18 दिन अंतरिक्ष में रहने के बाद आज लौटेंगे शुभांशु:रिएंट्री के समय तापमान 2,500°C होगा, 23 घंटे के सफर के बाद पहुंच रहे

6 hours ago

कैलिफोर्नियाकुछ ही क्षण पहले

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करीब 23 घंटे के सफर के बाद ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट 15 जुलाई दोपहर करीब 3 बजे समुद्र में स्पैल्शडाउन होगा। - Dainik Bhaskar

करीब 23 घंटे के सफर के बाद ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट 15 जुलाई दोपहर करीब 3 बजे समुद्र में स्पैल्शडाउन होगा।

शुभांशु शुक्ला सहित चार एस्ट्रोनॉट 18 दिन अंतरिक्ष में रहने के बाद आज 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौट रहे हैं। करीब 23 घंटे के सफर के बाद उनका ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट दोपहर 3 बजे कैलिफोर्निया के तट पर स्प्लैशडाउन होगा। रिएंट्री के वक्त उनके स्पेसक्राफ्ट का तापमान करीब 2,500°C तक पहुंच जाएगा।

चारों एस्ट्रोनॉट एक दिन पहले 14 जुलाई को शाम 4:45 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से पृथ्वी के लिए रवाना हुए थे। ये स्पेसक्राफ्ट 263 किलो से ज्यादा कार्गो के साथ वापस आ रहा है। इसमें नासा का हार्डवेयर और 60 से ज्यादा प्रयोगों का डेटा शामिल होगा। यह अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

यो एस्ट्रोनॉट 26 जून को भारतीय समय के अनुसार शाम 4:01 बजे ISS पहुंचे थे। एक्सियम मिशन 4 के तहत 25 जून को दोपहर करीब 12 बजे ये रवाना हुए थे।

स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से जुड़े ड्रैगन कैप्सूल में इन्होंने कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी थी। ये मिशन तकनीकी खराबी और मौसमी दिक्कतों के कारण 6 बार टाला गया था।

स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद शुभांशु शुक्ला को 634 नंबर का बैज दिया गया था।

स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद शुभांशु शुक्ला को 634 नंबर का बैज दिया गया था।

शाम 4:45 बजे ISS से पृथ्वी के लिए निकले शुभांशु

14 जुलाई को दोपहर करीब 02:15 बजे क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में पहुंचा।शाम 4:45 बजे स्पेसक्राफ्ट ISS के हार्मनी मॉड्यूल से अनडॉक हुआ।15 जुलाई को दोपहर करीब 3 बजे कैलिफोर्निया के तट पर स्प्लैशडाउन होगा।

18 दिन अंतरिक्ष में सुभांशु ने क्या-क्या किया

60 वैज्ञानिक प्रयोग: शुभांशु ने मिशन के दौरान 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लिया। इनमें भारत के सात प्रयोग शामिल थे। उन्होंने मेथी और मूंग के बीजों को अंतरिक्ष में उगाया। स्पेस माइक्रोएल्गी' प्रयोग में भी हिस्सा लिया। अंतरिक्ष में हड्डियों की सेहत पर भी प्रयोग किए।प्रधानमंत्री से बात: 28 जून 2025 को शुभांशु ने ISS से पीएम नरेंद्र मोदी के साथ लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष से भारत बहुत भव्य दिखता है। पीएम ने पूछा कि आप गाजर का हलवा लेकर गए हैं। क्या साथियों को खिलाया। इस पर शुभांशु ने कहा- हां साथियों के साथ बैठकर खाया।छात्रों से संवाद: 3, 4 और 8 जुलाई को उन्होंने तिरुवनंतपुरम, बेंगलुरु और लखनऊ के 500 से अधिक छात्रों के साथ हैम रेडियो के जरिए बातचीत की। इसका मकसद युवाओं में STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) के प्रति रुचि बढ़ाना था।ISRO के साथ संवाद: 6 जुलाई को उन्होंने ISRO के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत की, जिसमें उनके प्रयोगों और भारत के गगनयान मिशन के लिए उनके योगदान पर चर्चा हुई।पृथ्वी की तस्वीरें: शुभांशु ने ISS के कपोला मॉड्यूल से पृथ्वी की शानदार तस्वीरें खींचीं, जो सात खिड़कियों वाला एक खास हिस्सा है।
शुभांशु शुक्ला ने ISS के कपोला मॉड्यूल की खिड़कियों से धरती का खूबसूरत नजारा देखा।

