए हैं. इस रिपोर्ट में दिलचस्प बात यह थी कि जहां छात्र खुद को लेकर असुरक्षित नजर आए, वहीं शिक्षकों का दृष्टिकोण ज्यादा पॉजिटिव था. लगभग 66% टीचर्स का मानना है कि छात्र स्कूल के बाद वाली जिंदगी जीने के लिए तैयार हैं. इस अंतर से पता चलता है कि बच्चों के मन में आत्मविश्वास की कमी है और उन्हें स्कूलिंग यानी पढ़ाई-लिखाई से अलग हटकर लाइफ स्किल्स विकसित करने की भी जरूरत है.

Cambridge University Research: स्कूल के बाद की जिंदगी, क्या तैयार हैं बच्चे?

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की रिसर्च ने शिक्षा व्यवस्था के उस पहलू पर रोशनी डाली है, जिस पर अब तक बहुत कम चर्चा हुई है- यानी स्कूल से बाहर निकलने के बाद असल जिंदगी की तैयारी. बच्चों को न केवल शैक्षणिक ज्ञान चाहिए, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता, संवाद कौशल, समस्या समाधान और सामाजिक कौशल भी विकसित करने की जरूरत है. स्टडी से यह भी सामने आया कि छात्र जब स्कूल की सीमाओं से बाहर देखते हैं तो उन्हें नौकरी, करियर और निजी जीवन की चुनौतियों का सामना करने की चिंता सताने लगती है.

बदलना पड़ेगा स्कूल का सिलेबस

रिपोर्ट में यह भी साफ तौर पर कहा गया है कि शिक्षा जगत को अब केवल पाठ्यक्रम पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि बच्चों की मानसिक और भावनात्मक तैयारी पर भी फोकस करना होगा. उन्हें इस तरह ट्रेनिंग देनी होगी कि वे बदलती दुनिया की परिस्थितियों, टेक्नोलॉजी और सामाजिक बदलावों का सामना आत्मविश्वास से कर सकें. यह सर्वे माता-पिता और पॉलिसी मेकर्स, दोनों के लिए चेतावनी है कि अगर शिक्षा केवल अंकों और रिजल्ट तक सिमट गई तो बच्चे असल जिंदगी में असहाय महसूस करेंगे.

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के सर्वे में क्या सामने आया?

1. छात्रों और शिक्षकों के नजरिए में अंतर

सर्वे में शामिल केवल 45% छात्र मानते हैं कि वे जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार हैं. 66% शिक्षक छात्रों की क्षमता को लेकर आश्वस्त दिखे.

2. किन पर की गई स्टडी?

यह सर्वे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस एंड असेसमेंट ने किया. इसमें 20 देशों के 20,000 शिक्षक और 9,000 छात्र शामिल थे. भारत भी इसमें शामिल रहा.

3. क्यों महसूस हो रही कमी?

बच्चों को लगता है कि स्कूल की पढ़ाई जीवन की व्यावहारिक चुनौतियों के लिए काफी नहीं है. आत्मविश्वास और समस्या समाधान की कमी सबसे बड़ी बाधा है.

4. रिपोर्ट का रिजल्ट

शिक्षा प्रणाली को केवल किताबों और अंकों तक सीमित नहीं रखना चाहिए. बच्चों को जीवन कौशल, आत्मनिर्भरता, संवाद और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए तैयार करना जरूरी है.

इस रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि आज के बच्चे ज्ञान तो पा रहे हैं लेकिन असली दुनिया के लिए तैयार नहीं हैं. इसके लिए शिक्षा प्रणाली को लंबा रास्ता तय करना होगा.

Deepali Porwal

Having an experience of more than 10 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle (health, beauty, fashion, travel, astrology, numerology), entertainment and career. She has covered...और पढ़ें

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First Published :

September 16, 2025, 08:54 IST

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