World news in India: यूरोप के अंतिम तानाशाह उपनाम से फेमस बेलारूस में सत्तावादी नेता अलेक्जेंडर लुकाशेंको द्वारा क्षमादान दिए गए दर्जनों राजनीतिक कैदियों में से एक 69 वर्षीय मिकालई स्टटकेविच ने पिछले महीने स्वतंत्रता की दहलीज पर पहुंचकर सबको चौंका दिया. लिथुआनिया सीमा पार करने का इंतजार कर रही एक बस में बैठे स्टटकेविच अचानक उठ खड़े हुए, दरवाजा खोला और उतर गए. उन्होंने इसे जबरन निर्वासन बताते हुए अपनी मातृभूमि छोड़ने से साफ इनकार कर दिया. 11 सितंबर की इस घटना के बाद से ही पूर्व राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और विपक्षी नेता स्टटकेविच को किसी ने नहीं देखा है. मानवाधिकार कार्यकर्ता अब बेलारूसी अधिकारियों से मांग कर रहे हैं कि वे तुरंत बताएं कि उनके साथ क्या हुआ है.
'न बिकूंगा, न कहीं और मरने दूंगा'
स्टटकेविच उन 52 राजनीतिक कैदियों में शामिल थे, जिन्हें अमेरिका के साथ एक समझौते के तहत व्लादिमीर पुतिन के दोस्त लुकाशेंको ने रिहा किया था. उनके साथ बस में यात्रा कर रहे एक अन्य कैदी मक्सिम विनियर्सकी ने बताया कि स्टटकेविच दृढ़ थे. वह केवल अपने लिए नहीं, बल्कि सभी बेलारूसियों की आजादी के लिए लड़ने को तैयार थे. बस से उतरते समय कमजोर दिख रहे स्टटकेविच अपनी दिल की बेहद जरूरी दवाइयां भी वहीं छोड़ गए. विनियर्सकी का कहना था कि स्टटकेविच ने लुकाशेंको की स्क्रिप्ट को तोड़ दिया और साबित किया कि बीमार होने पर भी आप तानाशाही का विरोध कर सकते हैं. उन्होंने मुझसे कहा, 'मैं खुद को बिकने नहीं दूंगा, न ही किसी को यह तय करने दूंगा कि मैं कहां रहूं या कहां मरूं."
लापता होने के बाद जेल वापसी का डर
सीमा पर कुछ घंटों तक रहने के बाद निगरानी कैमरों में छह नकाबपोश सुरक्षाकर्मी उन्हें वापस बेलारूस ले जाते हुए रिकॉर्ड हुए. बाद में लुकाशेंको ने केवल इतना कहा कि स्टटकेविच बेलारूस में वापस हैं. आखिर वह हमारे नागरिक हैं, लेकिन उन्होंने कोई विवरण नहीं दिया. स्टटकेविच का यह विरोध मारिया कोलेसनिकोवा के कृत्य जैसा था, जिन्होंने 2020 में निर्वासन की कोशिश के दौरान अपना पासपोर्ट फाड़ दिया था और देश वापस लौट गई थीं. स्टटकेविच की पत्नी मरीना आदमोंविच वापस बेलारूस लौटीं और उस जेल कॉलोनी का दौरा किया, जहां उन्हें पहले रखा गया था, लेकिन अधिकारियों ने उनकी उपस्थिति की पुष्टि करने से इनकार कर दिया. आदमोंविच ने चिंता जताई कि उनके पति का दिल का दौरा पड़ने के बावजूद न तो बीमारी और न ही सालों के एकांत कारावास ने उनकी इच्छाशक्ति को तोड़ा है.
संयुक्त राष्ट्र और कार्यकर्ताओं की चिंता
वियास्ना मानवाधिकार समूह के पावेल सापेलका ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में रखने के लिए उन पर कोई नया आरोप लगाया है या नहीं, क्योंकि लुकाशेंको ने तो उन्हें रिहा कर दिया था. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने इसे स्टटकेविच के जबरन गायब होने और मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने का मामला बताया है और बेलारूस से उनके ठिकाने और स्वास्थ्य की जानकारी देने की मांग की है.
'राजनीतिक कैदियों को वस्तु की तरह बेच रहे लुकाशेंको'
विपक्षी नेता स्वेतलाना तिखानोव्स्काया ने कहा कि लुकाशेंको राजनीतिक कैदियों को एक वस्तु की तरह बेच रहे हैं. कुछ को रिहा कर रहे हैं और उनकी जगह दूसरों को जेल भेज रहे हैं. उन्होंने स्टटकेविच के इस सैद्धांतिक फैसले का सम्मान करते हुए कहा कि यह घटना इस बात को उजागर करती है कि कैदियों को रिहा नहीं किया जा रहा है, बल्कि उनकी इच्छा के विरुद्ध उन्हें जबरन दूसरे देशों में निर्वासित किया जा रहा है.
स्टटकेविच, जिन्हें दशकों की राजनीतिक सक्रियता के लिए एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा तीन बार अंतरात्मा का कैदी माना गया है. वह बेलारूस के सबसे लंबे समय तक जेल में रहने वाले विपक्षी राजनेता हैं. वह उस तानाशाही में दृढ़ता और साहस का प्रतीक बने हुए हैं, जहां लगभग 1,200 राजनीतिक कैदी, जिनमें नोबेल शांति पुरस्कार विजेता एलेस बालियात्स्की भी शामिल हैं, अभी भी कठोर परिस्थितियों में हिरासत में हैं.