Last Updated:September 25, 2025, 11:40 IST

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने 1962 के भारत-चीन युद्ध को लेकर एक अहम टिप्पणी की है. एक किताब विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यदि उस समय जंग में इंडियन एयरफोर्स का इस्तेमाल किया गया होता तो चीन के हमले को काफी हद तक धीमा या कमजोर किया जा सकता था. हालांकि चौहान ने स्पष्ट किया कि तब इस तरह के एक्शन को एस्केलेटरी यानी जंग को और भड़काने वाली कार्रवाई माना जाता, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में ऐसा नहीं है जैसा कि हाल के ऑपरेशन सिंदूर में देखा गया.
जनरल चौहान का यह बयान 63 वर्ष पहले हुए इस युद्ध की रणनीतिक कमियों के बारे में बताता है, जो आज भी सीमा विवादों के संदर्भ में प्रासंगिक है. चौहान ने बुधवार को पुणे में दिवंगत लेफ्टिनेंट जनरल एसपीपी थोराट की संशोधित आत्मकथा ‘रिवील टू रिट्रीट’ के विमोचन समारोह में एक वीडियो संदेश के माध्यम से ये टिप्पणियां कीं. थोराट 1962 युद्ध से ठीक पहले पूर्वी कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) थे. सीडीएस ने थोराट की किताब को महज एक सैनिक की डायरी नहीं, बल्कि नेतृत्व, रणनीति और भारतीय सैन्य इतिहास की गहन अंतर्दृष्टि का स्रोत बताया. उन्होंने कहा कि यह आत्मकथा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगी.
फॉरवर्ड पॉलिसी पर सवाल
युद्ध के संदर्भ में चौहान ने ‘फॉरवर्ड पॉलिसी’ पर सवाल उठाए. उन्होंने तर्क दिया कि इस नीति को लद्दाख और नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (वर्तमान अरुणाचल प्रदेश) पर एक समान लागू करना गलत था. उनका कहना है कि दोनों क्षेत्रों का विवाद और इतिहास अलग है. दोनों की परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं. एक जैसी नीतियां लागू करना ठीक नहीं था. चौहान ने कहा कि लद्दाख की ऊबड़-खाबड़ चट्टानी भूमि और अरुणाचल की जंगली पहाड़ियों में एक ही रणनीति असफल साबित हुई. इससे भारतीय सेनाओं को भारी नुकसान हुआ.
सीडीएस ने जोर दिया कि आधुनिक वक्त में सुरक्षा परिदृश्य पूरी तरह बदल चुका है. सुरक्षा स्थिति बदल गई है. सैन्य बलों के स्तर में वृद्धि हुई है और युद्ध का चेहरा ही बदल गया है. उन्होंने कहा कि आज जियोपॉलिटिक्स और भूगोल में बदलाव के कारण फॉरवर्ड पॉलिसी पर टिप्पणी करना कठिन है.
सीडीएस चौहान ने कहा कि हमारी राय कई कारणों से प्रभावित होगी, जैसे भूगोल और जियोपॉलिटिक्स दोनों पूरी तरह बदल चुका है. चौहान ने 1962 के फैसलों को हल्के में न लेने की सलाह दी, लेकिन वर्तमान संदर्भ में एयर फोर्स की भूमिका को आवश्यक बताया. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर इसका जीवंत उदाहरण है. इस ऑपरेशन में एयरफोर्स ने निर्णायक भूमिका निभाई. उसे एस्केलेशन का कोई डर नहीं था.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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First Published :
September 25, 2025, 11:40 IST