Last Updated:September 24, 2025, 12:36 IST
Supreme Court on Himachal Pradesh: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में बादल फटने और फ्लैश फ्लड से हुई तबाही पर सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने सरकार से पर्यावरणीय नुकसान, विकास कार्यों और आपदा प्रबंधन पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने 28 अक्टूबर तक भूमि डायवर्जन, वृक्ष कटाई और जलवायु परिवर्तन नीति पर जानकारी तलब की है.

सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश में बारिश और फ्लैश फ्लड से हुई तबाही पर सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने हिमाचल सरकार से राज्य में पर्यावरणीय तबाही और अंधाधुंध विकास कार्यों पर विस्तृत और प्रमाणित जवाब तलब किया है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि हिमाचल प्रदेश समेत पूरा हिमालयी क्षेत्र ‘गंभीर अस्तित्व संकट’ का सामना कर रहा है, क्योंकि अनियंत्रित विकास गतिविधियों ने प्राकृतिक आपदाओं को और बढ़ा दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार से 28 अक्टूबर तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. इसमें पिछले 20 वर्षों में गैर-वन उपयोग के लिए कितनी भूमि डायवर्ट की गई, वृक्षों की प्रजातियों का पूरा डेटा और बड़े पैमाने पर पेड़ काटने की अनुमति से जुड़ी जानकारी मांगी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि बार-बार भूस्खलन, इमारतों का ढहना और सड़कों का धंसना प्रकृति की गलती नहीं बल्कि इंसानी गतिविधियों का नतीजा है. कोर्ट ने साफ कहा कि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स, फोर-लेन हाइवे, वनों की कटाई और बहुमंजिला निर्माण जैसी गतिविधियां आपदाओं को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रही हैं.
यह टिप्पणी तब आई जब कोर्ट ने बाढ़ के दौरान पानी में बहते लकड़ी के लट्ठों के वीडियो पर स्वतः संज्ञान लिया. इन वीडियो से संकेत मिला कि हिमाचल के पहाड़ों में बड़े पैमाने पर अवैध पेड़ कटाई हो रही है.
पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?
पिछले सुनवाई में कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर को अमीकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया था, जिन्हें अधिवक्ता आकांक्षा लोढा सहयोग दे रही हैं. अमीकस ने राज्य की अंतरिम रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद पर्यावरण और विकास से जुड़े मुद्दों पर एक विस्तृत प्रश्नावली तैयार की.
कोर्ट ने सरकार से जो सवाल पूछे हैं, उनमें जोनिंग गतिविधियां, वन और वृक्ष आच्छादन, प्रतिपूरक वनीकरण, जलवायु परिवर्तन, सड़कें, जलविद्युत परियोजनाएं, खनन और भारी मशीनरी, पर्यटन और निर्माण शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या हिमाचल प्रदेश के पास जलवायु परिवर्तन की कोई नीति है और अगर है तो उसकी प्रति पेश की जाए. इसके अलावा राज्य ने अब तक जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर कोई अध्ययन किया है या नहीं, यह भी कोर्ट ने जानना चाहा.
बेंच ने आपदा प्रबंधन योजनाओं और उनके कार्यान्वयन पर भी जानकारी मांगी है. कोर्ट ने कहा, ‘पिछले बीस वर्षों में राज्य में आपदा प्रबंधन के लिए आवंटित धन और उसके उपयोग का पूरा ब्योरा रिकॉर्ड पर पेश किया जाए.’ इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तृत ब्यौरा भी मांगा है, जिसमें विशेष तौर पर चार-लेन हाईवे की संख्या का उल्लेख करने को कहा गया है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
September 24, 2025, 12:36 IST