शुभांशु शुक्ला ने ISS के कपोला मॉड्यूल की खिड़कियों से धरती का खूबसूरत नजारा देखा।

41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में गया

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया था। शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। इससे 41 साल पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी।

शुभांशु का ये अनुभव भारत के गगनयान मिशन में काम आएगा। ये भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित रूप से वापस लाना है। इसके 2027 में लॉन्च होने की संभावना है। भारत में एस्ट्रोनॉट को गगनयात्री कहा जाता है। इसी तरह रूस में कॉस्मोनॉट और चीन में ताइकोनॉट कहते हैं।

एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा हैं शुभांशु शुक्ला

शुभांशु शुक्ला एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा हैं, जिसकी एक सीट के लिए भारत ने 548 करोड़ रुपए चुकाए हैं। यह एक प्राइवेट स्पेस फ्लाइट मिशन है, जो अमेरिकी स्पेस कंपनी एक्सियम, NASA, इसरो और स्पेसएक्स की साझेदारी से हो रहा है।

एक्सियम स्पेस का यह चौथा मिशन है...

17 दिन का एक्सियम 1 मिशन अप्रैल 2022 में लॉन्च हुआ था।08 दिन का एक्सियम का दूसरा मिशन 2 मई 2023 में लॉन्च हुआ था।18 दिन का तीसरा मिशन 3 जनवरी 2024 में लॉन्च किया गया था।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है?

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर घूमने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है। इसमें एस्ट्रोनॉट रहते हैं और माइक्रो ग्रेविटी में एक्सपेरिमेंट करते हैं। यह 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल करता है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है। 5 स्पेस एजेंसीज ने मिलकर इसे बनाया है। स्टेशन का पहला पीस नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था।

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1. अंतरिक्ष से शुभांशु बोले-भारत आज भी सारे जहां से अच्छा: फेयरवेल सेरेमनी में पहले भारतीय एस्ट्रोनॉट राकेश शर्मा की बात दोहराई; आज धरती पर लौटेंगे

अंतरिक्ष में 17 दिन रहने के बाद भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई को धरती पर वापस लौटेंगे। इससे पहले 13 जुलाई की शाम फेयरवेल सेरेमनी में उन्होंने भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के 1984 में दिए आइकॉनिक डायलॉग को दोहराते हुए कहा- भारत आज भी सारे जहां से अच्छा है।

उन्होंने कहा- जब मैंने 25 जून को फाल्कन 9 रॉकेट ये यात्रा शुरू की थी, तब नहीं सोचा था कि यह यात्रा इतनी अविश्वसनीय रहेगी। मेरे पीछे खड़ी टीम के बिना यह यात्रा इतनी अविश्वसनीय नहीं होती। यहां होना बहुत खुशी की बात है।

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2. एस्ट्रोनॉट शुभांशु की वापसी के लिए माता-पिता ने रुद्राभिषेक किया: लखनऊ में पिता बोले- आज सावन का सोमवार है, शिवजी रक्षा करेंगे

लखनऊ के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला आज यानी 14 जुलाई को शाम 4:35 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से पृथ्वी के लिए रवाना हो गए। करीब 23 घंटे के सफर के बाद उनका स्पेसक्राफ्ट अगले दिन (15 जुलाई) दोपहर करीब 3 बजे समुद्र में लैंड करेगा। इसे स्प्लैशडाउन कहते हैं।

शुभांशु Axiom Mission 4 (Ax‑4) का हिस्सा हैं, जो एक निजी लेकिन उच्चस्तरीय वैज्ञानिक और तकनीकी मिशन है, जिसमें 4 देशों के अंतरिक्ष यात्रियों ने भाग लिया। भारत के लिए यह मिशन इसलिए भी खास है, क्योंकि शुभांशु इस अभियान में पायलट के रूप में शामिल होकर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक पहुंचने वाले पहले भारतीय वायुसेना अधिकारी बन गए हैं।

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