Last Updated:November 24, 2025, 23:48 IST
Ethiopian Volcano : एथियोपिया के हैउली गब्बी ज्वालामुखी के 10,000 साल बाद फूटने से राख का बादल 45,000 फीट ऊंचाई तक फैल गया और भारत की हवाई सीमाओं की ओर बढ़ रहा है. इंडिगो और अकासा एयर ने प्रभावित उड़ानें रद्द और डायवर्ट कर दी हैं. DGCA ने सभी एयरलाइंस को सुरक्षा दिशानिर्देश पालन, रूट समायोजन और इंजन निरीक्षण अनिवार्य करने के आदेश दिए हैं. राख हवाई यातायात के लिए गंभीर खतरा है.
इथोपिया में ज्वालामुखी फटा है. नई दिल्ली. एथियोपिया के अफ़ार रिफ्ट में स्थित हैउली गब्बी ज्वालामुखी 10,000 साल बाद रविवार को फूटा जिससे लगभग 45,000 फीट ऊंचाई तक राख का विशाल गुब्बार आसमान में फैल गया. इस राख का बादल तेज जेट स्ट्रीम के माध्यम से भारत की हवाई सीमाओं की ओर बढ़ रहा है. इसके असर से सोमवार को वेस्ट एशिया के लिए उड़ानों को बड़ी संख्या में रद्द किया गया. साथ ही बहुत सी उड़ानें डायवर्ट भी की गई. इंडिगो और अकासा एयर ने प्रभावित कॉरिडोरों पर अपने कई फ्लाइट्स को निलंबित कर दिया जबकि अन्य एयरलाइंस अलर्ट पर हैं.
डीजीसीए हुआ अलर्ट
अकासा एयर ने बयान में कहा कि जेद्दाह, कुवैत और अबू धाबी के लिए उड़ानें रद्द कर दी गई हैं और यात्रियों को सात दिनों के भीतर रिफंड या मुफ्त री-बुकिंग का विकल्प दिया गया है. इंडिगो ने भी बताया कि उनके टीमें अंतरराष्ट्रीय एविएशन सलाहकारों के साथ लगातार स्थिति पर नजर रख रही हैं और सभी आवश्यक सुरक्षा उपाय किए जा रहे हैं. DGCA ने सभी भारतीय एयरलाइंस को हवाई मार्गों और ऊंचाईयों को पुन: निर्धारित करने, ईंधन आवश्यकताओं को समायोजित करने और ज्वालामुखीय राख से प्रभावित क्षेत्रों से पूरी तरह बचाव करने का निर्देश दिया.
धड़ाधड़ हो रही उड़ाने रद्द
विशेषज्ञों का कहना है कि ज्वालामुखीय राख हवाई यातायात के लिए गंभीर खतरा है. राख इंजन और एयरफ्रेम को नुकसान पहुंचा सकती है और विजिबिलिटी घटा सकती है. इंडिगो की कान्नूर–अबू धाबी उड़ान को राख बादल के कारण अहमदाबाद डायवर्ट किया गया. DGCA ने फ्लाइट क्रू और इंजीनियरों को सभी सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन करने के निर्देश दिए हैं, साथ ही उड़ानों के बाद इंजन और एयरक्राफ्ट निरीक्षण को अनिवार्य किया गया है. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने ASHTAM जारी किया, जो ज्वालामुखीय राख के लिए विशेष चेतावनी होती है और इसके स्थान, ऊंचाई और गति की सटीक जानकारी देती है.
राख के प्रभाव से उठाना पड़ रहा कदम
विश्लेषण से पता चलता है कि आधुनिक एविएशन प्रणाली कितनी संवेदनशील है. राख के प्रभाव से उड़ानों के रूट बदलना, ईंधन की योजना समायोजित करना और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सभी एयरलाइंस के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है. इसके साथ ही यह घटना भविष्य में वैश्विक हवाई यातायात पर पड़ने वाले पर्यावरणीय जोखिमों की याद दिलाती है. एयरलाइंस और नियामक एजेंसियों के लिए सतत निगरानी, त्वरित प्रतिक्रिया और जोखिम प्रबंधन योजना बनाना आवश्यक है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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First Published :
November 24, 2025, 23:48 IST

1 hour ago
